अमेरिका में युवाओं के बीच एआई (AI) रोमांस तेजी से बढ़ रहा है, जहां कई इसे असली रिश्तों का विकल्प मानने लगे हैं। विशेषज्ञों का मानना हैं कि एआई चैटबॉट्स पर भावनात्मक निर्भरता मानसिक स्वास्थ्य, अकेलेपन और अटैचमेंट डिसऑर्डर का जोखिम बढ़ा सकती है।
अमेरिका में 25% युवा मानते हैं कि एआई पार्टनर असली रोमांस की जगह ले सकते हैं। 10% युवा एआई (AI) के साथ दोस्ती या रिश्ते के लिए पूरी तरह तैयार हैं, खासकर अविवाहितों में यह आंकड़ा 7% तक है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2030 तक यह ट्रेंड 15-20% तक पहुंच सकता है। कारण यह कि एआई चैटबॉट्स हमेशा उपलब्ध और बिना झगड़े के साथ देता है। ट्रेंड्स इन कॉग्निटिव साइंसेज जर्नल की रिपोर्ट में मनोवैज्ञानिकों ने चेताया कि चैटबॉट्स से भावनात्मक लगाव लत का रूप ले सकता है, जो अटैचमेंट डिसऑर्डर और अकेलेपन को बढ़ावा देगा। न्यूयॉर्क टाइम्स के ओपिनियन में कहा गया कि एआई साथी डोपामाइन रिलीज कर एडिक्शन पैदा करते हैं, जैसे कोई ड्रग का आदी हो। अगले 5 सालों में यह मानसिक डिसआर्डर बन सकता है, जो सिर्फ असली रिश्तों को कमजोर करेगा।
इंस्टीट्यूट फॉर फैमिली स्टडीज (IFS) और YouGov के संयुक्त सर्वे में 18-30 साल के 2,000 युवाओं से पूछा गया। 28% पुरुष और 22% महिलाओं ने कहा कि एआई पार्टनर मानवीय रोमांस बदल सकते हैं। अन्य यूजर्स में यह राय 21% तक है। सर्वे बताता है कि युवा एआई को सुरक्षित मानते हैं क्योंकि यह कभी अस्वीकार नहीं करता। रिपोर्ट के मुताबिक, कम आय वर्ग में एआई रोमांस तेजी से बढ़ रहा है।
व्हीटली इंस्टीट्यूट, ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में 3,000 अमेरिकी वयस्कों पर सर्वे हुआ। 18% ने माना कि उन्होंने एआई रोमांटिक पार्टनर से बात की। युवाओं में यह 21% तक पहुंचा। 16% युवाओं ने एआई को वास्तविक पार्टनर का अच्छा विकल्प माना। रिपोर्ट चेताती है कि रिप्लिका (Replika) जैसे ऐप्स डेटिंग कल्चर को बदल रहे, लेकिन फैमिली फॉर्मेशन पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं।
ट्रेंड्स इन कॉग्निटिव साइंसेज के अध्ययन में मनोवैज्ञानिकों ने एआई चैटबॉट्स के जोखिम बताए। उपयोगकर्ता 'आदी' महसूस करते हैं, जो अटैचमेंट डिसऑर्डर पैदा कर सकता है। नैतिक चिंताएं जैसे प्राइवेसी उल्लंघन और मैनिपुलेटिव डिजाइन पर जोर दिया। विशेषज्ञ कहते हैं कि एआई भावनाओं का फायदा उठाकर लोनलीनेस बढ़ाता है। साइकोलॉजिस्ट्स ने चेताया कि यह असली सलाह से अलग, सिर्फ यूजर की धारणाओं को मजबूत करता है।
नेचर जर्नल की 2025 रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने एआई साथियों के फायदे-नुकसान पर चर्चा की। लंबे समय की निर्भरता से मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। एडिक्शन सेंटर की स्टडी बताती है कि एआई चैटबॉट्स सुसाइडल या साइकोटिक लोगों के लिए खतरनाक हैं, क्योंकि ये भ्रमों को वैलिडेट करते हैं। साइकोलॉजी टुडे में 'एआई साइकोसिस' का जिक्र किया गया है जहां यूजर्स डेल्यूजनल हो जाते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि एआई को सिर्फ सपोर्ट टूल तक सीमित रखें।