scriptअफगानिस्तान में फिर छिड़ सकती है जंग, रूस ने ताजिकिस्तान में भेजे 30 नए टैंक और घातक हथियार | Russia will send 30 new tanks to tajikistan and warn taliban | Patrika News

अफगानिस्तान में फिर छिड़ सकती है जंग, रूस ने ताजिकिस्तान में भेजे 30 नए टैंक और घातक हथियार

Published: Sep 12, 2021 11:06:58 am

Submitted by:

Ashutosh Pathak

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत का दोस्त ताजिकिस्तान अपने तेवर लगातार सख्त करता रहा है। तालिबान ने अपनी नई अंतरिम सरकार में अल्पसंख्यकों को सिर्फ तीन प्रतिशत की हिस्सेदारी दी है। इससे ताजिकिस्तान काफी नाराज है।
 

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नई दिल्ली।

तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर 28 दिन पहले कब्जा किया था। इसके बाद से वहां अलग-अलग तरह की हलचल लगातार देखी जा रही हैं। तालिबान ने दो बार के असफल प्रयास के बाद तीसरी बार में सरकार का गठन कर लिया। पंजशीर में अहमद मसूद के समर्थक लड़ाकों से जंग के बीच घाटी के 70 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा कर लिया। वहीं, पाकिस्तान ने वहां अपनी दखलअंदाजी काफी हद तक बढ़ा दी है।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत का दोस्त ताजिकिस्तान अपने तेवर लगातार सख्त करता रहा है। तालिबान ने अपनी नई अंतरिम सरकार में अल्पसंख्यकों को सिर्फ तीन प्रतिशत की हिस्सेदारी दी है। इससे ताजिकिस्तान काफी नाराज है। वहां के राष्ट्रपति इमामल रहमान ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि पंजशीर में तीसरे देश ने तालिबान को हमला करने में मदद की है।
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इस बीच, चीन ने खुलकर तालिबान का समर्थन किया है, मगर रूस फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोल रहा। रूस का तालिबान के प्रति रूख फिलहाल कोई समझ नहीं पा रहा। एक तरफ रूस, चीन और पाकिस्तान के साथ करीबी दिखा रहा है, तो दूसरी तरफ तालिबान के कट्टर दुश्मन ताजिकिस्तान से दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है।
वहीं, रूस ने ऐलान किया है कि वह ताजिकिस्तान में अगले दो से तीन महीने में अपने सैन्य अड्डे पर 30 नए टैंक भेजेगा। अमरीका के अफगानिस्तान से वापसी के बाद हाल ही में रूस ने ताजिकिस्तान की सेना के साथ बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास किया था। इस बीच, रूस ने कई अत्याधुनिक हथियार ताजिकिस्तान में स्थित अपने सबसे बड़े विदेश ठिकाने पर भेजे थे।
रूस के सेंट्रल मिलेट्री डिस्ट्रिक के टैंक कमांडर खानिफ बेगलोव ने कहा कि जल्द ही 30 अत्याधुनिक टैंक ताजिकिस्तान के ठिकाने पर भेजे जाएंगे। वहां रखे पुराने हथियारों से इनकी बदली होगी और पुराने हथियार हटा लिए जाएंगे। रूस ने एक और नई अंतरिम सरकार शपथ ग्रहण समारोह के लिए तालिबान के आमंत्रण को भी ठुकरा दिया था। इसके बाद ताजिकिस्तान ने भी अफगानिस्तान के प्रति अपना रुख कड़ा कर लिया है।
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दरअसल, रूस को डर सता रहा है कि तालिबान के कब्जे के बाद उसका असर मध्य एशिया के कई देशों पर पड़ सकता है। रूस अपनी सुरक्षा के लिए मध्य एशिया के देश ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान को बफर जोन के तौर पर इस्तेमाल करता है। रूस को लगता है कि तालिबानी लड़ाके ताजिकिस्तान के रास्ते चेचेन्या में घुस सकते हैं और वहां हिंसा फैला सकते हैं। चेचेन्या रूस का अशांत इलाका है।
वहीं, ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमामल रहमान ने अपने देश में कट्टरपंथियों के आने और उनकी विचारधारा को फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। बता दें कि अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान की सीमा करीब एक हजार 344 किलोमीटर मिलती है। इसमें ज्यादातर भूभाग पहाड़ी है और इन इलाकों में निगरानी करना मुश्किलभरा होता है।

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