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बांग्लादेश की बड़ी परीक्षा: क्या हसीना की फांसी की सजा के बाद नई सरकार दोहराएगी पुरानी गलतियां ?

Sheikh Hasina Death Sentence: शेख हसीना को 2024 छात्र आंदोलन पर दमन के लिए मौत की सजा मिली,लेकिन भारत प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है।

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Nov 20, 2025
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना। (फोटो: ANI)

Sheikh Hasina Death Sentence: बांग्लादेश की अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा (Sheikh Hasina Death Sentence) सुना दी है। यह फैसला उनकी देश से गैर-मौजूदगी में आया है। कोर्ट ने उन्हें 2024 के छात्र आंदोलन को कुचलने के लिए हुई 1400 से ज्यादा मौतों का जिम्मेदार ठहराया (Bangladesh Student Crackdown Verdict) है। हसीना अभी भारत में हैं और फिलहाल यह सजा सिर्फ कागजों पर है। हसीना ने इस फैसले को “राजनीतिक बदला” बताया और कहा कि उन्होंने किसी को मारने का आदेश नहीं दिया। लेकिन इसके उलट बांग्लादेश की सड़कों पर लोग जश्न मना रहे हैं, उनके लिए यह 15 साल के जुल्म का हिसाब है।

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खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के नाम पर बरसों जेल में रखा गया

गौरतलब है कि हसीना ने 15 साल तक बांग्लादेश पर शासन किया। आरोप है कि जो भी उनके खिलाफ बोला, उसे जेल भेजा या गायब कर दिया गया अथवा मार डाला गया। उनकी सबसे बड़ी दुश्मन खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के नाम पर बरसों जेल में रखा गया। नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस को भी झूठे मुकदमे में फंसाया गया। जमात-ए-इस्लामी को चुनाव लड़ने से रोका गया और बाद में बैन कर दिया गया।

अमेरिका ने कुख्यात RAB यूनिट पर पाबंदी लगा दी थी

सुरक्षा बलों ने हसीना के राज में हजारों लोगों को बिना मुकदमे के मार डाला। अमेरिका ने उनकी कुख्यात RAB यूनिट पर पाबंदी लगा दी थी। वहीं फोटो जर्नलिस्ट शाहिदुल आलम को सिर्फ सरकार की आलोचना करने पर 100 दिन जेल में रखा गया।

हसीना ने बात करने के बजाय गोली चलवा दी (Hasina Exile India Extradition)

सन 2024 में जब छात्रों ने सरकारी नौकरियों में कोटे के खिलाफ आवाज उठाई तो हसीना ने बात करने के बजाय गोली चलवा दी। ड्रोन, हैलीकॉप्टर, असली गोलियां – सब इस्तेमाल हुए। नतीजा यह हुआ कि पूरा देश सड़कों पर उतर आया और हसीना को भाग कर भारत आना पड़ा। अब बांग्लादेश हसीना के भारत से प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है।

यह तरक्की सिर्फ ऊपर वालों तक सीमित रही

हसीना ने बांग्लादेश को आर्थिक रूप से बहुत आगे बढ़ाया, यह सच है। गरीबी घटी, जीडीपी बढ़ा, कपड़ों का निर्यात दुनिया में दूसरे नंबर पर पहुंचा, लेकिन यह तरक्की सिर्फ ऊपर वालों तक सीमित रही। आम आदमी को लोकतंत्र, बोलने की आजादी, निष्पक्ष चुनाव – कुछ नहीं मिला। सन 2018 में उन्होंने 96% वोट “जीते” थे, जिसे सबने धांधली कहा।

नई सरकार ने अवामी लीग पर बैन लगा रखा है

अब सवाल यह है कि नई अंतरिम सरकार क्या करेगी? अभी उसने भी अवामी लीग पर बैन लगा रखा है। यानि हसीना की पार्टी के लाखों समर्थकों का वोट का अधिकार छीन लिया गया। गैर-कानूनी हत्याएं हुईं और लोगों के गायब होने का सिलसिला अब तक जारी है। यानि पुराना रोग नई सरकार में भी दिख रहा है।

हसीना की बनाई गई बीमार व्यवस्था को ठीक करना मुश्किल काम

बांग्लादेश में सन 2026 में चुनाव होने वाले हैं। अगर यूनुस सरकार भी बदले की भावना से चलेगी, विरोधियों को कुचलेगी, संस्थाओं को कमजोर रखेगी – तो बांग्लादेश हसीना के युग से बाहर नहीं निकल पाएगा। हसीना को सजा देना आसान है, उनकी बनाई गई बीमार व्यवस्था को ठीक करना सबसे मुश्किल काम है।

15 साल का दर्द एक दिन में नहीं मिटेगा

लोगों का गुस्सा समझ में आता है। सन 15 साल का दर्द एक दिन में नहीं मिटेगा। लेकिन अगर बदला ही लिया जाएगा तो कल को कोई तीसरी हसीना तैयार हो जाएगी। असली जीत तब होगी, जब बांग्लादेश में कोई भी नेता दोबारा इतनी ताकत न जुटा सके कि लोकतंत्र को कुचल दे।

बांग्लादेश पास होगा या फेल ?

बहरहाल यह वक्त हिसाब चुकता करने का नहीं, नई और मजबूत नींव डालने का है। बांग्लादेश पास होगा या फेल – यह अगले कुछ महीनों में पता चल जाएगा।

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