प्रधानमंत्री बना तो मैंने सबसे पहले भारत से किया संपर्क: इमरान खान
इमरान खान ने कहा कि ‘भारत फासीवाद और चरमपंथ के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है और अगर इसने यह रास्ता नहीं छोड़ा तो यह कई टुकड़ों में विभाजित हो जाएगा।’ इमरान ने मलेशिया के एडवांस इस्लामिक स्टडीज इंस्टीट्यूट में अपने संबोधन में यह बात कही। एक सवाल के जवाब में इमरान ने कहा, ‘जब मैं प्रधानमंत्री बना तो मैंने सबसे पहले भारत से संपर्क किया। मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने समर्थन का यकीन दिलाते हुए कहा था कि हम अपने संबंधों को बेहतर बनाने के लिए जो कुछ हो सकेगा, करेंगे क्योंकि सबसे अधिक गरीब लोग हमारे इलाके में ही रहते हैं।’
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इमरान ने कहा, ‘क्षेत्र में गरीबी दूर करने का सबसे बेहतरीन तरीका यही है कि दोनों देश आपस में व्यापार करें। तनाव जितना कम होगा, दोनों देश रक्षा पर उतना ही कम खर्च करेंगे और व्यापार पर अधिक खर्च करेंगे। इससे खुशहाली आएगी।’
‘भारत हमेशा के लिए विभाजित हो जाएगा’
इसके बाद इमरान ने कहा, ‘भारत की ओर से हमारी पेशकश को लगातार ठुकराई जा रही है। इसकी कोई व्यावहारिक वजह नहीं है बल्कि वजह यह है कि भारत पर एक चरमपंथी विचार ने कब्जा कर लिया है। जो कुछ भारत में हो रहा है, वह भारतीय जनता के लिए बेहद खतरनाक है। इससे भारत हमेशा के लिए विभाजित हो जाएगा और इसके टुकड़े हो जाएंगे।’ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत में एक बड़ा अल्पसंख्यक तबका मौजूद है। और, हिंदुत्व फासीवादी विचारधारा ने 50 करोड़ लोगों को अलग कर दिया और अगर वे इसी डगर पर चलते रहे तो इन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अगर भारत में चरमपंथ का जिन एक बार बोतल से बाहर आ गया तो फिर उसे वापस बोतल में डालना मुश्किल हो जाएगा।’
इमरान की भारत से ‘हमदर्दी’
इमरान ने भारत से ‘हमदर्दी’ जताते हुए कहा, ‘मैं भारत से हमदर्दी का इजहार करते हुए कह रहा हूं कि जो कुछ वहां हो रहा है, वो इसके लिए सबसे बड़ी तबाही है क्योंकि फासीवादी सोच किसी और सोच को उठने नहीं देती है।’ उन्होंने कहा कि वह एक बार फिर भारत से वार्ता करने के प्रस्ताव को दोहरा रहे हैं। इमरान ने इस मौके पर पाकिस्तान-मलेशिया संबंध, विश्व के देशों के सामने इस्लाम की सही व्याख्या पेश करने, इस्लामोफोबिया से निपटने जैसे मुद्दों पर भी अपनी राय रखी।
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भारत की हमेशा रही है ये शर्त
गौरतलब है कि भारत ने हमेशा से इस बात पर जोर दिया है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह देना और भारत में आतंकवादी हमलों की साजिशें रचना बंद कर दे तो फिर वह उससे वार्ता के लिए तैयार है। आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा निर्णायक कदम नहीं उठाया जाना भारत को नामंजूर है और अच्छे रिश्ते की राह की सबसे बड़ी बाधा है।