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पुतिन ने दिया ट्रंप को झटका, अमेरिका के साथ खत्म किया प्लूटोनियम डिस्पोज़ल एग्रीमेंट

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कुछ ऐसा किया है जिससे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को झटका लगना तय है। क्या है पूरा मामला? आइए नज़र डालते हैं।

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Oct 28, 2025
Donald Trump and Vladimir Putin (Photo - Washington Post)

रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को रोकने के लिए अमेरिका (United States Of America) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर सख्त प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है। ट्रंप ने ऐसा इसलिए किया है जिससे रूस की अर्थव्यवस्था को झटका लगे और उसे यूक्रेन के खिलाफ युद्ध खत्म करने के लिए मजबूर होना पड़े। हालांकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने भी साफ कर दिया है कि वह झुकने नहीं वाले हैं। अब पुतिन ने एक ऐसा कदम उठाया है जिससे ट्रंप को झटका लगना तय है।

अमेरिका के साथ खत्म किया प्लूटोनियम डिस्पोज़ल एग्रीमेंट

पुतिन ने सोमवार को एक कानून पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत अमेरिका के साथ प्लूटोनियम डिस्पोज़ल एग्रीमेंट (Plutonium Disposal Agreement) को औपचारिक रूप से खत्म कर दिया गया है। यह समझौता पिछले कुछ साल से सस्पेंड चल रहा था जिसे अब पुतिन ने पूरी तरह से खत्म कर दिया है।

क्या है प्लूटोनियम डिस्पोज़ल एग्रीमेंट?

प्लूटोनियम डिस्पोज़ल एग्रीमेंट, साल 2000 में रूस और अमेरिका के बीच हुआ था। इसके तहत दोनों देशों ने शीत युद्ध के दौरान बचे 34 टन हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम को नष्ट करने या परमाणु ईंधन में बदलने का वादा किया था, ताकि नए परमाणु हथियार न बन सकें। 2016 में रूस ने इसे निलंबित कर दिया था और अब पुतिन ने इसे पूरी तरह खत्म कर दिया है। यह परमाणु निरस्त्रीकरण का महत्वपूर्ण कदम था।

रूस-अमेरिका में बढ़ते तनाव का नतीजा

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में ट्रंप की कोशिशों के बावजूद भी पुतिन युद्ध को खत्म करने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। इस वजह से रूस और अमेरिका में तनाव बढ़ रहा है। अमेरिका जहाँ रूस को प्रतिबंधों के बोझ तले दबाना चाहता है, तो रूस ने भी अमेरिका के वार पर पलटवार के लिए प्लूटोनियम डिस्पोज़ल एग्रीमेंट खत्म कर दिया है।

स्थिति हो सकती है गंभीर

पुतिन की तरफ से प्लूटोनियम डिस्पोज़ल एग्रीमेंट को खत्म करने से स्थिति गंभीर हो सकती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे दोनों देशों के प्लूटोनियम भंडार बढ़ सकते हैं, जो परमाणु हथियारों के पुनर्निर्माण का जोखिम पैदा करता है।

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