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भूतों का शहर लग रहा पंजशीर, गांवों में सिर्फ बुजुर्ग और पशु दिखाई दे रहे

Published: Sep 18, 2021 11:45:25 am

Submitted by:

Ashutosh Pathak

तालिबान नहीं चाहता यहां के लोग पंजशीर से पलायन करें और इस इलाके को छोडक़र कहीं और जाएं। यहां जो लोग बचे हुए हैं, उन्होंने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि अब वे पंजशीर घाटी में आजाद महसूस नहीं कर रहे, क्योंकि तालिबानी लड़ाके गांवों में घुस गए हैं।
 

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नई दिल्ली।

अफगानिस्तान का पंजशीर प्रांत अब भूतों के शहर जैसा दिखने लगा है। यहां हर तरफ मातम पसरा है और सन्नाटा छाया हुआ है। पंजशीर के ज्यादातर लोग दूसरे शहरों की ओर पलायन कर गए हैं। इनमें से कई लोग काबुल में रह रहे हैं। पंजशीर प्रांत के गांव में अब ज्यादातर बुजुर्ग और पशु बचे हैं। उद्योग, कार्यालय और दुकानें बंद हैं। पंजशीर का ज्यादातर क्षेत्र तालिबान के कब्जे में आ चुका है।
हालांकि, तालिबान नहीं चाहता यहां के लोग पंजशीर से पलायन करें और इस इलाके को छोडक़र कहीं और जाएं। यहां जो लोग बचे हुए हैं, उन्होंने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि अब वे पंजशीर घाटी में आजाद महसूस नहीं कर रहे, क्योंकि तालिबानी लड़ाके गांवों में घुस गए हैं। घाटी में सभी मानवीय सहायता बंद कर दी गई है। इस वजह से यहां के नागरिक भागकर दूसरी जगह जा रहे हैं, जिससे उन्हें मदद मिल सके।
लोगों का कहना है कि पंजशीर में गांव एक-दूसरे से इस तरह कटे हैं कि उन्हें पता ही नहीं चल रहा कि बगल के गांवों में क्या हो रहा है। दूसरी ओर, पंजशीर के नेताओं का दावा है कि तालिबानी लड़ाकों से संघर्ष अब भी जारी है। वहीं, तालिबानी लड़ाकों का दावा है कि विरोधियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। वे हमारा विरोध नहीं कर सके और अब पूरे पंजशीर पर तालिबान का कब्जा हो चुका है।
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पंजशीर अफगानिस्तान एक अकेला ऐसा प्रांत है, जिस पर तालिबान पूरी तरह से कब्जा नहीं कर सका है। नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स यानी एनआरएफ ने दावा किया है कि तालिबानी लड़ाकों से लड़ाई अब भी जारी है अहमद मसूद अमरीका से लड़ाई जारी रखने के लिए मदद मांग रहा है। यह बातचीत वाशिंगटन में मौजूद एक मध्यस्थ के जरिए चल रही है। दावा यह भी किया जा रहा है कि अहमद मसूद और अफगानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह अब भी पंजशीर में डटे हुए हैं।
वहीं, कुछ दिन पहले खबर आई थी कि तालिबानी लड़ाकों ने अमरुल्लाह सालेह के भाई रोहुल्लाह सालेह की निर्मम हत्या कर दी थी और उनका शव दफानाने के लिए परिवार को नहीं दिया। तालिबानी लड़ाकों ने कहा कि यह शव इसी तरह सडऩे दिया जाएगा और यह दूसरों के लिए सबक होगा। रोहुल्लाह पंजशीर में तालिबानियों से मुकाबला कर रहे थे। वे एनआरएफ यानी नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट की एक यूनिट के कमांडर भी थे। रोहुल्लाह के भतीजे इबादुल्लाह सालेह ने मीडिया से बात करते हुए इसकी पुष्टि की थी कि तालिबानियों ने उनके चाचा को मार दिया है और शव को दफनाने भी नहीं दे रहे।
तालिबान को अफगानिस्तान में सबसे अधिक कहीं मशक्कत करनी पड़ी तो वह पंजशीर घाटी है। करीब 70 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा करने के बाद तालिबानी अब विद्रोहियों के गढ़ पंजशीर में नरसंहार कर रहे हैं। तालिबानी विद्रोहियों का समर्थन करने वालों को खोज-खोजकर मार रहे हैं। नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट के नेता अहमद मसूद अभी भी पंजशीर घाटी में मौजूद हैं। यही नहीं बहुत कम साथियों के साथ वह अब भी तालिबानी लड़ाकों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
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अहमद मसूद के अफगानिस्तान से भागकर तुर्की, ताजिकिस्तान या फिर किसी दूसरे देश में जाने की खबर पूरी तरह गलत है। मसूद अब भी पंजशीर घाटी में हैं और एक सुरक्षित स्थान पर हैं। इससे पहले, तालिबान की ओर से दावा किया गया था कि अमरुल्लाह सालेह और अहमद मसूद ताजिकिस्तान भाग गए हैं। वहीं, अब पंजशीर का करीब 70 प्रतिशत इलाका तालिबान के कब्जे में आ चुका है।
दावा किया जा रहा है कि तालिबान के पंजशीर में बड़े इलाके पर नियंत्रण करने के बावजूद अहमद मसूद के पास घाटी और वहां के सभी प्रमुख ठिकानों पर कब्जा है। इन जगहों पर मसूद के समर्थक मौजूद हैं और अपनी लड़ाई जारी रखे हुए हैं। तालिबान ने दावा किया है कि उसने पंजशीर घाटी पर कब्जा कर लिया है और इसके ठीक बाद तालिबान ने अपनी नई अंतरिम सरकार का ऐलान भी कर दिया था। बाद में अहमद मसूद ने तालिबान के इस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया था।
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