
साल का आखिरी सूर्य ग्रहण
ज्योतिष में सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण का विशेष महत्व होता है। अश्विन कृष्ण अमावस्या यानी 14 अक्टूबर शनिवार को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगने वाला है। धर्म ग्रंथों के अनुसार सूतक काल में शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। इस समय सूतक काल में घर से बाहर भी नहीं निकलना चाहिए। बल्कि घर में एक जगह रहकर पूजा पाठ करना चाहिए। वहीं खगोलविदों के अनुसार जब चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है तो सूरज की रोशनी धरती तक नहीं पहुंच पाती, इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं।
क्या है रिंग ऑफ फायर
दरअसल, 14 अक्टूबर शनिवार के दिन लग रहा यह सूर्य ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse) या कंकणाकृति सूर्य ग्रहण है। इसे ही रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है। खगोलविदों के अनुसार जब वलयाकार सूर्य ग्रहण लगता है तो चंद्रमा पृथ्वी से अपनी सामान्य दूरी से अधिक दूर होता है, जिसके चलते यह सूर्य से छोटा नजर आता है और ग्रहण लगने पर ऐसा प्रतीत होता कि आसमान में रिंग ऑफ फायर (Ring Of Fire) यानी आग की रिंग बनी हुई है। इसी के चलते इस सूर्य ग्रहण को रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है।
कहां दिखेगा सूर्य ग्रहण
भोपाल में विज्ञान प्रसारक सारिका घारू के अनुसार शनिवार को लग रहा सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं है। सूर्यास्त के समय यह सूर्य ग्रहण अमेरिका, अफ्रीका, मेक्सिको, सेंट्रल अमेरिका, कोलंबिया, ब्राजील आदि में वलयाकार सूर्यग्रहण के रूप में नजर आएगा। घारू के अनुसार यह ग्रहण पथ दक्षिणी कनाडा के तट से प्रशांत महासागर में शुरू होगा और भारतीय समय के अनुसार रात्रि 8 बजकर 33 मिनिट 50 सेकंड पर आरंभ होगा। वहीं एन्युलर सूर्यग्रहण रात 11 बजकर 29 मिनट 32 सेकंड पर अधिकतम स्थिति में होगा । इसके बाद रात्रि 2 बजकर 25 मिनिट 16 सेकंड पर यह समाप्त हो जाएगा । ग्रहण के समय चंद्रमा की आकृति बहुत छोटी होगी।
भारत में सूतक काल मान्य या नहीं
इधर, ज्योतिषियों का कहना है वैसे तो सूर्य ग्रहण के नौ घंटे पहले ही सूतक काल लग जाता है। लेकिन चूंकि भारत में सूर्य ग्रहण दृश्य ही नहीं होगा। इसलिए अपने देश में सूतक काल मान्य नहीं है।
अगला सूर्य ग्रहण आठ अप्रैल को
सारिका ने बताया कि एन्यूलर या वलयाकार सूर्यग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा, सूर्य को पूरी तरह ढंक नहीं पाता है क्योंकि वह पृथ्वी से दूर होता है । इस स्थिति में चंद्रमा के चारों ओर प्रकाश का एक घेरा बन जाता है । वलयाकार ग्रहण के दौरान कोरोना नहीं दिखाई देता है । वहीं अगला सूर्यग्रहण 8 अप्रैल को पूर्ण सूर्यग्रहण और 2 अक्टूबर को वलयाकार सूर्यग्रहण होगा, लेकिन ये भी भारत में दिखाई नहीं देंगे ।
ग्रहण के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
1. एक साल में अधिकतम 5 सूर्यग्रहण और 2 चंद्रग्रहण हो सकते हैं।
2. एक साल में न्यूनतम 2 सूर्यग्रहण तो होंगे ही ।
3. सामान्य रूप से साल में 4 ग्रहण होते हैं ।
सूर्य ग्रहण के प्रमुख तथ्य
गणितीय अनुमान के अनुसार सन 3000 तक से विगत 5 हजार सालों में 11898 सूर्यग्रहण की गणना की गई है, जिसमें लगभग 35 प्रतिशत आंशिक ग्रहण 33 प्रतिशत वलयाकार ग्रहण 27 प्रतिशत पूर्णसूर्यग्रहण तथा 5 प्रतिशत हाईब्रिड सूर्यग्रहण हैं ।
Updated on:
14 Oct 2023 01:14 pm
Published on:
13 Oct 2023 02:43 pm
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