अशोकनगर

निर्माण पर सवाल: साढ़े 7 करोड़ की बिल्डिंग की हैंडऑवर से पहले मरम्मत,अब फिर दिखने लगीं दरारें

कॉलेज शिफ्ट होने से पहले ही कॉलेज बिल्डिंग में दरारें, गुणवत्ता पर सवाल।

3 min read
Nov 13, 2022
college building malpractices



अशोकनगर. जिले में शासकीय भवनों के निर्माण किस तरह जिम्मेदारों की अनदेखी का शिकार हैं, अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि साढ़े सात करोड़ रुपए की लागत से बनी कॉलेज बिल्डिंग की हैंडऑवर होने से पहले मरम्मत कराना पड़ी। वहीं कॉलेज शिफ्ट होने से पहले ही फिर से बिल्डिंग में जगह-जगह दरारें आने लगी हैं। इससे निर्माण की गुणवत्ता व जिम्मेदारों की अनदेखी पर सवाल उठने लगे हैं।
मामला शहर के लॉ कॉलेज बिल्डिंग का है। करीब साढ़े सात करोड़ रुपए लागत से बिल्डिंग का निर्माण हुआ है। लेकिन निर्माण पूर्ण होने के बाद जगह-जगह दरारें आ गई थीं, इससे कॉलेज ने अपने हैंडऑवर लेने से मना कर दिया गया था। बाद में निर्माण एजेंसी से नवनिर्मित भवन की मरम्मत कराई गई। जिसमें दरारों को छिपाने का प्रयास किया गया, लेकिन अभी भी दरारें निर्माण की हकीकत उजागर कर रही हैं। अभी स्थिति यह है कि सीढिय़ों के बीच व गैलरी में दरारें तो हैं ही, वहीं मुख्य गेट के ऊपर भी दरारों से सीमेंट का हिस्सा टूटकर गिर गया है। छत की बाउंड्री और छत पर जाने वाले रैंप के रास्ते में भी दरारें साफ दिख रही हैं। फिर भी जिम्मेदार इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
कैसा निर्माण: कई नवनिर्मित भवनों कराना पड़ी मरम्मत-
शहर के लॉ कॉलेज की बिल्डिंग का निर्माण पीआइयू विभाग ने कराया है। जिले में सिर्फ यही भवन नहीं, बल्कि पीआइयू की देखरेख में करोड़ों की लागत से बने कई अन्य शासकीय भवनों की भी निर्माण पूर्ण होने के तुरंत बाद मरम्मत कराना पड़ी। जिसमें क्षेत्र का व मुंगावली का छात्रावास भवन, मुंगावली कॉलेज भवन भी शामिल है, जिनमें निर्माण के तुरंत बाद दरारें आ गई व टॉयलेट्स टूट गए थे एवं प्लास्टर उखड़कर टपक गया था। जर्जर होती स्थिति को देखकर निर्माण पूर्ण होते ही मरम्मत कराई गई। वहीं मुंगावली क्षेत्र के पारकना में वर्ष 2018 में 90 लाख रुपए लागत से बना हाईस्कूल भवन भी जर्जर हो गया।
बड़ा सवाल: क्या भगवान भरोसे चलते रहे निर्माण कार्य?-
जिलेवासियों का कहना है कि आमजन जब अपने लाखों रुपए लागत के मकान बनवाते हैं तो उन्हें भी भरोसा रहता है कि चार से पांच दशक तक उन मकानों में मरम्मत की जरूरत नहीं पड़ेगी। जबकि आमजन तकनीकी रूप से दक्ष भी नहीं होता है। लेकिन पीआइयू विभाग की देखरेख में करोड़ों रुपए की लागत से बने शासकीय भवनों में निर्माण के तुरंत बाद मरम्मत कराना पड़ी। इससे लोगों का सवाल है कि निर्माण के दौरान विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने गुणवत्ता देखना तक मुनासिब नहीं समझा? कारण कुछ भी हो, लेकिन लोगों का कहना है कि जिले में करोड़ों के शासकीय निर्माण कार्य भगवान भरोसे चल रहे हैं।
यह भी खास-
- अभी शासकीय नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय परिसर में स्थित भवन में लॉ कॉलेज संचालित होता है, नया भवन बरखेड़ी गांव के पास पर बनाया गया है।
- नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय से करीब ढ़ाई किमी लॉ कॉलेज भवन बना है, जिसमें जल्दी ही लॉ कॉलेज को शिफ्ट किए जाने की तैयारी है।
- मारूप गांव से लॉ कॉलेज तक करीब 400 मीटर का कच्चा रास्ता है, दूसरा रास्ता करीब 800 मीटर का है, जिसमें रास्ते में गड्ढ़ों की समस्या है।
- कॉलेज प्राचार्य ने लॉ कॉलेज भवन तक सड़क निर्माण कराने जिला पंचायत व उच्च शिक्षा आयुक्त को पत्र लिखा है, जिपं ने उनकी सीमा में न होने की बात कही है।
वर्जन-
करीब साढ़े सात करोड़ रुपए लागत से लॉ कॉलेज भवन बना है। भवन बनने के तुरंत बाद दरारें आ जाने से हमने मरम्मत के लिए पत्र लिखा था। यदि फिर वही स्थिति बन रही है तो निरीक्षण करके विभाग को पत्र लिखेंगे। भवन कॉलेज के हैंडऑवर हो गया है, लेकिन मारूप गांव से कॉलेज तक कच्चा रास्ता है।
एएस लहरिया, प्रभारी प्राचार्य शा.नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय

Published on:
13 Nov 2022 12:01 am
Also Read
View All

अगली खबर