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सीमा विवाद पर चीन और भूटान में सुलह, अलर्ट मोड पर भारत

Published: Oct 15, 2021 08:10:47 am

Submitted by:

Ashutosh Pathak

इस समझौते पत्र पर भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोर्जी और चीन के उप विदेश मंत्री वू जिनांघो ने हस्ताक्षर किए। यह समझौता एक वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान हुआ। इस कार्यक्रम में चीन के भारत में राजदूत सुन वेईडॉन्ग और भूटान के भारत में दूत मेजर जनरल वेटसोप नामग्येल भी मौजूद थे।
 

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नई दिल्ली।

चीन और भूटान के बीच सीमा विवाद पर सुलह हो गई है। दोनों देशों ने सीमा विवाद सुलझाने के लिए समझौता पत्र पर दस्तखत भी कर दिए हैं। वहीं, इस समझौते के तहत अब चीन और भूटान एक रोड मैप के तहत सीमा विवाद सुलझाने की कोशिश करेंगे। दूसरी ओर भारत ने इस मुद्दे पर बेहद सतर्क प्रतिक्रिया दी है।
इस समझौते पत्र पर भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोर्जी और चीन के उप विदेश मंत्री वू जिनांघो ने हस्ताक्षर किए। यह समझौता एक वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान हुआ। इस कार्यक्रम में चीन के भारत में राजदूत सुन वेईडॉन्ग और भूटान के भारत में दूत मेजर जनरल वेटसोप नामग्येल भी मौजूद थे।
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस समझौते पर भारत की ओर से प्रतिक्रिया देते हुए कहा, चीन और भूटान के बीच समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया जाना हमारी जानकारी में है। भूटान और चीन सीमा मुद्दे पर 1984 से वार्ता आयोजित कर रहे हैं। इसी तरह भारत भी चीन के साथ सीमा को लेकर वार्ता कर रहा है।
हालांकि, बागची ने इस बात का जवाब नहीं दिया कि भूटान ने इस समझौता पत्र पर हस्ताक्षर से पहले भारत को जानकारी दी थी या नहीं। दोनों देशों में बेहद नजदीकी संबंधों को देखते हुए यह माना जा रहा है भूटान ने भारत को इस फैसले की जानकारी जरूर दी होगी। वहीं, एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस मसले पर भारत की सतर्क प्रतिक्रिया समझने योग्य है, क्योंकि इस वक्त भारत खुद चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा विवाद में उलझा हुआ है। लेकिन भारत की निगाह चीन के हर कदम पर बनी हुई है।
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दरअसल, यह समझौता चीन और भारत के बीच डोकलाम में हुए विवाद के करीब चार साल बाद हुआ है। 2017 के जून महीने में चीनी सेना ने इस इलाके में सड़क निर्माण शुरू कर दिया। भूटान की तरफ मदद का हाथ बढ़ाते हुए भारतीय सेना डोकलाम तक पहुंच गई और उसने सड़क निर्माण कार्य रोक दिया। इसके बाद 73 दिनों तक दोनों देशों की सेनाएं उसी स्थिति में तैनात रहीं। राजनयिक बातचीत के बाद अगस्त में गतिरोध तो समाप्त हो गया लेकिन दोनों देशों के रिश्तों में ठंडापन आ गया।
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