H-1B Visa Fee Increase: अमेरिका ने एच-1बी वीज़ा पर शुल्क बढ़ाकर 1 लाख डॉलर कर दिया है, जिससे भारतीय आईटी पेशेवरों और कंपनियों को बड़ा झटका लगा है।
H-1B Visa Fee Increase: अमेरिका ने हाल ही में H-1 बी वीज़ा (H1-B Visa) पर भारी शुल्क वृद्धि का फैसला किया है। अब 21 सितंबर के बाद दायर हर नई एच-1बी वीज़ा याचिका पर 1 लाख डॉलर का नया शुल्क (Visa Fee Increase) लगेगा। इस फैसले पर भारत के कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घरेलू राजनीतिक रणनीति बताया है, जिससे वे अपने समर्थन में खड़े एमएजीए समर्थकों को खुश करना चाहते हैं। शशि थरूर ने बताया कि इस अचानक शुल्क वृद्धि के पीछे अमेरिका की चुनावी राजनीति है। इस साल नवंबर में अमेरिका में चुनाव होने वाले हैं, और ट्रंप का मकसद है कि वे आव्रजन विरोधी मतदाताओं का दिल जीत सकें। थरूर ने कहा कि ट्रंप और उनके सहयोगी मानते हैं कि आसान एच-1बी वीज़ा अमेरिकी नौकरी चाहने वालों को नुकसान पहुंचाता है, क्योंकि भारतीय जैसे विदेशी कामगार, कम वेतन पर काम करने के लिए तैयार हैं।
थरूर ने कहा कि आज के राजनीतिक माहौल में “मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” यानी MAGA आंदोलन के प्रमुख समर्थक खुलकर विदेशी कामगारों के खिलाफ हैं। वे खासकर उन प्रवासियों के खिलाफ हैं जिनकी रंग-रूप या जातीयता अमेरिकी मुख्यधारा से अलग मानी जाती है। इस कारण वे भारतीय और अन्य विदेशी तकनीकी पेशेवरों को अमेरिकी रोजगार बाज़ार में खतरा समझते हैं।
कांग्रेस सांसद ने बताया कि ट्रंप समर्थकों का मानना है कि भारतीय तकनीकी विशेषज्ञ जो कम वेतन पर काम करते हैं, वे अमेरिकी कामगारों की नौकरियाँ छीन रहे हैं जो बेहतर वेतन की उम्मीद रखते हैं। थरूर के अनुसार, नया शुल्क इतना ऊँचा है कि छोटे या मध्यम स्तर की नौकरियाँ अब व्यावहारिक नहीं रह जाएंगी।
शशि थरूर का कहना है कि एक लाख डॉलर का यह भारी शुल्क कंपनियों को केवल उच्च स्तर के विशेषज्ञों को ही अमेरिका लाने के लिए मजबूर करेगा, जिससे बाकी काम भारत या अन्य देशों से कराया जाएगा। इसका सीधा असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है क्योंकि कंपनियाँ महंगे शुल्क से बचने के लिए नौकरियों को बाहर आउटसोर्स करना पसंद करेंगी।
शशि थरूर ने यह भी बताया कि नए शुल्क से भारतीय IT कंपनियों के लिए कई अनुबंध अव्यवहारिक हो जाएंगे। वे इतनी बड़ी फीस हर व्यक्ति पर देने में असमर्थ हैं, खासकर जब अनुबंध के काम छोटे स्तर के हों। इससे भारतीय तकनीकी कर्मचारियों के लिए अमेरिकी कंपनियों में काम करने के अवसर कम हो सकते हैं।
कुल मिलाकर, शशि थरूर ने अमेरिका के एच-1बी वीज़ा शुल्क वृद्धि को एक राजनीतिक चाल बताया है, जो ट्रंप की घरेलू राजनीति और आगामी चुनावों के कारण लिया गया कदम है। इस कदम से न केवल भारतीय तकनीकी पेशेवरों और IT कंपनियों को नुकसान होगा, बल्कि अमेरिकी कंपनियाँ भी अपने काम को भारत या अन्य देशों में शिफ्ट कर सकती हैं। इस बदलाव का असर दोनों देशों की अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसरों पर महसूस किया जाएगा।