
Story of Bageshwar Dham
अशोकनगर. जो आलसी होते हैं, उन्हें जिंदगी में कुछ नहीं मिलता है और संसार मे कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। इसलिए यदि जिंदगी में सफल होना चाहते हो तो सूर्योदय से पहले जागना शुरू कर दो, घोड़ों की तरह दौडऩा शुरू करना पड़ेगा। जो ऐसा करता है वह किसी भी मंजिल व मुकाम को पा लेता है। चाहे वह भक्ति का मुकाम हो या पद का मुकाम। यह बात बागेश्वरधाम प्रमुख पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री ने श्रीमद्भागवत कथा में कही।
उन्होंने कहा कि बागेश्वर धाम में कोई जादू नहीं है कि परीक्षा दिए बगैर आप पास हो जाओ। बागेश्वर हनुमान जी तो एक सहारा हैं कि तुम भवर में फंस रहे होगे तो हनुमान जी तुम्हारा सहारा है, जो बांह पकड़कर तुमकों पार लगवा देंगे, लेकिन पढऩा तो तुमको ही पड़ेगा। कथा के दौरान सत्संग की महिमा बताते हुए उन्होंने कहा कि जिंदगी को जीना सीखना है तो उसके लिए सत्संग बहुत जरूरी है। आप अपनी कमाई से भौतिक सुख तो पा सकते हैं, लेकिन भव से पार करने में आपको भगवान की कथा ही काम आएगी। उन्होंने कहा कि कथा सुनने से मतलब कानों से सुनना नही, बल्कि उसे अपने चित्त में उतारना भी है। तुम्हारी जिदंगी में कोई बहुत बड़ा बदलाव न आ जाए तब तक उसे कथा मत मानना। जिस दिन सत्संग से तुम्हारी जिंदगी बदलना शुरू हो जाए तो समझ लेना कथा का असर होना शुरू हो गया है।
भीड़: सड़क पर रखे ऑटो तो लगा जाम, ट्रेनें भी फुल
बागेश्वरधाम प्रमुख की भागवत कथा में पहले ही दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। भीड़ का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि कथा स्थल पर पांडाल छोटा पड़ गया और श्रद्धालुओं को बाहर खड़े रहना पड़ा। वहीं शाम को कथा समाप्त होते ही सड़क पर भीड़ बढ़ गई और ऑटो चालकों ने सड़क पर ही ऑटो खड़े कर दिए, इससे जाम लग गया और करीब एक घंटे तक जाम की स्थिति बनी रही। वहीं देर शाम स्टेशन पर भी भारी भीड़ रही और ट्रेन में बैठने लोग पटरी पर खड़े नजर आए। साथ ही देर शाम ट्रेनें भी फुल होकर चलीं और ज्यादातर लोगों को बैठने के लिए भी जगह नहीं मिली।
यह भी खास
-सड़क पर श्रद्धालुओं की भीड़ होने से बागेश्वरधाम प्रमुख करीब एक घंटे की देरी से कथा स्थल पर पहुंच सके, इससे बड़ी संख्या में श्रद्धालु गेट पर स्वागत में खड़े हो गए।
-गेट पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढऩे से भीड़ को नियंत्रित करने वालंटियर और पुलिस जवान परेशान होते नजर आए, बाद में श्रद्धालु गेट से हटे और कथा पांडाल तक पहुंचे।
- पार्किंग स्थलों से श्रद्धालुओं को कथा स्थल तक पहुंचने करीब आधा किमी पैदल चलना पड़ा, तो वहीं मगरदा रास्ते पर धूल की समस्या से लोग परेशान होते नजर आए।
Published on:
24 Nov 2022 09:30 pm
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