हाल में सैटेलाइट इमेज में देखा गया कि हिमखंड का एक बड़ा हिस्सा लगभग 31 वर्ग मील (80 वर्ग किमी), टूटकर अलग हो गया है।
दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड, ‘ए 23- ए’ अब धीरे-धीरे टूटने लगा है। करीब 1,297 वर्ग मील (3360 वर्ग किमी) का यह हिमखंड अब दक्षिण अटलांटिक महासागर में उत्तर की ओर बढ़ रहा है। हाल में सैटेलाइट इमेज में देखा गया कि हिमखंड का एक बड़ा हिस्सा लगभग 31 वर्ग मील (80 वर्ग किमी), टूटकर अलग हो गया है। ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के समुद्री वैज्ञानिक एंड्रयू मीजर्स ने बताया, 'यह हिमखंड का पहला बड़ा हिस्सा टूट कर निकला है, और अब यह देखना है कि यह पूरी तरह से फटेगा या फिर कुछ समय तक बना रहेगा।'
‘ए 23- ए’ का वजन लगभग एक ट्रिलियन टन है, जो पेरिस के एफिल टावर से 100 लाख गुना भारी है। यह हिमखंड प्रति दिन लगभग 30 मील की गति से उत्तर की ओर बढ़ रहा है और वैज्ञानिकों को चिंता है कि यह दक्षिण जॉर्जिया द्वीप के पास पहुंचते समय पेंगुइन और सील्स जैसे समुद्री जीवों के लिए खतरा बन सकता है। अगर यह हिमखंड द्वीप के पास रुक जाता है, तो यह जानवरों के भोजन स्रोतों को अवरुद्ध कर सकता है।
साल 1986 में अंटार्कटिक फिल्चन आइस शेल्फ से टूटकर निकला ‘ए 23- ए’ अब तक एक बहुत लंबा सफर तय कर चुका है। हालांकि, यह पहले कई वर्षों तक स्थिर रहा था, लेकिन 2020 में यह फिर से अपनी यात्रा पर निकल पड़ा था। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका रास्ता स्थानीय समुद्री धाराओं पर निर्भर करेगा और ‘ए 23- ए’ का पूरी तरह से टूटना या छोटे टुकड़ों में बंटना किसी भी समय हो सकता है।
हिमखंड ताजे पानी की बर्फ के बड़े टुकड़े होते हैं, जो ग्लेशियर या आइस शेल्फ से टूटकर खुले पानी में तैरते हैं। ये महासागरीय जीवन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि ये आयरन जैसे पोषक तत्व छोड़ते हैं, जो समुद्री जीवन को उर्वरित करते हैं। हालांकि, ये जहाजों के लिए खतरा भी हो सकते हैं, जैसा कि टाइटैनिक दुर्घटना में हुआ था। हिमखंडों का आकार बहुत बड़ा हो सकता है, और छोटे टुकड़ों को 'बर्गी बिट्स' या 'ग्राउलर्स' कहा जाता है।