यूरोप में वायु प्रदूषण से बीमार लोग सरकार से मुआवजा मांग सकेंगे। क्या है इसकी वजह? आइए जानते हैं।
यूरोप में वायु प्रदूषण की रोकथाम अब राजनीतिक प्राथमिकता बन गया है। यूरोपीय संघ की संसद ने बुधवार को हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए नए और सख्त कानून को अपनाने के लिए यूरोपीय संघ के देशों के साथ एक अस्थायी राजनीतिक समझौते को मंजूरी दे दी। इस समझौते का उद्देश्य है हवा की गुणवत्ता में ऐसा सुधार जिससे हवा मानव स्वास्थ्य, जैव विविधता और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक नहीं रह जाए। इस कानून के पक्ष में 381 वोट और विरोध में 225 वोट डाले गए। 17 सांसद अनुपस्थित रहे। नए कानून का उद्देश्य प्रदूषण को कम करते हुए नागरिकों को साफ और स्वच्छ हवा उपलब्ध कराना और 2050 तक यूरोप में जीरो वायु प्रदूषण सुनिश्चित करना है।
तय किए गए 2030 तक के लक्ष्य
नए नियमों में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5, पीएम10), एनओ2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) और एसओ2 (सल्फर डाइऑक्साइड) सहित मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालने वाले प्रदूषकों के लिए वर्ष 2030 तक के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। कानून में प्रावधान है कि यदि विशिष्ट शर्तें पूरी होती हैं, तो सदस्य देश अनुरोध कर सकते हैं कि उनके लिए 2030 की समय सीमा को दस साल तक के लिए स्थगित कर दिया जाए।
बीमार होने पर मिलेगा मुआवजा
नए कानून की सबसे खास बात यह है कि अगर सदस्य देशों द्वारा इन राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया जाता है, तो वायु प्रदूषण से प्रभावित लोग सरकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकेंगे और यदि वायु प्रदूषण के चलते नागरिकों के स्वास्थ्य को नुकसान हुआ है तो वो मुआवजे के लिए भी दावा कर सकते हैं।