पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) के एयरक्राफ्ट इंजीनियर्स ने वेतन वृद्धि और सुरक्षा चिंताओं को लेकर हड़ताल शुरू कर दी है। इसकी वजह से कई उड़ानें ठप हो गईं।
पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) गहरे संकट में है। एयरक्राफ्ट इंजीनियर्स ने वेतन में वृद्धि नहीं होने और सुरक्षा चिंताओं को लेकर काम रोक दिया है, जिसके चलते देशभर में उड़ानें ठप हो गई हैं। सोसाइटी ऑफ एयरक्राफ्ट इंजीनियर्स ऑफ पाकिस्तान (SAEP) के सदस्यों ने एयरवर्दीनेस क्लियरेंस देना बंद कर दिया, जिसके चलते दर्जनों घरेलू और अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स रद्द हो गईं।
इंजीनियर्स का कहना है कि पिछले आठ सालों से उनकी सैलरी में कोई इजाफा नहीं हुआ है। इसके अलावा स्पेयर पार्ट्स की भारी कमी दर्ज की जा रही है और मैनेजमेंट दबाव डालकर अनफिट विमानों को उड़ान भरवाने की मंजूरी देने के लिए मजबूर करता है। SAEP ने चेतावनी दी है कि वे यात्रियों की जान जोखिम में डालकर काम नहीं करेंगे। इंजीनियर्स पिछले ढाई महीने से काला आर्मबैंड पहनकर विरोध जता रहे थे, लेकिन अब वे पूरी तरह हड़ताल पर चले गए हैं।
इस हड़ताल से अब तक 12 अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स प्रभावित हो चुकी हैं, जिनमें जेद्दाह, मदीना और इस्लामाबाद से उड़ानें शामिल हैं। हजारों यात्री, खासकर तीर्थयात्री एयरपोर्ट्स पर फंसे हुए हैं। लाहौर से मदीना, इस्लामाबाद और कराची से जेद्दाह जाने वाली फ्लाइट्स ग्राउंडेड हैं। PIA के सीईओ ने इसे "अवैध तोड़फोड़" करार देते हुए सख्त कार्रवाई की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि एसेंशियल सर्विसेस एक्ट 1952 के तहत हड़ताल गैरकानूनी है और दोषियों पर कानूनी एक्शन लिया जाएगा।
PIA प्रवक्ता ने SAEP को गैरकानूनी संगठन बताया और आरोप लगाया कि इसका मकसद एयरलाइन की निजीकरण प्रक्रिया को तोड़ना है। मैनेजमेंट अन्य एयरलाइंस की मदद से इंजीनियरिंग सपोर्ट की व्यवस्था कर रहा है ताकि जल्द उड़ानें बहाल हो सकें। लेकिन फिलहाल सारी उड़ानें रद्द की जा रही हैं।
PIA पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रही है। निजीकरण की योजना चल रही है, लेकिन बार-बार हड़तालें और मैनेजमेंट-कर्मचारी विवाद इसे और गहरा रहे हैं। यात्रियों की शिकायतें बढ़ रही हैं और एयरलाइन को भारी नुकसान हो रहा है। SAEP ने साफ कहा है कि सीईओ का रवैया नहीं बदला तो वे काम पर नहीं लौटेंगे।
यह संकट PIA के लिए नया नहीं है। पहले भी सैलरी और प्राइवेटाइजेशन को लेकर हड़तालें हो चुकी हैं, लेकिन इस बार सुरक्षा मुद्दा जोड़कर इंजीनियर्स ने दबाव बढ़ा दिया है।