Ram Temple Trinidad: त्रिनिदाद में अयोध्या की तरह राम मंदिर बनेगा, जिससे धार्मिक पर्यटन बढ़ने की उम्मीद है।
Ram Temple Trinidad: त्रिनिदाद और टोबेगो की 15 लाख की आबादी में भारतीय मूल के लोग बड़ी तादाद में हैं। अब हाल ही में उन्होंने अयोध्या के राम लला की प्रतिकृति प्राप्त की है। अब उनकी खूबसूरत "अयोध्या नगरी (Ayodhya Nagari)" बनाने की योजना है, जिसमें एक भव्य राम मंदिर (Ram Temple Trinidad) शामिल होगा। यह कदम कैरेबियन में हिंदू संस्कृति (Hindu Tourism Caribbean)को मजबूत करने की दिशा में उठाया जाने वाला कदम है। ध्यान रहे कि मई 2025 में, पोर्ट ऑफ स्पेन में 10,000 से ज्यादा भक्त इकट्ठे हुए, जब अयोध्या से राम लला की बिल्कुल वैसी ही प्रतिमा आई। ये समारोह भारतीय प्रवासियों के 180 साल पूरे होने के साथ मनाया गया। समुदाय के लिए यह भावुक पल था, जो हिंदू परंपराओं को जीवित रखने की कोशिश है। कार्यक्रम में भारतीय मूल की प्रधानमंत्री कमला परसाद-बिसेसर भी शामिल हुईं।
अब त्रिनिदाद और टोबेगो सरकार भव्य राम मंदिर बनाने की योजना बना रही है। इसका मकसद वेस्टर्न हेमिस्फेयर में हिंदू धर्म का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र बनना है। सार्वजनिक उपयोगिता मंत्री बैरी पदरथ ने कहा, "हम 'रामायण देश' हैं, जहां हिंदू परंपराएं उन्नीसवीं सदी से जीवित हैं।" मंदिर न सिर्फ स्थानीय समुदाय को जोड़ेगा, बल्कि दुनिया भर के हिंदू पर्यटकों को आकर्षित करेगा।
अयोध्या नगरी का विचार न्यूयॉर्क के ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ राम मंदिर के संस्थापक प्रेम भंडारी का है। उनका मकसद उत्तर अमेरिका और कैरेबियन के लिए हिंदू आध्यात्मिक केंद्र बनाना है, जहां लोग अयोध्या न जा सकें, तो यहां आएं। Trinidad and Tobago के प्रधानमंत्री ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है, और मंदिर प्रोजेक्ट को धार्मिक पर्यटन बढ़ाने का मौका माना जा रहा है।
त्रिनिदाद और टोबेगो में भारतीयों की कहानी 1845 से शुरू हुई, जब इंडेंटेड लेबरर्स यहां आए। आज भी 40% आबादी भारतीय मूल की है, जो हिंदू, मुस्लिम और ईसाई धर्म मानती है। राम मंदिर प्रोजेक्ट इस विरासत को और मजबूत करेगा। गौरतलब है कि अयोध्या से प्रतिमा लाना भारतीय समुदाय के लिए गर्व का पल था, जो अब मंदिर बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
राजस्थान के शहर जोधपुर के पूर्व नरेश गज सिंह (HH Gaj Singh) ने जून 1978 से जुलाई 1980 तक त्रिनिदाद और टोबैगो में भारत के उच्चायुक्त के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने बारबाडोस, डोमिनिका, सेंट लूसिया, ग्रेनेडा, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस के लिए भी उच्चायुक्त का पद संभाला।
यह मंदिर बनाने में फंडिंग और लैंड एलोकेशन की कई चुनौतियां हैं, लेकिन सरकार इसे राष्ट्रीय प्रोजेक्ट मान रही है। पर्यटन मंत्रालय ने कहा, "यह प्रोजेक्ट हिंदू धर्म को वैश्विक मंच देगा।" लेकिन कुछ स्थानीय ग्रुप्स ने चिंता जताई कि यह प्रोजेक्ट अन्य धर्मों को नजरअंदाज करेगा। सरकार ने सभी समुदायों को साथ लेकर चलने का वादा किया है।
बहरहाल भारत के लिए यह प्रोजेक्ट सांस्कृतिक डिप्लोमेसी का उदाहरण है। यह बात सीखने लायक है कि ओवरसीज इंडियन कम्युनिटीज कैसे अपनी जड़ें मजबूत करती है। राम मंदिर न सिर्फ धार्मिक, बल्कि आर्थिक पहलू से भी फायदेमंद होगा। भारत को भी ऐसे प्रोजेक्ट्स से प्रेरणा लेनी चाहिए, जहां इंडियन डायस्पोरा को जोड़ा जाए।