कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के नेचर जर्नल में छपे शोध में बताया गया कि इस ट्रेंड की शुरुआत 2010 के आसपास हुई। यह ट्रेंड बना रहा तो पूरे ग्रह के घूर्णन को बदल सकता है। इससे रात के मुकाबले दिन लंबे हो सकते हैं। b
क्या आपने कभी नोटिस किया है कि पहले के मुकाबले अब दिन लंबे क्यों होते जा रहे हैं। क्यों अब सुबह 5 बजे ही तेज रोशनी होने लगी है? तो इसका कारण अब वैज्ञानिकों ने बताया है जो कि हमारी धरती के लिए खतरनाक भी है। पृथ्वी (Earth) अपनी धुरी पर करीब 1,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से घूमती है। एक चक्कर पूरा करने में इसे 23 घंटे 56 मिनट और 4.1 सेकंड लगते हैं। इसीलिए पृथ्वी के एक भाग में दिन और दूसरे में रात होती है। अब एक नई रिसर्च एक नए शोध में दावा किया गया है कि पृथ्वी के आंतरिक कोर के घूर्णन (Rotation) की रफ्तार में कमी आई है। घूर्णन एक दशक से ज्यादा समय से धीमा चल रहा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यही ट्रेंड कायम रहा तो दिन के समय की मियाद बढ़ सकती है। इस ट्रेंड के कारण स्पष्ट नहीं हुए हैं।
साइंस डेली की रिपोर्ट के मुताबिक कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के नेचर जर्नल में छपे शोध में बताया गया कि इस ट्रेंड की शुरुआत 2010 के आसपास हुई। यह ट्रेंड बना रहा तो पूरे ग्रह के घूर्णन को बदल सकता है। इससे रात के मुकाबले दिन लंबे हो सकते हैं। एक अन्य शोधकर्ता प्रोफेसर विडेल का कहना है कि धरती अपनी धुरी पर घूमती रहती है, लेकिन हमें इसका एहसास नहीं होता। आंतरिक कोर की बैकट्रैकिंग एक दिन की लंबाई को एक सेकंड के अंशों तक बदल सकती है।
शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के आंतरिक कोर के घूर्णन की रफ्तार को लगातार मॉनिटर किया। उनके मुताबिक आंतरिक कोर ठोस है, जो लोहे और निकिल से बनी है। यह हमारे ग्रह का सबसे गर्म और घना हिस्सा है, जहां तापमान 5,500 डिग्री सेल्सियस रहता है। आंतरिक कोर चांद के आकार की है और हमारे पैरों के नीचे करीब 3,000 मील से ज्यादा दूर है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इंसान चांद पर तो पहुंच गया, लेकिन पृथ्वी के आंतरिक कोर तक पहुंचना नामुमकिन है। भूकंपीय तरंगों के जरिए इस कोर का अध्ययन किया जा सकता है। कोर के भीतर होने वाली हलचल से उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी को हानिकारक सौर विकिरण और ब्रह्मांडीय कणों से बचाता है। भू-चुंबकीय क्षेत्र जीवों के लिए नेविगेशन सक्षम बनाता है।