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जिले में ओवर कंट्रोल हुआ डेंगू-मलेरिया

मरीजों की संख्या बढ़ रही, लेकिन गंभीर स्थिति वाली जगहों पर नहीं किया जा रहा दवाओं का छिड़काव।

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gandagi

Ashoknagar Thousands of people are required to spend on treatment, but neither department is being surveyed nor efforts for disease control.

अशोकनगर. जिले में डेंगू-मलेरिया अब ओवर कंट्रोल हो चुका है। हालत यह है कि अब तक जिलेभर में 15 डेंगू पॉजीटिव मरीज मिल चुके हैं तो रोजाना ही अस्पतालों में मलेरिया के एक हजार मरीज पहुंच रहे हैं।

वहीं पड़ौसी जिले गुना में भी डेंगू ओवर कंट्रोल हो चुका है। इसके बावजूद भी जिले की बात तो दूर, शहर में भी बीमारियों से बचाव के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। जबकि शहर में ही करीब 10 मरीज डेंगू पॉजीटिव मिल चुके हैं।

पत्रिका ने शहर में विभाग और जिम्मेदारों की सजगता और डेंगू-मलेरिया नियंत्रण के लिए किए जा रहे प्रयासों की पड़ताल की, तो हकीकत भयावह नजर आई।

शहर के 6 0 फीसदी क्षेत्र में नालों और खाली प्लॉटों में जमा गंदे पानी मच्छरों की फैक्टरी बन चुके हैं और कचरे के ढ़ेर भी मच्छरों का ठिकाना बने हुए हैं। इससे जहां दिन के समय तो लोग मच्छरों की समस्या से परेशान हैं ही, वहीं शाम होते ही मच्छरों की संख्या इतनी बढ़ जाती है कि लोग घरों के बाहर भी नहीं बैठ पाते हैं।

लेकिन इसके बावजूद भी इन क्षेत्रों में अब तक दवाओं का छिड़काव नहीं हो सका है। शहरवासियों का कहना है कि नपा ने फॉगिंग मशीन चलवाई तो मच्छरों की समस्या से मुक्ति मिलने की उम्मीद थी, लेकिन फॉगिंग मशीन से ज्यादा लाभ नहीं मिला और समस्या जस की तस बनी हुई है।

यहां न तो मच्छरों को नष्ट करने के लिए दवाओं के छिड़काव पर गंभीरता दिखाई जा रही है और न हीं नालों और नालियों में जमा गंदे पानी में दवाएं डाली जा रही हैं। इससे ज्यादातर घरों में लोग बीमार हैं।

हकीकत से परे विभाग में डेंगू-मलेरिया के आंकड़े-
मलेरिया विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिलेभर में अब तक डेंगू के 15 पॉजीटिव मरीज मिल चुके हैं, तो वहीं मलेरिया के मरीजों की संख्या भी बहुत कम हैं। लेकिन हकीकत में जिलेभर की अस्पतालों में रोजाना मलेरिया के एक हजार से ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं।

वहीं डेंगू के मरीजों की संख्या भी वह दर्ज है, जिनकी पुष्टि विभाग द्वारा लिए गए सेंपल की जांच में हुई है। जबकि हकीकत में जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या इस आंकड़े से कई गुना ज्यादा है और जिले के लोग भोपाल, ग्वालियर, कोटा व दिल्ली में तक इलाज के लिए भर्ती हैं। वहीं मलेरिया के मरीजों में प्लेट्लेट्स भी गंभीर स्थिति तक घटने लगे हैं और रोजाना जिलेभर से आधा सैंकड़ा मरीजों को इलाज के लिए डॉक्टर अन्य शहरों के लिए रैफर कर रहे हैं।

नपा में भरी पड़ी दवा, फिर भी छिड़काव का इंतजार-
ऐसा नहीं है कि शहर में मच्छरों को मारने की दवाओं की व्यवस्था नहीं है। बल्कि शहर के पठार मोहल्ला स्थित फिल्टर प्लांट के पास बने मच्छर मारने की दवा भरी पड़ी है, वहीं शहर में कई जगहों पर दवा का छिड़काव भी हुआ है। लेकिन शहर का ज्यादातर क्षेत्र आज भी दवा के छिड़काव के इंतजार में मच्छरों की समस्या से जूझ रहे हैं।

इन तीन मामलों से जाने शहर की हकीकत-

1. घरों के पास नाले बने मच्छरों की फैक्टरी -
वार्ड क्रमांक 15, हिरियन के टपरा क्षेत्र। यहां से कई बड़े नाले निकले हुए हैं, पुलिया के निर्माण के बाद से ही नाले गंदे पानी से लबालब है और इनमें मच्छर पनप रहे हैं। रहवासी मच्छरों की समस्या से परेशान हैं और कई लोग बीमार भी हैं। लोगों का कहना है कि इलाज पर हजारों रुपए खर्च करना पड़ रहे हैं, लेकिन मच्छरों को खत्म करने के लिए यहां दवाओं का अब तक छिड़काव नहीं हुआ है।

2. घरों के बाहर भी नहीं बैठ पाते हैं लोग-
शहर के वार्ड क्रमांक 20 के गौशाला मोहल्ला इलाके में नाला गुजर हुआ था। इस बड़े नाले में भारी संख्या में मच्छर पनप रहे हैं और मोहल्ले के कई लोग बीमार हैं।

मच्छरों की समस्या की वजह से लोग शाम को घरों के बाहर भी नहीं बैठ पाते हैं और बदबू भी गंभीर समस्या बनी हुई है। कई बार शिकायत के बावजूद भी जिम्मेदार इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और न हीं अब तक यहां पर दवाओं का छिड़काव कराया गया है।

3. खाली प्लॉट में कचरे के ढ़ेर और गंदा पानी-
शंकर कॉलोनी में ज्यादातर परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले हैं, कॉलोनी में जगह-जगह नालियां गंदे पानी से भरी हुई हैं। वहीं तुलसी कॉलोनी में खाली प्लॉटों के कचरे के ढ़ेर और गंदा पानी जमा है।

जिनमें मच्छर पनप रहे हैं और रहवासी मच्छरों की समस्या से परेशान हैं। वहीं वार्ड क्रमांक 17 के निर्माणाधीन जैन भवन के पीछे के रहवासी भी इसी तरह से मच्छरों से परेशान हैं, जहां दवाओं का छिड़काव नहीं हुआ है।

घर के पास से निकले नाले की दो-तीन साल से सफाई नहीं हुई और न हीं कोई दवा का छिड़काव किया गया है। नाले में मच्छरों की वजह से शाम को घर के बाहर भी नहीं बैठ पाते हैं, फिर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

- जुगलकिशोर कोरी, वार्ड क्रमांक 20 गौशाला

नाले में मच्छरों की समस्या गंभीर बन गई है, घरों तक मच्छर घुस रहे हैं और मोहल्ले में बीमारियां फैल रही हैं। मैं खुद भी दो दिन से बीमार हूं। लेकिन दवाओं का छिड़काव नहीं हो रहा है।

- राजकुमार सिलावट, वार्ड क्रमांक 20 गौशाला