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पाकिस्तान में TLP प्रदर्शन: हिंसा में 250 से ज्यादा की मौत, गिरफ्तारी और गाजा विवाद की पूरी कहानी

TLP Protests: पाकिस्तान में टीएलपी के प्रदर्शन में 20-25 मौतें हुईं, लाहौर और मुरीदके में सबसे ज्यादा हिंसा हो गई।

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Oct 14, 2025
पंजाब में टीएलपी के विरोध प्रदर्शन के दौरान तैनात सुरक्षाकर्मी। (फ़ोटो: एएनआई)

TLP Protests:पाकिस्तान में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के हालिया प्रदर्शन ने देश को हिला कर रख दिया है। जानकारी के अनुसार पाकिस्तान में टीएलपी के विरोध प्रदर्शनों (TLP Protests) में 20-25 लोगों की मौत हुई। सरकारी आंकड़े 5-15 मौतों की बात कह रहे हैं, जबकि टीएलपी का दावा है कि 250 से ज्यादा लोग मारे गए (Pakistan Violence)। लाहौर में सबसे ज्यादा हिंसा (Lahore Clashes) हुई, जहां 10 प्रदर्शनकारी मरे और 50 पुलिसकर्मी घायल हुए। मुरीदके में 4 लोगों की जान गई (Muridke Deaths) और 56 लोग घायल हुए, जिसमें एक पुलिस अधिकारी भी शामिल है। वहीं इस्लामाबाद, रावलपिंडी और गुजरांवाला में भी झड़पें हुईं, जहां टीएलपी के मुताबिक 11 लोग मरे और सैकड़ों घायल हुए, हालांकि सरकारी तौर पर पुष्टि नही हुई है। ध्यान रहे कि यह आंदोलन गाजा में इजरायल-हमास युद्धविराम के विरोध से शुरू हुआ, लेकिन अब यह सरकार और सेना के खिलाफ बड़े टकराव का रूप ले चुका है। वहीं 8 अक्टूबर 2025 से शुरू हुए इन प्रदर्शनों में हिंसा, गिरफ्तारियां और कई मौतें हो चुकी हैं।

TLP क्या है और क्यों हुआ प्रदर्शन ?

टीएलपी एक धार्मिक और राजनीतिक संगठन है, जो पाकिस्तान में ईशनिंदा कानूनों का समर्थक है। इसका नेतृत्व साद हुसैन रिजवी करते हैं। इस बार टीएलपी ने गाजा में इजरायल-हमास युद्धविराम समझौते का विरोध करते हुए इस्लामाबाद की ओर मार्च शुरू किया। उनका कहना है कि यह समझौता फिलिस्तीनियों के हितों के खिलाफ है। टीएलपी ने इसे "फिलिस्तीन के लिए एकजुटता" का मार्च बताया, लेकिन सरकार का आरोप है कि संगठन इसका राजनीतिक फायदा उठा रहा है।

प्रदर्शन का हिंसक रूप

8 अक्टूबर को टीएलपी ने इस्लामाबाद मार्च की घोषणा की। लाहौर में पुलिस ने संगठन के मुख्यालय पर छापा मारा, जिसके बाद झड़पें शुरू हो गईं। 9 और 10 अक्टूबर को इस्लामाबाद और रावलपिंडी में सड़कें बंद कर दी गईं। पुलिस ने आंसू गैस और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया, जबकि टीएलपी समर्थकों ने पथराव किया। 11 अक्टूबर तक मुरिदके में टीएलपी ने कैंप लगाए, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। 12 और 13 अक्टूबर को हिंसा बढ़ गई। मुरिदके में पुलिस की गोलीबारी में कई लोगों की मौत हुई। टीएलपी का दावा है कि 250 से ज्यादा समर्थक मारे गए, जबकि सरकार ने 15 मौतों की पुष्टि की है।

सरकार और सेना की कार्रवाई

पाकिस्तानी सरकार ने सख्त कदम उठाए। इस्लामाबाद में इंटरनेट बंद कर दिया गया, रेड जोन सील कर दिया गया, और सेना व रेंजर्स को तैनात किया गया। टीएलपी नेता साद रिजवी ने वीडियो में कहा कि वे बातचीत को तैयार हैं, लेकिन सरकार हिंसा बंद करे। दूसरी ओर, सरकार ने टीएलपी पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया और 170 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। 14 अक्टूबर को स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, और टीएलपी नेताओं का ठिकाना अज्ञात है।

जनता और सोशल मीडिया का माहौल

सोशल मीडिया पर #TLPMarchForPalestine और #PakistanBecomesGaza जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कुछ लोग टीएलपी को समर्थन दे रहे हैं, तो कुछ इसे आतंकी गतिविधि बता रहे हैं। इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने टीएलपी के साथ सहानुभूति दिखाई है। अफगान तालिबान ने भी पाकिस्तान सरकार की कार्रवाई की निंदा की है। लोग इस हिंसा को "गाजा जैसी स्थिति" बता रहे हैं, क्योंकि सड़कों पर आगजनी और गोलीबारी के वीडियो वायरल हो रहे हैं।

क्या हो सकता है आगे ?

बहरहाल पंजाब में तनाव बढ़ रहा है। लाहौर और रावलपिंडी में स्कूल-कॉलेज बंद हैं, और यातायात ठप है। टीएलपी ने देशव्यापी हड़ताल की धमकी दी है। अगर बातचीत नहीं हुई, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल गाजा का मुद्दा नहीं, बल्कि टीएलपी और सेना के बीच पुराना टकराव भी है।

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