
Sri Lanka Blasts: क्या आंतरिक आक्रोश से जूझ रहा है देश?
नई दिल्ली। जहां पूरी दुनिया में एक ओर रविवार को हर्षोल्लास के साथ ईसाई धर्म के लोग ईस्टर मना रहे थे वहीं श्रीलंका में एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरी दुनिया को गम में डूबो दिया। दरअसल श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में एक के बाद एक सीरियल बम धमाकों को अंजाम दिया गया। इस हमले में 200 से अधिक लोग मारे गए जबकि 500 से अधिक लोग घायल हो गए। फिलहाल इस घटना की जिम्मेदारी किसी भी संगठन ने नहीं ली है, लेकिन अब इसको लेकर दुनिया में कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। सबसे ज्यादा इस बात की आशंका जाहिर की जा रही है कि क्या श्रीलंका में वर्षों बाद एक बार से लिट्टे अपने वजूद को स्थापित करने की कोशिश कर रहा है? या फिर क्या इस धमाके के पीछे श्रीलंका का आतंरिक आक्रोश एक बड़ी वजह है?
वर्षों तक श्रीलंका में लगा रहा आपातकाल
बता दें कि, श्रीलंका में वर्षों से चले आ रहे गृहयुद्ध का अंत लगभग 2012 में हो गया था, लेकिन इसके बावजूद भी कई समूहों और संगठनों में सरकार के प्रति विद्रोह की भावना सुलगती रही। यही कारण है कि 2011 में आपातकाल के अंत की घोषणा के बाद फिर से बीते वर्ष 2018 के मार्च में श्रीलंका में आपातकाल की घोषणा करनी पड़ी। यह आपातकाल की घोषणा श्रीलंका के कैंड़ी जिले में सिंहल बौद्ध और अल्पसंख्यक मुसलमान समुदाय के बीच हिंसक झड़पों और मस्जिदों पर हमले के बाद किया गया था। सरकार ने 10 दिनों के लिए आपातकाल की घोषणा की थी। इसको लेकर विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंहे की कड़ी निंदा भी की थी। श्रीलंका में 1971 से 2018 तक यदि कुछ संक्षिप्त अंतराल को छोड़ दें तो करीब चार दशकों तक आपातकाल लागू था। 1983 के बाद से आपातकाल का लगातार विद्रोह किया जाता रहा। इसमें सबसे प्रमुख संगठन तमिल समूह लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (एलटीटीई) था, जिसे तमिल टाइगर्स के नाम से भी जाना जाता है। लिट्टे ने अलग-अलग राज्यों की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ मौर्चा खोल दिया। लिहाजा श्रीलंका में गृहयुद्घ के हालात बन गए और फिर आपातकाल लगाया गया था। इस कारण श्रीलंका में हिंसा का दौर जारी रहा। कई बड़े हमलों को अंजाम दिया गया। बहरहाल अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि इस हमले में किसका हाथ है, लेकिन जिस तरह से श्रीलंका का इतिहास रहा है, उससे यह शंका जाहिर हो रहा है कि श्रीलंका के आंतरिक संघर्ष ही इसके लिए जिम्मेदार है। हालांकि शुरूआती जांच के बाद नेशनल तौहीद जमात का नाम सामने आया है। नेशनल तौहीद जमात एक कट्टरपंथी मुस्लिमों का एक संगठन है।
Read the Latest World News on Patrika.com. पढ़ें सबसे पहले World News in Hindi पत्रिका डॉट कॉम पर. विश्व से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर .
Updated on:
22 Apr 2019 07:14 pm
Published on:
22 Apr 2019 07:07 am
बड़ी खबरें
View Allएशिया
विदेश
ट्रेंडिंग
