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भारतीय होने के बावजूद क्यों हारे ऋषि सुनक, जानिए ब्रिटेन चुनाव में सुनक को भारतीयों ने क्यों नकारा?

Rishi Sunak's Defeat in UK Elections: ऋषि सुनक भारतीय दिग्गत कंपनी इन्फोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति और सुधा मूर्ति के दामाद है।

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Reasons of Rishi Sunak defeat in UK elections 2024

Rishi Sunak's Defeat in UK Elections: ब्रिटेन में सत्ता विरोध लहर ने सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी का सफाया कर दिया। 14 साल के इंतजार को खत्म करते हुए लेबर पार्टी (Labour Party) बीते शुक्रवार को वापस सत्ता में आ गई है। लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया गया है। नवनियुक्त प्रधानमंत्री स्टार्मर (Keir Starmer) ने विजय रैली में तीखा बयान दिया कि आखिरकार इस महान देश के कंधों से एक बोझ हट गया है। परिवर्तन अब शुरू होता है।' वहीं भारतीय होने के बावजूद ब्रिटेन चुनाव में ऋषि सुनक को करारी हार मिली है जो भारत और ब्रिटेन में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। 

25 अक्टूबर, 2022 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभालने वाले 44 वर्षीय भारतवंशी ऋषि सुनक ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए पीएम पद और कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पद से भी इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए कहा, 'मैंने आपकी नाराजगी सुन ली है। ब्रिटिश लोगों ने एक गंभीर फैसला सुनाया है। सीखने और प्रतिबिंबित करने के लिए बहुत कुछ है। मैं नुकसान की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं।' 

आखिर क्यों हारे ऋषि सुनक 

ऋषि सुनक भारतीय मूल के हैं। एक्जिट पोल और सर्वे आने से पहले उन्हें ही इस चुनाव का विजेता माना जा रहा था क्योंकि उनका भारतीय होना उनकी योग्यता का प्लस प्वाइंट था। क्योंकि ब्रिटेन में लगभग 14 लाख भारतीय रहते हैं। लेकिन बावजूद उसके ऋषि सुनक को करारी हार झेलनी पड़ी। ये हार क्यों हुई इसके कुछ कारण हम  आपको बता रहे हैं। जिसमें सबसे अहम रहे सुनक के वो 5 प्रस्ताव जिन्हें उन्होंने बीते साल 2023 के जनवरी महीने में ब्रिटेन की जनता के सामने रखा था। 

ऋषि सुनक के इन प्रस्तावों में आम चुनाव की घोषणा तक सिर्फ केवल मुद्रास्फीति कम करने का वादा ही पूरा हो पाया। वादों को पूरा न करने और गुटबाजी के चलते सुनक ने पार्टी पर अपनी पकड़ खो दी थी। जो उनकी हार का सबसे बड़ा कारण बनी। बता दें कि ऋषि सुनक भारतीय दिग्गज कंपनी इन्फोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति और सुधा मूर्ति के दामाद हैं। इस बार रेकॉर्ड संख्या में भारतवंशी ब्रिटेन की संसद में पहुंचे हैं। पिछली बार 15 भारतीय मूल के सांसद चुने गए थे, इस बार 18 हैं।

बता दें कि ब्रिटेन में चार जुलाई को हुए मतदान का परिणाम शुक्रवार सुबह सामने आया। विपक्षी लेबर पार्टी ने 2005 के बाद ब्रिटिश चुनाव में प्रचंड जीत दर्ज की है। हालांकि एक सीट पर पुनर्मतगणना के कारण चुनाव का अंतिम परिणाम शनिवार की सुबह तक घोषित नहीं किया जाएगा।

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