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इस विधि से निर्जला एकादशी पर पानी पीने से नहीं टूटता व्रत, पढ़ें व्रत के सारे नियम

Nirjala Ekadashi Par Pani Pine Ki Vidhi: निर्जला एकादशी व्रत आत्मिक शुद्धि और संयम का प्रतीक है। इस व्रत में उपासक न पानी पीते हैं और न ही कोई अन्न-फल ग्रहण करते हैं। लेकिन शास्त्रों में कुछ नियम बताए गए हैं जिनका पालन कर पानी पीने से भीमसेनी एकादशी व्रत भंग नहीं होता है। आइये जानते हैं वो नियम

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Jun 06, 2025
Nirjala Ekadashi Mein Pani Pine Ka Niyam: निर्जला एकादशी पर पानी पीने का नियम (Photo Credit: Freepik)

Nirjala Ekadashi Mein Pani Pine Ka Niyam: निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ महीने की भीषण गर्मी में पड़ता है। इस मौसम में व्रतियों को अत्यधिक प्यास लगती है। कभी-कभार स्थिति असहनीय तक हो जाती है। जबकि इस व्रत में पानी भी नहीं पी सकते, लेकिन शास्त्रों में एक विशेष विधि बताई गई है, जिससे इस व्रत में पानी पीने पर भी व्रत भंग नहीं होता। साथ ही व्रती को व्रत का पूर्ण फल भी मिल जाता है।

निर्जला एकादशी पर 2 बार पी सकते हैं पानी

वाराणसी के पुरोहित शिवम तिवारी के अनुसार निर्जला एकादशी के व्रत में केवल 2 बार जल ग्रहण करने की अनुमति है। पहला, जब आप निर्जला एकादशी को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करेंगे, तब पहली बार पानी का प्रयोग कर सकते हैं। इसके बाद जब आप निर्जला एकादशी व्रत के संकल्प के लिए आचमन करेंगे, तब दूसरी बार जल ग्रहण कर सकते हैं, स्नान और आचमन के अलावा जल का उपयोग नहीं करते हैं।


पुरोहित तिवारी के अनुसार वेद व्यास ने भीमसेन को बताया था कि निर्जला एकादशी व्रत में आचमन के लिए छ: मासे से ज्यादा पानी नहीं होना चाहिए। इस दिन अन्न, फल, जूस आदि भी वर्जित होता है।

निर्जला एकादशी पर जल पीने की विधि (Nirjala Ekadashi Par Pani Pine Ki Vidhi)

1.पहले 12 बार ॐ नमो नारायणाय मंत्र का जप करें।

2. एक थाली में शुद्ध जल भर लें, फिर घुटनों और भुजाओं को भूमि पर सटाकर, पशु की तरह थाली से जल पीयें।

3. सीधे हाथ से गिलास उठाकर जल नहीं पीना चाहिए। इस प्रक्रिया से शरीर और मन दोनों में विनम्रता आती है।

4. इसके बाद आप फिर व्रत को पूरी श्रद्धा से जारी रख सकते हैं।

    नोटः यह विधि केवल उसी स्थिति में अपनानी चाहिए, जब व्रती को ऐसा लगे कि अब जल न पीने पर जीवन संकट में आ सकता है।

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    निर्जला एकादशी व्रत किसे नहीं करना चाहिए (Nirjala Ekadashi Mein Pani Pine Ka Niyam)

    1.बालक, वृद्ध और बीमार व्यक्ति इस व्रत को नहीं करना चाहिए।

    2. गर्भवती महिलाओं को भी निर्जला एकादशी उपवास से बचना चाहिए।

    3. यदि आप शरीर से दुर्बल हैं तो केवल फलाहार करें और भगवान विष्णु का नाम स्मरण करें और व्रत करें।

      निर्जला एकादशी पर क्या करना चाहिए

      1.व्रत के दिन भजन-कीर्तन, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ और भगवद्गीता का पाठ करना चाहिए।

      2. पूरे दिन श्रीहरि विष्णु की उपासना करें और मानसिक, वाचिक और शारीरिक पवित्रता बनाए रखना चाहिए।

      3. द्वादशी तिथि में पारण से पूर्व ब्राह्मण या जरूरतमंद को जलदान और सात्विक भोजन कराना चाहिए।

        निर्जला एकादशी पर जलदान की विधि (Rules Of Jal Dan)

        1.एक पीतल या तांबे के कलश में शुद्ध जल भरें और उसे सफेद कपड़े से ढंक दें।

        2. ऊपर कुछ चीनी, धातु के सिक्के और सात्विक अनाज रखें।

        3. इस कलश को किसी योग्य ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान करें।

        4. इसके अलावा आप पंखा, छतरी, वस्त्र, फल आदि भी दान कर सकते हैं।

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