बढ़ गई तल्खी ऐसे संभावना जताई जा रही है कि भारत अपने हेलीकॉप्टर हटाने से पहले सितंबर में मालदीव में बनने वाली अगली सरकार के फैसले का इंतजार करना चाहता है। भारत चाहता है कि चुनाव के परिणाम का इंतज़ार किए जाए और हेलीकॉप्टर को हटाने पर फैसला स्थगित रखा जाए। फिलहाल मालदीव की ओर से भी इसपर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। मालदीव में ऐसी आशंका जताई जा रही है कि राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन चुनाव में छेड़छाड़ कर सकते हैं। हालांकि उम्मीद है सरकार के खिलाफ लोगों की नाराजगी से वह हार भी सकते हैं।
पेशो-पेश में भारत सरकार भारत सरकार की तरफ से अभी तक इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं लिया जा सका है। भारतीय अधिकारियों की ओर से इन सैन्य हेलिकॉप्टर्स को हटाने पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। इससे पहले मालदीव ने कहा था कि दोनों हेलिकॉप्टर्स हटाने के लिए 30 जून तक की समय सीमा निर्धारित की गई थी जिसका पालन किए जाना चाहिए था। इससे पहले खबरों में कहा गया था कि कहा गया था कि मालदीव को उपहार में दिए गए दो मिलिट्री हेलिकॉप्टरों और चालक दल के 48 सदस्यों के अभी कुछ महीने और मालदीव में रुके रहने की संभावना है।
लीज एग्रीमेंट हो चुका है खत्म इस बीच खबर आ रही है कि मालदीव को 2013 में दिए दोनों हेलिकॉप्टरों का लीज अग्रीमेंट पूरा हो चुका है। बाद में मालदीव सरकार ने संकेत दिया था कि वह इन दोनों हेलिकॉप्टरों और इनके स्टाफ को अपने यहां रखने के लीज का नवीनीकरण नहीं करेगी। आपको बता दें कि मालदीव में आपातकाल लगाए जाने के बाद दोनों देशों के संबंधों में तल्खी आ गई थी। इसके अलावा बीते दिनों बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने मालदीव को लेकर विवादित बयान दिया था, जिससे दोनों देशों के संबंधों में और खटास आई है।