India-China border tensions: अमेरिका से टैरिफ वॉर से तंग चीन अगर भारत के लिए अपने रुख में नरमी बरते तो उसके लिए हिन्दी चीनी भाई-भाई का नारा लाभ का सौदा साबित हो सकता है।
India-China border tensions: भारत और चीन के बीच कड़वाहट भरे रिश्ते (India-China border tensions) रहे हैं। अगर दोनों देशों की सेना अपनी अपनी सीमा से कुछ पीछे सरकें तो इन देशों में तनाव कुछ कम हो सकता है। प्रतिरक्षा सूत्रों का कहना है कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचॉक ( Depsang and Demchok in eastern Ladakh) क्षेत्रों में दोनों देशों के सैनिक आपसी सहमति से पीछे हटें तो रिश्तों (India-China relations) में मधुरता की उम्मीद बंध सकती है। वैसे भारत और चीन के बीच एलएसी,गलवान घाटी, डोकलाम और अरुणाचल प्रदेश को लेकर अब भी तनाव है।
दरअसल भारत और चीन के पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचॉक इलाकों से सेना हटाने की प्रक्रिया शुरू करना दोनों देशों के रिश्तों में कुछ नरमी का संकेत है, लेकिन स्थिति अब भी पूरी तरह सामान्य नहीं है, और भरोसे की कमी बनी हुई है।
ध्यान रहे कि भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है, लेकिन दोनों देशों की LAC की व्याख्या अलग-अलग है। यह अस्पष्टता दोनों सेनाओं के आमने-सामने आने और झड़प की स्थितियाँ पैदा करती हैं।
भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच जून 2020 में गलवान घाटी (लद्दाख) में हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए थे और चीन के भी कई सैनिक मारे गए थे। यह 45 वर्षों बाद पहली बार था जब भारत-चीन सीमा पर सैनिक मारे गए।
चीन ने सीमा पर सड़कें, हेलीपैड, बंकर और सैन्य ढांचे तेजी से तैयार किए हैं। ये गतिविधियाँ भारत की सुरक्षा के लिहाज़ से खतरे की घंटी हैं।
भारत ने भी लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें, पुल और हवाई पट्टियाँ बनाई हैं, जिससे चीन असहज है।
भूटान, भारत और चीन की सीमा से लगे डोकलाम क्षेत्र में चीन ने सड़क निर्माण शुरू किया था, जिस पर भारत ने आपत्ति जताई थी। इसके बाद भारत-चीन सेना 73 दिनों तक आमने-सामने रही थी।
चीन, अरुणाचल प्रदेश को "दक्षिण तिब्बत" मानता है और उसका हिस्सा बताता है।भारत इसे पूर्ण रूप से भारतीय राज्य मानता है।
चीन की "बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI)" और भारत की "एक्ट ईस्ट पॉलिसी" दोनों अलग दिशा में चलती हैं।
अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत) जैसे समूहों में भाग लेता है, जो चीन को घेरने की रणनीति माना जाता है। बहरहाल भारत और चीन सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर विकास कर रहे हैं, जिससे सैन्य गतिविधियों और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को बल मिल रहा है। सीमा पर स्थायी शांति और विश्वास बहाली ही भारत-चीन संबंधों को नई दिशा दे सकती है।