Alcatraz jail reopening: सैन फ्रांसिस्को का अल्काट्राज जेल को धरती का नरक माना जाता था। यह जेल 1934 से 1963 तक कैदियों को घोर यातनाएं देने के लिए बदनाम था। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने जुर्म करने वालों को सबक सिखाने के लिए इस जेल को दोबारा से खोलने का आदेश दिया है।
Alcatraz Reopening: रहस्य-रोमांच के कई किस्सों और कैदियों को यातनाओं के लिए कुख्यात दुनिया की सबसे खतरनाक अल्काट्राज जेल को 62 साल बाद फिर खोलने की तैयारी चल रही है। अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप(Donald Trump Plan to re-0pen Alcatraz jail) ने सोमवार को कारागार ब्यूरो के साथ न्याय विभाग, एफबीआई और होमलैंड सिक्योरिटी को जेल दोबारा खोलने का निर्देश दिया। उन्होंने ट्रुथ सोशल साइट पर लिखा, लंबे समय से अमरीका क्रूर, हिंसक और बार-बार अपराध करने वाले अपराधियों से त्रस्त है। इसलिए मैं अल्काट्राज जेल खोलने का निर्देश दे रहा हूं। इसका दोबारा खुलना कानून, व्यवस्था और न्याय का प्रतीक होगा।
अल्काट्राज कड़ी सुरक्षा वाली जेलों के बारे में इस्तेमाल होने वाले मुहावरे ‘परिंदा भी पर नहीं मार सकता’ से भी बढ़कर थी। चूंकि इसे अमरीकी राज्य सैन फ्रांसिस्को में अथाह समुंदर के बीच टापू पर बनाया गया था, कैदी भागने के बारे में सोच तक नहीं सकते थे। अमरीका के सबसे खूंखार अपराधी यहां रखे जाते थे। हर कोठरी 9*5 फीट की थी। सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं था। जेल के हालात ऐसे थे कि कैदियों ने इसका नाम ‘हेलकट्राज’ (नर्क जैसी जेल) रख दिया था। जो एक बार जेल में आया, बाहर नहीं निकल सकता था।
जेल के बेहद कठिन हालात से परेशान होकर कैदी या तो मानसिक संतुलन खो देते थे या आत्महत्या कर लेते थे। अल्काट्राज जेल 1934 में बनी और 1963 में बंद कर दी गई। बंद करने की वजह इस पर होने वाला खर्च था। अमरीकी सरकार का कहना था कि आम जेलों के मुकाबले अल्काट्राज में हर कैदी पर तीन गुना ज्यादा खर्च हो रहा है। बंद करने के बाद अल्काट्राज जेल को पर्यटन स्थल में तब्दील कर दिया गया। हर साल करीब 14 लाख पर्यटक इसकी ऐतिहासिक इमारतों, बगीचों और लाइटहाउस देखने आते हैं।
कैदियों ने अल्काट्राज जेल से 31 बार भागने की कोशिश की, नाकाम रहे। लेकिन 12 जून, 1962 को तीन कैदी फ्रेंक मॉरिस, जॉन ऐंग्लिन और क्लैरेन्स ऐंग्लिन भाग निकले। जेल प्रशासन ने तब कहा था कि किसी इंसान का इतना लंबा तैरकर किनारे पहुंचना नामुमकिन है। शायद तीनों कैदी डूब गए होंगे। तीनों न तो कहीं देखे गए, न इनके शव मिले। लंबी जांच-पड़ताल के बाद 1979 में प्रशासन ने इन्हें मृत घोषित कर दिया। लेकिन एक गुमनाम चिट्ठी में इनके जिंदा होने के दावे के बाद फिर खोजबीन शुरू हुई, जो अब भी जारी है।
अल्काट्राज जेल पर हॉलीवुड में कई फिल्में बन चुकी हैं। जेल बंद होने से पहले ‘बर्डमैन ऑफ अल्काट्राज’ (1962) आई थी। उसी साल तीन कैदियों ने जेल से भागकर जो सनसनी फैलाई, नई थीम फिल्मकारों के हाथ लग गई। ‘एस्केप फ्रॉम अल्काट्राज’, ‘पॉइंट ब्लैंक’, ‘द रॉक’ और ‘मर्डर इन द फर्स्ट’ इसी थीम पर बनी। हैरी पॉटर सीरीज की फिल्मों का ‘अजकाबन’ जेल काफी कुछ अल्काट्राज से प्रेरित था।
ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को कैद रखने के लिए भारत में अंडमान निकोबार के पोर्ट ब्लेयर में सेल्यूलर जेल बनवाई थी। कठिन हालात को लेकर इस जेल को ‘काला पानी’ कहा जाता था। जेल में 694 कोठरियां इस तरह बनाई गई थीं कि कैदियों में आपसी मेलजोल संभव नहीं हो। इसकी दीवारों पर आज भी वीर शहीदों के नाम लिखे हैं। यहां संग्रहालय में उन हथियारों को भी रखा गया है, जिनसे स्वतंत्रता सेनानियों को यातनाएं दी जाती थीं।