यूएनएससी की अध्यक्षता मिलते ही पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत को घेरने की कोशिश की है। पाकिस्तान ने वहीं किया जिसकी उम्मीद जताई जा रही थी। क्या है पूरा मामला? आइए नज़र डालते हैं।
पाकिस्तान (Pakistan) को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद – यूएनएससी (United Nations Security Council – UNSC) की अध्यक्षता मिल गई है। पाकिस्तान, यूएनएससी का अस्थायी सदस्य है और रोटेशन के आधार पर उसे अध्यक्षता मिली है। यूएनएससी का हर महीने अध्यक्ष रोटेशन प्रक्रिया के आधार पर बदलता है और रोटेशन में अब पाकिस्तान का नंबर आने से ही उसे अध्यक्षता मिली है। हालांकि पाकिस्तान के पास सिर्फ एक महीने यानी कि जुलाई के लिए ही यूएनएससी की अध्यक्षता रहेगी। जैसे ही पाकिस्तान को यूएनएससी की अध्यक्षता मिली थी, इस बात के कयास लगाए जाने शुरू हो गए थे कि पाकिस्तान, भारत को घेरेगा और अब उसने वहीं किया जिसकी उम्मीद जताई जा रही थी।
यूएनएससी की अध्यक्षता मिलते ही पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के खिलाफ सालों पुराना राग छेड़ते हुए कश्मीर मुद्दा उठा दिया है। इस मामले पर यूएन में पाकिस्तान के राजदूत असीम इफ्तिखार अहमद (Asim Iftikhar Ahmed) ने न्यूयॉर्क हेडक्वार्टर में बोलते हुए कहा है कि कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए यूएनएससी को ज़रूरी कदम उठाने चाहिए।
अहमद ने यूएन के न्यूयॉर्क हेडक्वार्टर में बोलते हुए कहा, "कश्मीर मुद्दा ही भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का कारण है। इसी वजह से दोनों देशों में काफी समय से तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस मुद्दे पर अब दुनिया को गंभीरता से काम करने की ज़रूरत है। यह मुद्दा सिर्फ पाकिस्तान की ज़िम्मेदारी नहीं है, बल्कि यूएनएससी की भी है क्योंकि मेरे हिसाब से यह मुद्दा यूएनएससी का भी है। ऐसे में इस सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों को कश्मीर मुद्दे पर यूएन के प्रावधानों के हिसाब से ज़रूरी कदम उठाने चाहिए, तभी इसका समाधान निकलेगा।"
कश्मीर मुद्दे पर भारत का हमेशा से एक ही पक्ष रहा है कि यह भारत का आंतरिक मामला है और इसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी दखलअंदाज़ी की कोई ज़रूरत नहीं है। इस मुद्दे पर पाकिस्तान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाने के लिए हर बार भारत ने उसे ऐसी लताड़ लगाई है जिससे उसकी बोलती बंद हो गई।
भारत और पाकिस्तान के बीच आज ही दिन शिमला समझौता (Shimla Agreement) हुआ था। 2 जुलाई, 1972 को दोनों देशों ने शांति के इस समझौते पर सहमति जताई थी।