
Maa Mahagauri puja : इस पूजा से पाएं माता महागौरी का आशीर्वाद, जानिए सही पूजन विधि और मंत्र
Maa Mahagauri puja : नवरात्रि का आठवां दिन महागौरी माता (Maa Mahagauri) को समर्पित है। माता की इस दिन पूजा करने से सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। जीवन में खुशियां भी बनी रहती है और जीवन में आने वाली बाधाँए भी दूर होती है।
हिन्दू धर्म में नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी माता (Maa Mahagauri puja) की पूजा का विशेष महत्व है। महागौरी को नवदुर्गाओं में से आठवी देवी माना जाता है। महागौरी माता पार्वती का दिव्य रूप मानी जाती है। सफेद वस्त्र और आभूषण के कारण उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा जाता है। माता की चार भुजाएं है, जिनमें से एक में अभय मुद्रा और दूसरे में त्रिशूल धारण किया हुआ है। महागौरी का वाहन वृषभ (बैल) है, इसलिए उन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। महागौरी को प्रसन्न करने के लिए भक्तजन इस दिन व्रत रखते हैं। और पूजा में मंत्र उच्चारण भी करते है। इस दिन देवी की पूजा करके लोग उनकी कृपा प्राप्त करते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
पंचाग कहती है कि नवरात्रि की अष्टमी तिथि को 10 अक्टूबर दिन गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और 11 अक्टूबर, दिन शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन देवी महागौरी (Maa Mahagauri) की पूजा के लिए शुभ महुर्त सुबह 6 बजकर 20 मिनट से सुबह 7 बजकर 47 मिनट रहेगा। अमृत काल में सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 14 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
नवरात्रि के आठवे दिन पूजा से पहले स्नान व स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए। इसके बाद एक चौकी पर माता महागौरी (Maa Mahagauri) की प्रतिमा स्थापित करें। माता को फूलों और दीपक से सजाँए और धूप, दीप ,फल, मिठाई, चंदन, रोली, अक्षत आदि अर्पित करें। महागौरी को प्रसन्न करने के लिए विशेष मंत्रों का जाप करें। अंत में आरती और व्रत कथा का पाठ करें।
“ॐ देवी महागौर्यै नमः”
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।
भागवत पुराण के अनुसार, देवी पार्वती अपनी तपस्या के दौरान कंदमूल व फलों का सेवन करती थी बाद में माता ने केवल वायु पीकर ही तप करना आरंभ कर दिया था। माता पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ। और इससे उनका नाम महागौरी (Maa Mahagauri) पड़ा। महागौरी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको गंगा में स्नान करने के लिए कहा जब पार्वती गंगा में स्नान करने गईं, तब देवी का एक स्वरूप श्याम वर्ण के साथ प्रकट हुआ। जो कौशिकी कहलाया और एक उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ, जो महागौरी कहलाया। महागौरी अपने हर भक्त का कल्याण करती हैं और उनको सभी समस्याओं से मुक्ति भी दिलाती हैं।
पुराणों के अनुसार, महागौरी (Maa Mahagauri) को आठ साल की उम्र में ही अपने पूर्व जन्म की घटनाओं का आभास होने लगा था। महागौरी ने इसी उम्र से ही भगवान शिव को अपना पति मान लिया था। माता गौरी ने शिव को पति रूप में पाने के लिए तपस्या भी शुरू कर दी थी। इसलिए अष्टमी तिथि को महागौरी (Maa Mahagauri) के पूजन का विधान माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन दुर्गा सप्तशती के मध्यम चरित्र का पाठ करना विशेष फलदायी होता है। जो 9 दिन का व्रत नहीं रख पाते हैं, वे पहले और आठवें दिन का व्रत कर पूरे 9 दिन का फल प्राप्त कर सकते हैं।
Published on:
10 Oct 2024 03:20 pm
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