सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच रक्षा समझौता हुआ है। क्या है यह रक्षा समझौता और दोनों देशों को इससे कैसे मिलेगा फायदा? भारत की इस मामले में क्या है प्रतिक्रिया? आइए जानते हैं।
सऊदी अरब (Saudi Arabia) और पाकिस्तान (Pakistan) के बीच एक अहम रक्षा समझौता हुआ है, जिसे "स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट" (Strategic Mutual Defence Agreement) नाम दिया गया है। यह समझौता बुधवार को रियाद में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद (Mohammed bin Salman Al Saud) और पाकिस्तानी पीएम शहबाज़ शरीफ (Sharif) के बीच हस्ताक्षरित हुआ। इस दौरान पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर (Asim Munir) भी मौजूद रहे।
यह रक्षा समझौता सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच दशकों पुरानी सुरक्षा साझेदारी को और मज़बूत करता है। सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच संबंध लगभग आठ दशक पुराने हैं, जो इस्लामिक भाईचारे, एकजुटता और साझा रणनीतिक हितों पर आधारित हैं। आइए नज़र डालते हैं कि यह समझौता दोनों देशों के लिए कैसे अहम है।
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए रक्षा समझौते के अनुसार दोनों में से किसी भी देश पर आक्रामकता को दोनों देशों पर आक्रामकता माना जाएगा। इसका मतलब है कि अगर एक देश पर हमला होता है, तो दूसरा देश उसे अपने ऊपर हमला मानकर जवाब देगा। यह प्रावधान दोनों देशों की सुरक्षा को एकजुट करता है।
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए रक्षा समझौते से दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। इसमें सैन्य प्रशिक्षण, खुफिया जानकारी शेयर करना और संयुक्त सैन्याभ्यास शामिल हैं।
पाकिस्तान एक परमाणु देश है। सऊदी अधिकारियों के अनुसार दोनों देशों के बीच हुआ रक्षा समझौता दोनों देशों के सभी सैन्य साधनों को शामिल करने वाला व्यापक रक्षा समझौता है। हालांकि स्पष्ट रूप से परमाणु हथियारों का उल्लेख नहीं किया गया, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान की परमाणु क्षमताओं को सऊदी अरब की सुरक्षा के लिए अहम बना सकता है।
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए रक्षा समझौते से दोनों देशों के लिए क्षेत्रीय विकास, सामान्य हितों के मुद्दों और सुरक्षा प्रयासों पर ध्यान रखा जाएहा। साथ ही क्षेत्रीय स्थिरता पर भी फोकस रखा जाएगा।
हथियारों के मामले में पाकिस्तान, सऊदी अरब से ज़्यादा एडवांस है, तो आर्थिक रूप से सऊदी अरब, पाकिस्तान से काफी आगे है। ऐसे में दोनों को एक-दूसरे से आर्थिक-सैन्य फायदा मिलेगा। गौरतलब है कि पिछले कई सालों से अब तक सऊदी अरब ने आर्थिक रूप से पाकिस्तान की काफी मदद की है।
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए रक्षा समझौते पर भारत (India) की भी नज़र है। भारतीय विदेश मंत्रालय से इस मामले पर प्रतिक्रिया भी सामने आ गई है। विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (Randhir Jaiswal) ने कहा, "हमने सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर की खबरें देखी हैं। सरकार को पता था कि यह घटनाक्रम, जो दोनों देशों के बीच एक दीर्घकालिक व्यवस्था को औपचारिक रूप देता है, विचाराधीन था। हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर इस घटनाक्रम के प्रभावों का अध्ययन करेंगे। सरकार, भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा और सभी क्षेत्रों में व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।"