El Nino: यह खोज पृथ्वी की जलवायु में नए बदलाव का संकेत देती है। इससे पता चलता है कि महासागर का अपेक्षाकृत छोटा क्षेत्र वैश्विक मौसम और जलवायु पैटर्न पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है।
El Nino: दुनिया अब तक ‘अल नीनो’ के प्रभाव से दो-चार हो रही है। अब उसका जुड़वां भाई आ गया है। वैज्ञानिकों की इंटरनेशनल टीम ने रहस्यमय नया अल नीनो खोजा है। यह दक्षिण-पश्चिमी उपोष्ण कटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के आगे की ओर उभरता है। हालांकि इसके मौसम परिवर्तनों को कंट्रोल करने वाला इलाका अपेक्षाकृत छोटा है, लेकिन यह पूरे दक्षिणी गोलार्ध में जलवायु परिवर्तन (Climae Change) को ट्रिगर कर सकता है।
साइंस अलर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक ‘जियोफिजिकल रिसर्च’ में छपे शोध में बताया गया कि नया अल नीनो आने वाले साल में जलवायु परिवर्तन को समझने में महत्त्वपूर्ण होगा। ब्रिटेन की रीडिंग यूनिवर्सिटी के मौसम विज्ञानी बालाजी सेनापति का कहना है कि यह खोज पृथ्वी की जलवायु में नए बदलाव का संकेत देती है। इससे पता चलता है कि महासागर का अपेक्षाकृत छोटा क्षेत्र वैश्विक मौसम और जलवायु पैटर्न पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है।
शोधकर्ताओं ने 300 साल की एडवांस्ड जलवायु मॉडलिंग के विश्लेषण के आधार पर नए पेटर्न ‘डब्ल्यू-4’ का पता लगाया। यह पैटर्न गर्म और ठंडी हवा के चार वैकल्पिक क्षेत्रों के साथ दक्षिणी गोलार्ध में हर साल दोहराया जाता है। टीम ने पाया कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के पास का छोटा क्षेत्र ‘डब्ल्यू-4’ के लिए कंट्रोल लीवर की तरह काम करता है। इस हिस्से में यह समुद्री और वायुमंडलीय तापमान को प्रभावित करता है।
अल नीनो-दक्षिणी दोलन, प्रशांत महासागर के उष्ण कटिबंधीय जल में हवाओं और धाराओं में होने वाला अप्रत्याशित बदलाव है। शोधकर्ताओं के मुताबिक नया पैटर्न उन जलवायु पैटर्न से अलग हैं, जिनके बारे में हम जानते हैं। इनमें अल नीनो और ला नीना शामिल हैं। पश्चिमी ठंडी या गर्म हवाएं असामान्य ‘डब्ल्यू-4’ जलवायु पैटर्न को दुनियाभर में ले जा सकती हैं।