Kartik Purnima Upay: कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली शुक्रवार 15 नवंबर को है। इस दिन स्नान दान, दीपदान आदि किए जाते हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है आज के दिन कौन से धार्मिक कार्य आवश्यक रूप से करना चाहिए।
Kartik Purnima Upay: कार्तिक महीना भगवान विष्णु को अत्यधिक प्रिय है। मान्यता है कि इस महीने में की गई पूजा पाठ भगवान विष्णु को आसानी से प्रसन्न करती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक महाबलशाली असुर का वध इसी दिन किया था।
इससे देवताओं को इस दानव के अत्याचारों से मुक्ति मिली और देवताओं ने खुश होकर भगवान शिव को त्रिपुरारी नाम दिया। इस दिन हरि (विष्णु), हर (शिव) की संयुक्त पूजा का भी विधान है। साथ ही कुछ ऐसे धार्मिक कार्य हैं जिन्हें करने से शनि दोष से राहत मिलती है। आइये जानते हैं क्या हैं कार्तिक पूर्णिमा पर किए जाने वाले कार्य ..
भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास के अनुसार देव दीपावली के दिन सभी देवता गंगा नदी के घाट पर आकर दीप जलाकर अपनी खुशी जताते हैं। इसीलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान का बहुत अधिक महत्व है।
इस दिन नदी और तालाब में दीपदान करना चाहिए। इससे सभी तरह के संकट समाप्त हो जाते हैं और कर्ज से भी मुक्ति मिलती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर के मुख्यद्वार पर आम के पत्तों से बनाया हुआ तोरण जरूर बांधे और दीपावली की ही तरह चारों और दीपक जलाएं।
डॉ. अनीष व्यास के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन शालिग्राम के साथ तुलसी जी की पूजा की जाती है। इस दिन तीर्थ पूजा, गंगा पूजा, विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा और यज्ञ और हवन का भी बहुत अधिक महत्व होता है।
इस दिन किए हुए स्नान, दान, होम, यज्ञ और उपासना का अनंत फल होता है। इस दिन तुलसी के सामने दीपक जरूर जलाएं, जिससे आपके मनोकामना पूरी हो और दरिद्रता दूर हो सके।
भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास का कहना है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान करने से दस यज्ञों के समान फल प्राप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपनी क्षमता अनुसार अन्न दान, वस्त्र दान और अन्य जो भी दान कर सकते हों वह जरूर करें। इससे घर परिवार में धन-समृद्धि और बरकत बनी रहती है।
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इसी दिन भगवान विष्णु का प्रथम अवतार हुआ था। प्रथम अवतार के रूप में भगवान विष्णु मत्स्य यानी मछली के रूप में प्रकट हुए थे। इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा करवाकर जातकों को शुभ फल की प्राप्ति हो सकती है।
कुंडली विश्लेषक डॉ. अनीष व्यास के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर तिल जल में डालकर स्नान करने से शनि दोष समाप्त होते हैं। खासकर शनि की साढ़ेसाती से राहत मिलती है। इसके अलावा कुंडली में पितृ दोष, चांडाल दोष, नदी दोष की स्थिति है तो उसमें भी शीघ्र लाभ होगा।