
पाकिस्तान: तहरीक-ए-लब्बैक लीडर खादिम रिजवी और अफज़ल कादरी पर मामला दर्ज, आसिया बीवी मामले में हिंसा फैलाने का आरोप
लाहौर। पाकिस्तान में तहरीक-ए-लब्बैक के सुप्रीम लीडर और वरिष्ठ नेता अफजल कादरी समेत 500 लोगों पर आसिया बीवी मामले में हिंसा और उपद्रव फैलाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। दो दिन तक हुई इस हिंसा में पाकिस्तान के कई शहरों में जमकर तोड़फोड़ की गई। पुलिस ने कहा है कि 11 अलग-अलग आरोपों में रिजवी समेत कई लोग नामजद किए गए हैं। इन लोगों पर पाकिस्तान के कई शहरों में दंगे भड़काने, शांति भंग करने और सड़कें जाम कर जन-जीवन अस्त व्यस्त करने का आरोप है।
उपद्रवियों पर कार्रवाई
पाकिस्तान के आंतरिक मंत्रालय ने कहा है कि उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने कहा है कि इस बात की पूरी तरह जांच की जाएगी कि कौन-कौन से लोग इस हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं। फिलहाल तो इन उपद्रवों में अब तक किसी की मौत के समाचार नहीं हैं। सरकारी दावों के अनुसार इस हिंसा में अरबों की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। बता दें कि ईशनिंदा के मामले में एक ईसाई महिला आसिया बीबी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के बाद पाकिस्तान में जमकर बवाल हुआ था।बुधवार को ईशनिंदा मामले में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने ईसाई महिला आसिया बीबी को आरोप मुक्त करते हुए बरी कर दिया था। उसके बाद पाकिस्तान के कई शहरों में फैसले के खिलाफ बवाल शुरू हो गया। बुधवार देर शाम तक मामला इस कदर बिगड़ गया कि खुद पीएम इमरान को हालात पर काबू करने के लिए सामने आना पड़ा। हालांकि अब पाकिस्तान सरकार और उपद्रवियों के बीच समझौता हो गया है, लेकिन अब भी पाकिस्तान के कई इलाकों में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
क्या है मामला
पाकिस्तान में ईसाई समुदाय की महिला आसिया बीबी पर इस्लाम का अपमान करने का आरोप था। 2010 में आसिया बीबी को दोषी करार दिया गया था। उन्हें निचली अदालत द्वारा मौत की सजा दी गई थी। लेकिन आसिया बीबी ने खुद को बेकसूर बताया था। बुधवार को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में ईशनिंदा की दोषी ईसाई महिला आसिया बीबी की फांसी की सजा को पलटते हुए उसे बरी कर दिया था। उसके बाद पाकिस्तान में धार्मिक राजनीतिक संगठन तहरीक-ए-लब्बैक के कार्यकर्ताओं ने कई शहरों में इस फैसले के खिलाफ उपद्रव और दंगा शुरू कर दिया था।
कौन हैं खादिम रिजवी
तहरीक-ए-लब्बैक या 'रसूल अल्लाह' के संस्थापक खादिम हुसैन रिजवी के बारे में कुछ साल पहले ही चर्चा में आए थे। साल 2017 में लाहौर की पीर मक्की मस्जिद के धार्मिक उपदेशक रहे 52 वर्षीय खादिम को शोहरत तब मिली जब ईशनिंदा क़ानून में संशोधन के खिलाफ उन्होंने एक लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी और उसमें जीत हासिल की। हालांकि उनके संगठन के ऊपर कई गैर कानूनी कार्यों में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं। 2017 में खादिम हुसैन रिजवी ने आधिकारिक तौर पर तहरीक-ए-लब्बैक की स्थापना की और उसी साल सितंबर में उन्होंने लाहौर की एक सीट से उप चुनाव भी लड़ा। उपचुनाव में 7 हजार वोट लाकर सबको हैरत में डाल दिया था। पिछले दिनों हुए पाकिस्तान के चुनाव में उन्होंने वर्तमान पीएम इमरान खान का समर्थन किया था।
Updated on:
04 Nov 2018 08:39 am
Published on:
04 Nov 2018 08:15 am
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