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पाकिस्तान: फजलुर रहमान ने इमरान सरकार को बताया फर्जी, कहा- सेना प्रमुख पर कानून बनाने का हक नहीं

Published: Nov 29, 2019 10:58:49 pm

Submitted by:

Anil Kumar

फजलुर रहमान ने कहा कि जल्द से जल्द देश में मध्यावधि चुनाव होना चाहिए
फजलुर रहमान ने इमरान सरकार को फर्जी करार देते हुए कहा कि नई सरकार सेना प्रमुख पर कानून बनाए

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान में सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा को सेवा विस्तार दिए जाने के मामले पर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है। देश की सर्वोच्च अदालत ने बाजवा के 3 साल के सेवा विस्तार को खारिज करते हुए सशर्त 6 महीने का कार्यकाल बढ़ा दिया और सरकार को आदेश दिया कि इसे लेकर कानून बनाया जाए।

लेकिन अब इमरान सरकार के नाक में दम कर देने वाले जमीयते उलेमाए इस्लाम-एफ (JUI-F) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने एक बड़ा बयान दिया है।

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इमरान सरकार को सत्ता से हटाने व देश में नए सिरे से आम चुनाव कराने के लिए प्रयासरत फजलुर रहमान ने कहा है कि सेना प्रमुख के सेवा विस्तार-पुनर्नियुक्ति के मामले में मौजूदा संसद को कानून बनाने का हक नहीं है क्योंकि यह फर्जी है। उन्होंने कहा कि नई संसद को यह काम करना चाहिए।

मौलाना फजलुर रहमान ने सिंध प्रांत के सक्खर जिले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ये बात कही। उन्होंने कहा, ‘अदालत ने संसद से कानून बनाने को कहा है। हालांकि हम अदालत के आदेश का सम्मान करते हैं, लेकिन इस फर्जी संसद को यह कानून बनाने का अधिकार नहीं है क्योंकि इसके पास राष्ट्र का जनादेश और विश्वास नहीं है।’

जल्द से जल्द हो मध्यावधि चुनाव: फजलुर रहमान

फजलुर रहमान ने अपनी इस मांग को दोहराया कि मध्यावधि चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएं और अदालत के आदेश का पालन किया जाए। उन्होंने कहा कि अवैध शासक देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुके हैं।

प्रधानमंत्री इमरान पर निशाना साधते हुए फजलुर रहमान ने कहा कि देश के शासकों को कानून के बारे में पता ही नहीं है। उन्हें यह भी नहीं पता है कि अधिसूचना कैसे जारी की जाती है।

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उन्होंने कहा कि हाल ही में हुई सर्वदलीय कॉंफ्रेंस ने देश में जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग की है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

बाजवा को सशर्त मिला है 6 महीने के सेवा विस्तार

आपको बता दें कि पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट ने सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के सेवा विस्तार को इस शर्त के साथ मंजूरी दी है कि यह केवल छह महीने के लिए मान्य होगा।

इस छह महीने में सेना प्रमुख के सेवा विस्तार या फिर से नियुक्ति जैसे मामलों पर सरकार को संसद में कानून बनाना होगा। लेकिन, इमरान सरकार के लिए यह कानून बनाना आसान नहीं होगा क्योंकि उसके पास संसद में पर्याप्त संख्या बल नहीं है और उसे विपक्ष को इसके लिए राजी करना होगा।

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