(अमृतसर): पूरे देश में मंगलवार को धूमधाम से विजयादशमी का त्यौहार मनाया जा रहा है। मुहूर्त अनुसान विधिवत तरीके से हर जगह रावण दहन किया जाएगा। पर आज से एक साल पहली इसी तिथि को जलता रावण एक बड़े हादसे का गवाह बना था। अमृतसर के जोड़ा फाटक पर रेलवे ट्रैक के पास खड़े होकर रावण दहन देख रहे करीब 60 लोग ट्रेन की चपेट में आ गए थे। हादसा जितना दुखद और दर्दनाक था उसे भी बुरी बात यह है कि पीड़ित परिवार आज तक इंसाफ के लिए इधर—उधर भटक रहे हैं।
पिछले साल विजयादशमी (19 अक्टूबर ) को अमृतसर के जोड़ा फाटक के पास दशहरा मैदान में दशहरे का मेला लगा था। सभी लोग रावण दहन देख रहे थे। जैसे ही रावण जलने लगा लोग भागते हुए रैलवे ट्रैक की ओर बढ़ गए। तभी पठानकोट से अमृतसर आ रही ट्रेन ने सभी लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। 59 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि एक घायल बलदेव ने 23 फरवरी 2019 को इलाज के दौरान दम तोड़ा।
हादसे के बाद सरकार ने पीड़ित परिवारों को राहत देने के लिए कई घोषणाएं की थी। इनमें से बहुत कम को पूरा किया गया। मृतकों के परिवार को कुल 7 लाख पांच राज्य सरकार और 2 केंद्र सरकार की ओर से देने की बात कही गई थी। पांच लाख तो तभी दे दिए गए लेकिन बाकी 2 लाख के लिए लोग अभी भी भटक रहे हैं। 1 साल बीत गया पर अभी तक मृतकों के आश्रितों को नौकरियां नहीं मिली। साथ ही पीड़ित परिवार के बच्चों की शिक्षा पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कोई भी पीड़ित परिवारों की सुध नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह हो या फिर सांसद गुरजीत सिंह औजला सभी ने एक बात कही कि हमने तो कोई वादा नहीं किया जो वादा किया था नवजोत सिंह सिद्धू ने किया था। अब उसका दरवाजा खटखटाओ वही आपको यह सब चीजें मुहैया करवाएगा।
हादसे में घायल बलदेव के पुत्र राजेश कुमार के अनुसार ट्रेन की चपेट में आने से पिता की कमर टूट गई। वह पिता को एक के बाद दूसरे अस्पताल ले गए पर वह स्वस्थ नहीं हो सके। सारा ध्यान उनके इलाज पर केंद्रित रहा। 23 फरवरी को उनकी मौत हो गई। सरकारी रिकॉर्ड में मृतकों की सूची में उनका नाम दर्ज करवाने की परिवार ने पूरी कोशिश की। प्रशासनिक अधिकारियों ने एक भी नहीं सुनी। बलदेव की पत्नी कांता रानी का कहना है कि उनके देहांत के बाद परिवार टूट गया दाने-दाने को तरस रहे हैं। भाई बहनों से पैसे मांग कर घर का चूल्हा जला रहे हैं।
इधर हादसे की पूर्व संध्या पर शिरोमणि अकाली दल नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया ने रेल हादसा पीड़ितों के साथ कैंडल मार्च निकाला।
इधर मंगलवार को दशहरे के दिन फिर पीड़ित परिवार विभिन्न राजनेताओं के साथ जोड़ा फाटक पर पहुंचे। उनके हाथों में पोस्टर व बैनर थे। सभी सहायता की गुहार लगाते दिखाई दिए।
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