Hinduism in Sri Lanka: अधिकतर भारतीय भगवान श्रीराम की पूजा करते हैं और आम धारणा के अनुसार श्रीलंका के बारे में रावण के कारण कई बातें हैं और लोगों को सही सही पता ही नहीं कि वे किसकी पूजा करते हैं।
Hinduism in Sri Lanka: श्रीलंका के ज़्यादातर हिन्दू (Hinduism) शैव सिद्धांत के अनुयायी हैं और कुछ शाक्त धर्म का पालन करते हैं। श्रीलंका में शिव (Lord Shiva) के पांच निवास हैं: पंच ईश्वरम , पवित्र स्थान जिन्हें राजा रावण ने बनवाया था। मुरुगन (Murugan) देश के सबसे लोकप्रिय हिन्दू देवताओं में से एक हैं, जिन्हें हिन्दू तमिल ( Tamil Hindus) पूजते हैं। श्रीलंका ( Sri Lanka) में हिन्दू, भगवान शिव, कार्तिकेय ( मुरुगन ) और माता पार्वती की पूजा करते हैं। जानकारी के अनुसार इस देश में हिन्दू धर्म के शैव मत का प्रचलन रहा है। श्रीलंका में भगवान शिव के कई प्राचीन मंदिर हैं। कहा जाता है कि इन मंदिरों का निर्माण छठी शताब्दी ईसा पूर्व से पहले नागों ने किया था।
श्रीलंका में हिंदू धर्म की प्रथाएँ विशेष रूप से तमिल संस्कृति से जुड़ी हुई हैं, और यहां के लोग मुख्य रूप से दक्षिणी भारत के हिंदू धर्म की विभिन्न शास्त्रों और परंपराओं का पालन करते हैं। इस देश के हिन्दू समाज में देवताओं की पूजा की परंपराएं विविध और ऐतिहासिक रूप से समृद्ध हैं। यहां के लोग अपने धार्मिक जीवन में भगवान शिव, गणेश, दुर्गा, लक्ष्मी, राम, मुरुगन, और अन्य देवी-देवताओं की पूजा को बहुत महत्व देते हैं, और इनकी पूजा, हवन, अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान जा विभिन्न रूपों में पूजा होती है। श्रीलंकाई हिन्दू धर्म में प्रमुख देवताओं की पूजा के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है:
भगवान शिव, जिसे महादेव, नटराज, और भोलनाथ के नाम से भी जाना जाता है, श्रीलंका के हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं। उनका पूजा विशेष रूप से शिवलिंग के रूप में की जाती है। उनके मंदिरों में विशेष रूप से भगवती शिव के विभिन्न रूपों का पूजन होता है। शिव के पूजा में पंचाक्षरी मंत्र का उच्चारण होता है – "ॐ नमः शिवाय।" शिव की पूजा में बलि, कृपाण और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। उनके प्रमुख मंदिरों में कोहिलावे और कातिरगामा मंदिर प्रसिद्ध हैं। भगवान शिव, जिन्हें महादेव और नटराज के रूप में पूजा जाता है। श्रीलंका में प्रमुख रूप से पूजा जाते हैं। उनके दर्शन को तांडव नृत्य से जोड़ कर पूजा की जाती है। इस देश में शिव के प्रमुख मंदिर कोहिलावे, कातिरगामा और पर्ल्लर में स्थित हैं।
भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है, श्रीलंका में बड़े श्रद्धा भाव से पूजा जाते हैं। गणेश को बुद्धि, विद्या, और समृद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। गणेश की पूजा विशेष रूप से गणेश चतुर्थी के दिन बड़े धूमधाम से होती है। लोग उनके मंदिरों में लड्डू अर्पित करते हैं और कच्चे नारियल की पूजा करते हैं। गणेश के मंदिर कोलंबो और गणेशपुरम जैसे स्थानों पर प्रसिद्ध हैं।
माता दुर्गा शक्ति की प्रतीक हैं और श्रीलंका के हिन्दू मंदिरों में बहुत महत्वपूर्ण देवता के रूप में पूजा जाती हैं। उनकी पूजा विशेष रूप से नवरात्रि में होती है। दुर्गा के विभिन्न रूपों जैसे काली, भगवती, और चामुंडा की पूजा की जाती है। दुर्गा की पूजा में हवन, अर्चना, और कपूर की आरती का आयोजन होता है। उनके प्रमुख मंदिर जाफना में स्थित हैं।
भगवान राम, जिन्हें श्रीराम के नाम से भी जाना जाता है, श्रीलंका के हिंदू समाज में महत्वपूर्ण देवता माने जाते हैं। राम की पूजा उनके जीवन के आदर्शों और उनके त्याग की वजह से की जाती है। राम के मंदिरों में रामायण के प्रसंगों का पाठ और रामाष्टक का उच्चारण किया जाता है। राम नवमी के दिन राम के मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है। श्रीराम के मंदिर कातिरगामा और नुवारा एलिया में हैं।
माता लक्ष्मी, जो धन, वैभव, और सुख-शांति की देवी हैं, उनकी पूजा भी श्रीलंका में बड़े धूमधाम से होती है। विशेष रूप से दीवाली के समय उनकी पूजा होती है। लक्ष्मी पूजन में दीप जलाना, लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ और फल अर्पित करना प्रमुख कार्य होते हैं। श्री लक्ष्मी के पूजा स्थल कोलंबो और जाफना में स्थित हैं।
सूर्य देवता ऊर्जा और जीवन के स्रोत माने जाते हैं, उनकी पूजा भी श्रीलंका में की जाती है। सूर्य के कर्ण और शक्ति को सम्मानित करने के लिए यह पूजा मुख्य रूप से की जाती है। सूर्य के मंदिरों में सूर्योदय के समय सूर्य मंत्र का जाप और सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। सूर्य के पूजा स्थल अनुराधापुर और कातिरगामा में प्रमुख हैं।
भगवान मुरुगन (जिसे कातिरगामा स्वामी के नाम से भी जाना जाता है) एक प्रमुख देवता हैं, जो विशेष रूप से तमिल हिंदुओं में पूजनीय हैं। उनका पूजा विशेष रूप से कातिरगामा मंदिर में की जाती है। मुरुगन की पूजा में कुमारथुंबन और पारिवट्टम का आयोजन होता है। उनका प्रमुख मंदिर कातिरगामा है, जो एक पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है।
भगवान बालाजी (विष्णु के रूप में) को श्रीलंका में विशेष सम्मान मिलता है। उनका प्रसिद्ध मंदिर कोलंबो और चिन्ना गंगाई में है। भगवान बालाजी को समर्पित वैकुण्ठ एकादशी के दिन बड़े धूमधाम से पूजा की जाती है। इनकी पूजा विशेष रूप से समृद्धि और तात्कालिक समस्याओं के समाधान के लिए होती है।
श्रीलंका के प्रमुख शहरों कोलंबो और कातिरगामा में भगवान गणेश के मंदिर हैं। भगवान गणेश विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता हैं, श्रीलंका में बड़े श्रद्धा भाव से पूजे जाते हैं। गणेश चतुर्थी के समय भगवान गणेश की पूजा विशेष रूप से होती है। उन्हें लड्डू और फल अर्पित किए जाते हैं। उनके मंदिर श्रीलंका के व्यापारिक क्षेत्रों में अधिक हैं।
भगवान राम का पूजा श्रीलंका में उनके आदर्शों और रावण से युद्ध की पवित्रता को याद करते हुए की जाती है। श्रीराम की पूजा श्रीलंका के कुछ प्रमुख मंदिरों में होती है। कातिरगामा और नुवारा एलिया में श्री राम मंदिर हैं। उनकी पूजा में रामायण का पाठ और राम नवमी पर विशेष अनुष्ठान होते हैं।
माता काली शक्ति की प्रतीक हैं, विशेष रूप से श्रीलंका के तमिल समुदाय के बीच पूजी जाती हैं। उन्हें तंत्र-मंत्र और साधना के माध्यम से पूजा जाता है। काली की पूजा में हवन, बलि और नृत्य का आयोजन किया जाता है। काली के मंदिर जाफना और ववुनिया में हैं।
भगवान विष्णु की पूजा
भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों की पूजा श्रीलंका में होती है। इस देश में उनके विशेष रूप से वैकुण्ठ और रंगनाथ रूपों की पूजा लोकप्रिय है। विष्णु को लोक कल्याणकारी देवता माना जाता है। विष्णु की पूजा में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ और विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं। रंगनाथस्वामी और विष्णु के मंदिर श्रीलंका के कई स्थानों पर हैं।
माता सरस्वती, ज्ञान और संगीत की देवी हैं, उनकी पूजा विशेष रूप से विद्या और कला के क्षेत्र में सफलता के लिए की जाती है। वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा बड़े धूमधाम से होती है। मंदिरों में वीणा अर्पित की जाती है और ज्ञान की प्राप्ति के लिए पूजा होती है।
भगवान मुरुगन, जिन्हें कातिरगामा स्वामी के रूप में भी पूजा जाता है, श्रीलंका के तमिल समुदाय में विशेष रूप से पूजनीय हैं। उन्हें दक्षिण भारतीय देवता के रूप में पूजा जाता है। मुरुगन की पूजा में वेल (देवताओं का शस्त्र) अर्पित किया जाता है। मुरुगन के प्रमुख मंदिर कातिरगामा और नागुलेश्वरम में हैं।
भगवान दत्तात्रेय, जो कि ब्रह्मा, विष्णु और शिव के संयुक्त रूप हैं, श्रीलंका में आध्यात्मिक साधना और तात्त्विक ज्ञान की प्राप्ति के लिए पूजे जाते हैं। भगवान दत्तात्रेय की पूजा में साधना और तपस्या की विशेष महत्ता होती है। उनके प्रमुख मंदिर जाफना और कोलंबो में स्थित हैं।
भगवान सूर्य को ऊर्जा और जीवन का स्रोत माना जाता है। उनकी पूजा विशेष रूप से सूर्योदय के समय होती है, जहां लोग अर्घ्य अर्पित देते हैं। सूर्य के मंत्रों का जाप और जल अर्पण करके पुण्य की प्राप्ति होती है। सूर्य मंदिर अनुराधापुर और कातिरगामा में हैं।
भगवान यमराज को मृत्यु के देवता के रूप में पूजा जाता है। उन्हें जीवन और मृत्यु के चक्र को नियंत्रित करने वाला माना जाता है। यमराज की पूजा में तर्पण और पिंडदान अर्पित किए जाते हैं। यमराज के मंदिर श्रीलंका में कुछ स्थानों पर हैं।