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महामृत्युंजय मंत्र जप में रखें ये 11 सावधानियां, मिलेगा सुख-समृद्धि और आरोग्य का वरदान

Precautions Mahamrityunjay Mantra: महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का अमोघ मंत्र है, कई मामलों में यह संजीवनी बूटी के समान है। इससे सभी कष्टों का निदान संभव है। आइये जानते हैं कब महामृत्यंजय मंत्र सबसे प्रभावकारी है और जप में क्या सावधानियां रखनी चाहिए (Maha mrityunjaya Mantra Hindi) ।

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Jun 19, 2025
precautions mahamrityunjay mantra jaap: महामृत्युंजय मंत्र जाप के समय क्या सावधानियां रखनी चाहिए (Photo Credit: Freepik)

Maha mrityunjaya Mantra Hindi: देवादिदेव महादेव को सरल, मुक्तिदाता और वरदान का देवता माना जाता है। इनकी आराधना से सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। भोलेनाथ के वेदमंत्रों का जाप से सुख समृद्धि और आरोग्य मिलता है। इसमें भी महामृत्युंजय मंत्र खास है, जयपुर के ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास से जानते हैं कि महामृत्युंजय मंत्र जाप में क्या सावधानियां रखनी चाहिए।

कब करें महामृत्युंजय मंत्र (Kab Kare Mahamritunjay Mantra Ka Jap)

1. भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास के अनुसार यदि कुंडली में ग्रह दोष है या ग्रहों से संबंधित कोई ऐसी पीड़ा है जिसका निवारण मुश्किल लग रहा है जैसे ग्रह गोचर, ग्रहों के नीच, शत्रु राशि या किसी पाप ग्रह से पीड़ित होने पर इस मंत्र का जाप फायदेमंद है।

2. गंभीर रोग हो और मृत्युतुल्य कष्ट होने की दशा में महामृत्युंजय मंत्र संजीवनी बूटी जैसा काम करता है।

3. जमीन संबंधी विवाद में इस मंत्र का जाप करने से फायदा मिलता है। किसी महामारी के फैलने की दशा में यह मंत्र कवच की भांति कार्य करता है।

4. राजकाज संबंधी मामले के बिगड़ने और धन-हानि होने की दशा में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से दिक्कत दूर होती है।

5. मेलापक में नाड़ीदोष और षडाष्टक की तकलीफ से भी इस मंत्र से लाभ होता है। धर्म-कर्म में मन न लगने पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।

6. किसी भी तरह के कलह-क्लेश में महामृत्युंजय मंत्र रामबाण औषधि के समान है।

महामृत्युंजय मंत्र जाप में रखें ये 11 सावधानियां (Maha mrityunjaya Mantra Hindi Jaap Vidhi Precautions)


भविष्यवक्ता के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र जाप करते समय विशेष सावधानियां जरूरी हैं। इन नियमों का पालन कर आप महामृत्युंजय मंत्र जाप का पूरा लाभ उठा सकते हैं और किसी भी तरह के अनिष्ट की आशंका भी समाप्त हो जाती है।

1.महामृत्युंजय मंत्र का जाप पूरी स्वच्छता और समर्पित भाव से करना चाहिए।

2. मंत्र जाप से पहले संकल्प लेना चाहिए। मंत्र जाप में मंत्र के उच्चारण की शुद्धता आवश्यक है।

3. मंत्र जप से पहले मंत्रों की एक निश्चित संख्या का निर्धारण कर लेना चाहिए। जितने मंत्रों का संकल्प लिया है उतनी संख्या पूर्ण होना चाहिए।

4. मंत्र जाप मानसिक यानी मन ही मन में या बहुत धीमे स्वर में करना श्रेष्ठ रहेगा। जप के समय दीपक जलता रहना चाहिए।

5. महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करना अति उत्तम रहेगा। 6. जपमाला को गौमुखी में रखकर जाप करना चाहिए, जिससे किसी की नजर उसके ऊपर न पड़े।

6. जप के समय शिवलिंग, शिव प्रतिमा, शिवजी की तस्वीर या महामृत्युंजय यंत्र सम्मुख होना चाहिए।

7. जप करते समय कुश के आसन पर बैठना चाहिए।

8. जपकाल में दूध मिले जल से शिवाभिषेक करते रहना चाहिए।

9. जपकाल में पूर्व दिशा की और मुख होना चाहिए। जप का स्थान और समय निश्चित होना चाहिए।

10. जप जितने दिनों तक चलता है उन दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

11. सात्विक आहार को ग्रहण करना चाहिए। किसी की भी बुराई से बचना चाहिए।

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