इस बीच आर्मेनिया ने देश में मार्शल लॉ लागू करते हुए अपनी सेनाओं को बॉर्डर की तरफ कूच करने का आदेश दिया है। अभी तक दोनों ओर से किए गए हवाई और टैंक हमले में कई सैनिक हताहत हुए हैं।
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आर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया है कि अजरबैजान के तीन टैंकों और दो हेलीकॉप्टरों को मार गिराया गया है। हालांकि अजरबैजान की ओर से आर्मेनिया के दावे को खारिज कर दिया है। हालांदि दोनों ही देशों ने हमले में सामान्य नागरिकों के मारे जाने की पुष्टि जरूर की है।
अजारबैजान ने शुरू किया हमला
सोवियत रूस से अगल हुए आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच नागोर्नो-कारबाख क्षेत्र को लेकर लंबे समय से विवाद है। लंबे समय से दोनों देश इसपर अपना अधिकार जताते रहे हैं। इसी को लेकर बीते जुलाई में दोनों देशों में झड़प हुई थी, जिसमें 16 लोगों की मौत हुई थी। अब एक बार फिर से दोनों देशों में जंग छिड़ गई है।
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आर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए बताया है कि अजरबैजान ने सबसे पहले हमले की शुरुआत की। बयान में कहा गया है कि अजरबैजान की सेना ने क्षेत्रीय राजधानी Stepanakert के रिहायशी इलाकों पर स्थानीय समयानुसार सुबह 08:10 बजे हमला शुरू कर दिया।
हमले के जवाब में आर्मेनिया के सैनिकों ने अजरबैजान के दो हेलीकॉप्टरों और तीन ड्रोनों को मार गिराया है। इसके अलावा तीन टैंकों को भी उड़ा दिया है। आर्मेनिया ने टैंको को निशाना बनाने को लेकर एक वीडियो भी जारी किया है।
इसलिए छिड़ी है जंग
बता दें कि 1994 की लड़ाई के बाद से नागोर्नो-कारबाख क्षेत्र अजरबैजान के नियंत्रण में नहीं है। लेकिन अजरबैजान इसे अपना क्षेत्र मानता है और अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे अजरबैजान का ही हिस्सा माना जाता है। उससे पहले 1991 में इस इलाके के लोगों ने खुद को अजरबैजान से स्वतंत्र घोषित करते हुए आर्मेनिया का हिस्सा घोषित कर दिया था।
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इस क्षेत्र में भारी संख्या में दोनों देशों की सेनाएं तैनात हैं। करीब 4,400 किलोमीटर में फैला नागोर्नो-कारबाख का ज्यादातर हिस्सा पहाड़ी है। दोनों देशों में भड़के युद्ध को लेकर रूस के रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए तुरंत युद्ध रोकने की मांग की है। रूस ने कहा है कि वह मध्यस्थता कर सकता है लेकिन, इसके लिए युद्धविराम की तत्काल जरूरत है।