MNREGA: रियाध में चल संयुक्त राष्ट्र के कॉप-16 सम्मेलन में जारी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में मनरेगा को मॉडल बताया गया है।
MNREGA: दुनिया भर में सबसे अधिक पर्यावरण अनुकूल रोजगार एशिया-प्रशांत क्षेत्र में पैदा हो रहे हैं। इन रोजगारों में सबसे अधिक करीब 95 फीसदी योगदान भारत की मनरेगा योजना का है। रियाध में चल संयुक्त राष्ट्र के कॉप-16 (COP-16) सम्मेलन में जारी एक रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। इस सम्मलेन की मुख्य थीम दुनियाभर में बढ़ रहे रेगिस्तानीकरण से निपटने (United Nations Convention to Combat Desertification- UNCCD) पर है।
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में पर्यावरण अनुकूल रोजगार के तहत पहल के जरिए पैदा हुए 5 करोड़ 90 लाख अवसरों में से आधे रोजगार महिलाओं के हिस्से में आते हैं। इस रिपोर्ट को 'डिसेंट वर्क इन नेचर बेस्ड सॉल्यूशन्स 2024' का नाम दिया गया है। इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र की ओर से पारिस्थितिकी तंत्र बहाली दशक के मौके पर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की ओर से संयुक्त रूप से जारी किया गया है।
रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि पर्यावरण अनुकूल रोजगार न केवल जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को संबोधित कर सकते हैं, बल्कि रोजगार भी पैदा कर सकते हैं। यह पर्यावरण अनुकूल रोजगार को अपनाने से पैदा होने वाली नौकरियों की संख्या और गुणवत्ता के बारे में बात करता है, साथ ही इसके कारण बेहतर गुणवत्ता वाली नौकरियां पर्यावरण को बेहतर बनाने में योगदान दे सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इससे हासिल परिणाम, ऐसी वैश्विक नीतियों और निवेशों को बढ़ावा देने के काम करेंगे जिससे पर्यावरण अनुकूल रोजगार को बढ़ावा देने के साथ टिकाऊ समावेशी अर्थव्यवस्था और समाज-व्यवस्था को बनाने में मदद मिले। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में पर्यावरण अनुकूल रोजगारों की संख्या वैश्विक रोजगार 1.8 फीसदी ही है, जिसमें 95 फीसदी रोजगार भारत के मनरेगा योजना से पैदा होते हैं।
भारत के विख्यात पर्यावरणविद माधव गाडगिल को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनइपी) की ओर वर्ष 2024 के लिए 'पृथ्वी के छह चैंपियन' में शामिल किया गया है। बयान में कहा गया कि गाडगिल ने अनुसंधान और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से लोगों और पृथ्वी की रक्षा में दशकों बिताए हैं। वह भारत के पारिस्थितिक रूप से नाजुक पश्चिमी घाट क्षेत्र में अपने मौलिक कार्य के लिए प्रसिद्ध हैं।