भारतीय नौसेना अधिकारियों के अनुसार- इस अभ्यास में 28 पोत हिस्सा ले रहे हैं। जिनमें से 17 युद्धपोत मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया, म्यांमार, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, सिंगापुर, श्रीलंका और थाईलैंड के हैं। अभ्यास का यह दसवां संस्करण है और इसका उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना और समुद्री मार्ग में अवैध गतिविधियों को हटाना है। सन 1995 में यह अभ्यास शुरू हुआ था। इस अभ्यास को अब तक का सबसे बड़ा अभ्यास बताया जा रहा है।
नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार- ‘इस मौके पर होने वाले प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय आयोजन में 16 देशों के 39 प्रतिनिधि शामिल होंगे। एक मीडिया रिपोर्ट में नौसेना के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इसमें सभी देशों के प्रतिनिधि क्षेत्रीय सुरक्षा परिस्थितियों तथा चीन के बढ़ते दबदबे पर भी चर्चा करेंगे। उल्लेखनीय है कि पिछले महीने चीन ने 11 युद्धक जहाज पूर्वी हिन्द महासागर में उतारे थे। चीन के इन युद्धपोतों में एक ऐसा पोत भी शामिल है, जिस पर विमान और हेलिकॉप्टर उतर सकते हैं।
परेशान है चीन जानकारों के अनुसार चीन भारत के बढ़ रहे कद से परेशान है। चीन को डर है कि भारत उसकी राह का रोड़ा बन सकता है। इसके मद्देनजर चीन पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। साथ ही पिछले दिनों हिंद महासागर में भी चीन ने अपनी मौजूदगी बढ़ाई है। जानकारों की मानें तो इससे स्पष्ट हो रहा है कि चीन भविष्य में भारत पर दबाव बढ़ाने की तैयारियां कर रहा है। चीन ने भारत के साथ लगते देशों को आर्थिक मदद और विकास का लालच देकर अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहा है और ये सब कुछ सोची-समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि चीन, म्यांमार के क्याकप्यू में बंदरगाह बना रहा है। दिसंबर 2017 में श्रीलंका ने चीन को अपना हंबनटोटा पोर्ट 99 साल के लिए चीन को दिया था। अफ्रीकी देश जिबूती में भी चीन अपना पहला विदेशी सैन्य अड्डा बनाने में कामयाब हो चुका है। अब मालदीव में भी चीनी नौसेनिकों की मौजदूगी तय मानी जा रही है। पाकिस्तान के ग्वादर में चीन CPEC योजना के तहत मजबूत उपस्थिति दर्ज करा चुका है।