Shiva Puja In Sawan 2025: सावन में शिव पूजा के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि छोटी सी गलती भी पूजा का प्रभाव उल्टा कर सकती है। जानें, वो कौन सी गलतियां हैं जिन्हें सावन के इस पवित्र माह में शिव आराधना करते वक्त नहीं करना चाहिए।
Shiva Puja In Sawan 2025: शिव पूजन हिंदू धर्म में सबसे पवित्र और फलदायक माने जाने वाले कर्मों में से एक है। विशेषकर सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। भक्त पूरे मन और श्रद्धा से जल, बेलपत्र, दूध और धतूरा आदि अर्पित करते हैं, ताकि शिव की कृपा प्राप्त हो सके। लेकिन सिर्फ आस्था ही नहीं, नियम और मर्यादा का पालन भी जरूरी होता है।
भगवान शिव बहुत सरल और जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं, परंतु पूजन में की गई कुछ छोटी-छोटी गलतियां भी शिव कृपा की बजाय उनके क्रोध का कारण बन सकती हैं। धार्मिक शास्त्रों में शिव पूजन से जुड़े कुछ खास नियम बताए गए हैं, जिनका पालन न करने पर पूजा अधूरी मानी जाती है और फल की जगह विपरीत प्रभाव भी पड़ सकता है। यहां हम बता रहे हैं कुछ ऐसी आम गलतियां जो लोग अक्सर अनजाने या फिर लापरवाही में शिव पूजन के दौरान कर बैठते हैं। आइए जानें वो कौन-कौन सी भूलें हैं जिन्हें करने से बचना चाहिए।
शिवलिंग पर तुलसी पत्र चढ़ाना वर्जित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार तुलसी माता भगवान विष्णु को समर्पित हैं, जबकि शिवलिंग पर केवल बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल आदि ही चढ़ाने चाहिए।
शिव पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व है, लेकिन ध्यान दें कि जो बेलपत्र फटा हो, उस पर कीड़े लगे हों या उसमें तीन पत्तियां पूरी न हों, उसे चढ़ाना वर्जित माना जाता है। इससे पूजन निष्फल हो सकता है।
नारियल पानी शिव को नहीं चढ़ाया जाता क्योंकि यह उन्हें अर्पित करने योग्य नहीं माना गया है। शास्त्रों में इसका कोई विशेष उल्लेख नहीं है, और यह पूजा विधि के विरुद्ध माना गया है।
भगवान शिव वैरागी हैं और उन पर सिंदूर या हल्दी जैसे शुभता दर्शाने वाले पदार्थों का प्रयोग नहीं होता। ये विशेष रूप से देवी पूजन में उपयोगी होते हैं, शिवलिंग पर नहीं।
पूजन करते समय पवित्रता का ध्यान रखना जरूरी है। बेल्ट, चमड़े की चप्पल-जूते या अन्य ऐसी वस्तुएं पहनकर शिव मंदिर में प्रवेश करना धार्मिक दृष्टि से अनुचित है।
कुछ लोग शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद उसे पोंछते हैं या कपड़े से सुखाते हैं, यह पूरी तरह से निषेध है। शिवलिंग को जल अर्पण के बाद स्वतः सूखने दें, यही धार्मिक विधि के अनुसार उचित है।