
भूटान ने विवाद पर पेश की सफाई।
भूटान। (Bhutan) की तरफ से असम (Assam) के 25 गांवों का पानी रोकने की खबरों का खंडन किया गया है। इस पर सफाई देते हुए कहा गया है कि भूटान की तरफ से असम में जाने वाले पानी की सप्लाई में कोई रुकावट नहीं डाली गई है। भूटान के वित्त मंत्री ने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि भूटान से भारतीय राज्य असम तक पानी का प्रवाह स्थानीय लोगों के लिए जारी है। यहां पर सिंचाई के साधनों में कोई भी बाधा नहीं आई है। भूटान के अधिकारियों के अनुसार भारत के हमारे किसान मित्रों को दैफाम-उदलगुरी, समरंग-भंगातर, मोटोंगा-बोकाजुले और समद्रपोंगखार से पानी की निरंतर आपूर्ति की जा रही है।
क्या था मामला?
गौरतलब है कि इससे पहले खबर आई थी कि भूटान ने असम (Assam) के पास भारत की सीमा के पास सिंचाई के लिए चैनल का पानी छोड़ना बंद कर दिया है, जिससे इलाके के 25 गांवों के हजारों किसानों को पानी की किल्ल्त का सामना करना पड़ रहा है।
1953 से किसान पानी का कर रहे इस्तेमाल
बताया कि इस मामले में किसानों ने विरोध प्रदर्शन भी किया। पानी को रोकने के खिलाफ वे सड़कों पर उतर आए। दरसअल धान उगाने के लिए मानव निर्मित सिंचाई चैनल ‘डोंग’ से पानी बहता है। भारत और भूटान के किसान इस चैनल का इस्तेमाल 1953 से कर रहे हैं। इसके के बाद से ही असम के बक्सा और अन्य जिलों के किसान भूटान से आने वाले सिंचाई के पानी का इस्तेमाल कर धान की खेती करते रहे हैं। बताया जा रहा था कि भूटान के इस कदम से असम के करीब 25 गांवों के लोगों के लिए समस्या उत्पन्न होने का खतरा था। इन किसानों ने फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया।
भूटान के इस कदम को लेकर प्रदर्शन किया।
गौरतलब है कि असम के बक्सा जिले के किसानों के साथ ही सिविल सोसायटी के लोगों ने भी भूटान के इस कदम को लेकर प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कई घंटे तक रोंगिया और भूटान की सड़क को पूरी तरह से जाम कर दिया था। इन सभी लोगों ने केंद्र सरकार से बातचीत कर इस मसले का हल निकालने की अपील की। उनका कहना है की कि सरकार भूटान से इस मसले पर चर्चा करके इसका समाधान निकाले।
कोरोना वायरस के कारण भूटान में विदेशी नागरिकों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है। ऐसे में भारत-भूटान सीमा पर स्थित जोंगखार क्षेत्र में जाकर काला नदी के पानी को सिंचाई के लिए खेतों में लाते हैं। मगर उन्हें पानी लाने से वंचित किया गया। विरोध में किसानों का कहना है कि अगर सभी अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल का पालन हुआ तो पानी को सिंचाई के लिए नहर में डाला जा सकता है।
Updated on:
26 Jun 2020 01:18 pm
Published on:
26 Jun 2020 12:41 pm
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