बांग्लादेश सरकार ने सत्यजीत रे के पैतृक मकान को नहीं गिराने का फैसला किया है और इसके पुनर्निर्माण के लिए एक समिति गठित की है। भारत सरकार की अपील के बाद यह फैसला लिया गया है। यह मकान मैमनसिंह शहर में स्थित है और चिल्ड्रन अकादमी के दफ्तर के तौर पर इस्तेमाल होता था
भारत के महान फिल्मकार सत्यजीत रे के पैतृक मकान को लेकर बांग्लादेश ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि इस मकान को नहीं तोड़ा गया है। मैमनसिंह शहर में जिस मकान को ढहाया गया, वह चिल्ड्रन अकादमी के दफ्तर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था।
भारत सरकार की अपील पर बांग्लादेश सरकार ने सत्यजीत रे के जर्जर पैतृक आवास को नहीं गिराने का फैसला किया है। एक समिति गठित की गई है, जो जल्द इस आवास का पुनर्निर्माण कराएगी।
मीडिया रिपोट्र्स में बुधवार को सत्यजीत रे के पैतृक मकान को ध्वस्त करने की बात कही गई थी। मैमनसिंह के डिप्टी कमिश्नर मोफिदुल आलम ने कहा कि प्रशासन ने जांच के बाद पुष्टि की है कि जिस मकान को ढहाया गया, उसका सत्यजीत रे के पूर्वजों से कोई संबंध नहीं था। रे का मकान दुरलोव हाउस के तौर पर जाना जाता है। यह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है और करीब एक दशक से खाली पड़ा है।
बांग्लादेश के शहर मैमनसिंह में मकान सत्यजीत रे के दादा उपेंद्र किशोर रे चौधरी ने बनवाया था, जो बड़े साहित्यकार थे। मैमनसिंह में प्रशासन ने सत्यजीत रे के पैतृक मकान के मौजूदा मालिक से बात की।
उसने बताया कि मकान को रे के परिवार से खरीदा गया था। यह साबित करने के लिए उसके पास सभी दस्तावेज हैं। जिस मकान को ढहाया गया, वह इस मकान के पास था।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने रे के आवास पर बांग्लादेश से पुनर्विचार की अपील की थी। मंत्रालय ने कहा था कि यह बांग्ला सांस्कृतिक पुनर्जागरण के साथ भारत-बांग्लादेश की साझा संस्कृति का प्रतीक है। ऐतिहासिक महत्त्व को देखते हुए इसका पुनर्निर्माण कर साहित्य संग्रहालय में बदल देना चाहिए।