scriptअफगानिस्तान के इस इलाके पर कब्जा नहीं जमा सका है तालिबान, क्यों अभी तक अजेय बना हुआ है पंजशीर? | taliban did not capture panjshir until now, what makes him secure | Patrika News

अफगानिस्तान के इस इलाके पर कब्जा नहीं जमा सका है तालिबान, क्यों अभी तक अजेय बना हुआ है पंजशीर?

locationनई दिल्लीPublished: Aug 19, 2021 05:12:27 pm

Submitted by:

Mohit Saxena

पंजशीर ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस इलाके में अब तक तालिबान के कदम नहीं पड़े हैं।

panjshir

panjshir

काबुल। अफगानिस्तान में लगभग सभी अहम जगहों पर तालिबान ने अपना कब्जा जमा लिया है। मगर एक स्थान ऐसा भी है जहां पर तालिबान का राज नहीं है। पंजशीर ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस इलाके में अब तक तालिबान के कदम नहीं पड़े हैं। यहां पर अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) समेत कई बड़े नेता छिपे हुए हैं।

पंजशीर को ‘पंजशेर’ भी कहा जाता है। इसका अर्थ है पांच ‘पांच शेरों की घाटी’। यह क्षेत्र नॉर्दन अलायंस के पूर्व कमांडर अहमद शाह मसूद का गढ़ बताया जाता है। उन्हें यहां ‘शेर-ए-पंजशीर’ की उपाधी दी गई है। अफगानिस्‍तान के 34 प्रांतों में सिर्फ इस जगह पर तालिबान अब तक नहीं पहुंच सका है। 70 और 80 के दशक में सोवियत सेना ने भी इस जगह को छीनने की कोशिश करी थी मगर वह इसे जीत नहीं सके। यहां तक पहुंचने के लिए इसके दुगर्म रास्ते लोगों को चकरा देते हैं।

ये भी पढ़ें: तालिबान अब दिखा रहा अपना असली चेहरा, भारत संग व्यापार पर लगाई रोक, ड्राई फ्रूट्स समेत कई चीजें हो सकती हैं महंगी

तालिबान के खिलाफ डटकर खड़ा रहा

काबुल के उत्‍तर में 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस घाटी के बीच पंजशीर नदी बहती है। हिंदुकुश के पहाड़ भी इससे अधिक दूर नहीं हैं। पंजशीर तक पहुंचने के लिए एक अहम हाइवे भी है, जिससे हिंदुकुश के दो पास का रास्‍ता निकलता है। 1980 के दशक में यह सोवियत संघ और फिर 1990 के दशक में तालिबान के खिलाफ डट कर खड़ा रहा।

अंतरराष्ट्रीय ताकत द्वारा जीता नहीं जा सका

अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति रहे अमरुल्लाह सालेह का जन्म पंजशीर प्रांत में हुआ था। पंजशीर हमेशा प्रतिरोध करता रहा। इसलिए इसे कभी भी किसी भी संगठन या अंतरराष्ट्रीय ताकत द्वारा जीता नहीं जा सका है। पंजशीर घाटी के हर जिले में ताजिक जाति के लोग मिलते हैं। ताजिक असल में अफगानिस्‍तान के दूसरे सबसे बड़े एथनिक ग्रुप हैं। देश की आबादी में इनका हिस्‍सा 25-30 प्रतिशत है।

भौगोलिक बनावट ही इसकी सबसे बड़ी ताकत

नॉर्दर्न अलायंस 1996 और 2001 के बीच तालिबानी शासन का विरोध करने वाला विद्रोही समूह का गठबंधन था। इसमें अहमद शाह मसूद, अमरुल्लाह सालेह के अलावा करीम खलीली, अब्दुल राशिद दोस्तम, अब्दुल्ला अब्दुल्ला, मोहम्मद मोहकिक, अब्दुल कादिर, आसिफ मोहसेनी शामिल थे। ऐसा कहा जाता है कि इस क्षेत्र की भौगोलिक बनावट ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है। इसके दुगर्म और सकरे रास्ते सुरक्षा कवच की तरह काम करते हैं। इस कारण कोई भी सेना यहां पर पहुंचने की हिम्मत नहीं जुटा पाती है। यह इलाका चारों ओर से ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से घिरा हुआ है। इसके रास्ते चलकर मंजिल तक पहुंचना कठिन है।

ये भी पढ़ें: Afghanistan पर कब्जे के बाद भी Taliban रहेगा कंगाल, जानिए क्या है वजह

512 गांवों में आज भी बिजली और पानी की सप्‍लाई नहीं

पंजशीर पर कब्‍जे की हर कोशिश अब तक नाकाम रही है। अफगानिस्‍तान पर जब अमरीका बम बरसा रहा था तो उस वक्‍त भी पंजशीर उससे अछूता रहा। यहां पर न कोई खूनी संघर्ष हुआ, ना ही कोई आपदा आई। सात जिलों वाले इस प्रांत के 512 गांवों में आज भी बिजली और पानी की सप्‍लाई नहीं होती। रोज कुछ घंटे जेनरेटर चलाकर लोग अपना काम चलाते हैं। बताया जाता है कि पंजशीर की जमीन में अनमोल पन्‍ने का भंडार है। इसे अभी छुआ नहीं गया है। अगर यहां पर माइनिंग का इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर तैयार होता है तो इलाका काफी तेजी से विकसित होगा। पंजशीर के लोग निडर हैं। उन्हें युद्ध से डर नहीं लगता है। वे कहते है कि उन्हें कभी भी हथियार उठाने पड़ सकते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि तालिबान सीधा हमला नहीं करेगा।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो