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April 2022 Rashi Parivartan- अप्रैल 2022 में 8 ग्रह कर रहे हैं राशि परिवर्तन, जानें दिखाएंगे कौन सा रंग

Astrology : अप्रैल 2022 में शनि, गुरु और राहु समेत सभी 9 ग्रहों का राशि परिवर्तन

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Deepesh Tiwari

Mar 26, 2022

rashi parvartan list of April 2022

rashi parvartan Calender of April 2022

ग्रहों की हर माह बदलने वाली चाल प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करती है। ऐसे में ग्रहों की दशा दिशा में बदलाव के चलते जीवन में भी अनेक तरह के परिवर्तन देखने को मिलते हैं। पिछले कई माह में हुए बदलाव हर राशि को प्रभावित करते रहे हैं। लेकिन कई सालों में पहली बार अप्रैल 2022 की तरह परिवर्तन होने जा रहा है। दरअसल ज्योतिष के 9 ग्रहों में से 8 ग्रह आने वाले अप्रैल 2022 में अपना राशि परिवर्तन करे जा रहे हैं। ज्योतिष में यह घटना असाधारण मानी जा रही है।

अप्रैल 2022 में ग्रहों में होने जा रहे परिवर्तनों को ऐसे समझें
ज्योतिष के जानकार पंडित एके शुक्ला के अनुसार अप्रैल 2022 में होने वाले परिवर्तनों की श्रेणी में सर्वप्रथम सोमवार, 07 अप्रैल को देवसेनापति मंगल ग्रह मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे, जिसके बाद नवग्रहों के राजकुमार बुध ग्रह मंगलवार, 08 अप्रैल को मेष राशि में गोचर करेंगे। जिसके पश्चात राक्षस ग्रह राहु-केतु शनिवार, 12 अप्रैल को अपनी राशि में परिवर्तन करेंगे। वहीं इनके बाद देवगुरु बृहस्पति रविवार, 13 अप्रैल को मीन राशि में प्रवेश करेंगे।

यहां ये माना जा रहा है कि देवगुरु में ये बदलाव कई राशि के जातकों को अच्छे फल प्रदान करेगा। इसके बाद मेष संक्रांति पर सोमवार, 14 अप्रैल को नवग्रहों के राजा सूर्य मेष राशि में जाएंगे। जबकि इसके बाद मीन राशि में रविवार, 27 अप्रैल को दैत्यगुरु शुक्र भी प्रवेश कर जाएंगे। इसके बाद अप्रैल का आखिरी परिवर्तन न्याय के देवता शनि मंगलवार, 29 अप्रैल को अपनी ही राशि कुंभ में करेंगे। जहां तक नवे ग्रह चंद्र की बात है तो यह हर सवा दो दिन में राशि बदल देता है। अत: अप्रैल 2022 में इसके परिवर्तन के इसके प्रभाव को कम देखते हुए इसे नहीं जोड़ा गया है।

पंडित शुक्ला के अनुसार एक ही महीने में इतने ग्रहों का परिवर्तन बेहद खास है, जो विशेष स्थिति को दर्शाता है। वहीं ग्रहों का ये परिवर्तन आगामी लंबे समय तक अपना प्रभाव दिखता रहेगा। अप्रैल 2022 में हो रहे परिवर्तनों में जहां सूर्य का अपनी उच्च राशि में गोचर सरकारी व्यवस्था से लाभ या सरकार को लाभ दर्शा रहा है। वहीं ये शिक्षा,अनुसंधान,राजनीति के क्षेत्र में बड़े बदलाव की ओर इशारे कर रहा है। वहीं शनिवार 14 मई 2022 तक बन रही राहु और सूर्य की युति भी राजनीति के क्षेत्र में बड़े परिवर्तन का संकेत दे रही है। जानकारों के अनुसार किसी उच्चस्तरीय राजनेता का राहु और सूर्य की यह युति इस्तीफा लेकर रहेगी।

अप्रैल 2022 में राशि परिवर्तनों का असर
पं. शुक्ला के अनुसार ग्रहों के इतनी अधिक संख्या में परिवर्तन दुनिया में किसी बड़े बदलाव की ओर इंगित कर रहे हैं। जिसके चलते कई जगहों पर पुरानी व्यवस्था समाप्त होने के साथ ही नई व्यवस्था के आने की संभावना है। मेष राशि में राहु का गोचर व्यवस्थाओं में पूरी तरह से परिवर्तन का है। जबकि तुला राशि में केतु का प्रवेश, सामाजिक व्यवस्थाओं मजबूती का कार्य कर सकता है।

गुरु के परिवर्तन का असर
इस परिवर्तन के साथ ही देवगुरु बृहस्पति अपनी ही स्वमित्व वाली राशि मीन में आ जाएंगे। ऐसे में जानकारों का मानना है कि देवगुरु की यह चाल कोरोना से राहत देगी। इसके साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में इस दौरान विस्तार होगा। विद्या के कारक हैं देवगुरु बृहस्पति अपने इस परिवर्तन से देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाते दिख रहे है। साथ ही इस दौरान लोगों में धर्म के प्रति आस्था में भी इजाफा होगा।

इसके पश्चात देवगुरु और शुक्र की युति विवादों को सुलझाने और लोगों में सामंजस्य बनाए रखने का भी कार्य करेगी। इस दौरान किसी बड़े नेता या धर्मगुरु के जीवन के खतरे की भी ओर यह युति इशारा करती दिख रही है। कुल मिलाकर इतने ग्रहों का परिवर्तन नकारात्मक के साथ साथ कई प्रकार के सकारात्मक प्रभाव भी विश्व पर छोड़ेंगे।

मंगल-शनि की युति का ज्योतिषीय विश्लेषण
मंगल और शनि की अप्रैल 2022 में युति विस्फोट, आगजनी की घटनाओं और किसी बड़ी दुर्घटना की ओर संकेत दे रही हैं। इसके अलावा इस दौरान कोई आतंकवादी घटनाएं बढ़ने के अलावा हवाई दुर्घटना व ट्रेन दुर्घटना या कोई बड़ा हादसा भी देखने को मिल सकता है। इसके अलावा दुनिया के किसी बड़े राष्ट्राध्यक्ष को भी इस दौरान किसी बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। सरकार इस दौरान कोई ऐसा नया कानून भी ला सकती है जिसका जनता विरोध करें। ध्यान रहे ज्योतिष में कभी भी मंगल व शनि की युति को श्रेष्ठ नहीं माना गया है। इस समय शनि, मंगल के साथ, मंगल के धनिष्ठा नक्षत्र में होने से, मंगल- शनि की राशि में उच्च के बैठे हैं। ऐसे में दोनों ही ग्रह ताकतवर स्थिति में हैं। जिसके कारण कोई अंतरराष्ट्रीय सीमा विवाद संभव है। इसके अलावा इस दौरान किसी सुनामी का असर भी देखने को मिल सकता है।

साल 2022 में ग्रहण और इनके असर
ज्योतिष के अनुसार इन ग्रहों के परिवर्तन का सर्वधिक प्रभाव तीन महीने के अंदर दिखेगा, इसका कारण यह है कि इसी समय दो ग्रहण लगेंगे, जो पश्चिमी देशों में दिखाई देंगे। दरअसल 30 अप्रैल का सूर्य ग्रहण और 16 मई का चंद्र ग्रहण पश्चिमी देशों में स्पष्ट दिखाई देगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन क्षेत्रों में ग्रहण दिखता है वहां इन ग्रहणों का नकारात्मक असर अवश्य पड़ता है। ऐसे में माना जा रहा है कि ग्रहों में इस बदलाव के फलस्वरूप पश्चिमी देशों में उथल-पुथल का माहौल दिख सकता है। शनि व मंगल की युति मई में किसी बड़े भूकंप की ओर इशारा करती दिख रही है। इन ग्रहण का भारत पर ज्यादा प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा है।

भारत पर इन ग्रहों के बदलाव का असर
ज्योतिष के जानकारों व पंडितों का कहना है कि जहां तक भारत की बात करें तो आजाद भारत की कुंडली वृषभ लग्न की है। इस पर महादशा चंद्रमा की चल रही है, जो कि तृतीय भाव में है और उसमें अंतर्दशा धनेश और पंचमेश की चल रही है। इसके साथ ही गुरु का गोचर भी भारत की कुंडली के लाभ भाव में हैं जबकि दशम भाव से शनि का गोचर होगा। भारत को संघर्ष से उन्नति की ओर बुध की महादशा लेकर जाएगी।

इसका अर्थ ये है कि विपरीत परिस्थितियां में भी भारत उन्नति की ओर ही आगे बढ़ेगा। इस दौरान पर्यटन क्षेत्र में गति मिल सकती है। जबकि इस समय न्याय प्रणाली बेहतर होती दिख रही है। साथ ही व्यापार में वृद्धि के चलते भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी। इस दौरान भारत को धन लाभ के कई अवसर मिलने के बीच ही कई लोगों का बड़े पैमाने पर पलायन भी हो सकता है। इस दौरान नौकरी में तबादले का कारण भी सभी ग्रहों में बदलाव से जुड़ा दिख रहा है।

इस दौरान कुछ नए नियम कानून देश में बन सकते हैं। तकनीक के क्षेत्र में विस्तार के बीच भारतीय सीमा पर कुछ विवाद होने की भी संभावना है। देश में इस दौरान कुछ हद तक प्राकृतिक आपदा की स्थिति महसूस की जा सकती हैं। मंगल की राशि में बुध का गोचर शेयर मार्केट में उथल-पुथल ला सकता है। जनता में डर पैदा हो सकता है। दशम भाव में मंगल व शनि की युति भारत में नेतृत्व की क्षमता को दिखाएगी।

परेशानियों से बचने के उपाय
ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए हर रोज सुबह सूर्य को जल अर्पित करें। इसके अलावा शिवलिंग पर हर रोज सुबह कच्चा दूध चढ़ाने से भी कई तरह के अशुभ प्रभाव आप पर अपना असर दिखाने में सफल नहीं हो पाएंगे। मंगल के दुष्प्रभावों से बचने के लिए भगवान शिव पर हर मंगलवार लाल फूल चढ़ाएं और मसूर की दाल का दान करें।

बुध के दुष्प्रभावों से बचने के लिए हर बुधवार श्रीगणेश जी की विशेष पूजा करें। गुरु के दुष्प्रभावों से बचने के लिए भगवान शिव को हर गुरुवार बेसन के अलावा शिवलिंग पर पीले फूल चढ़ाएं। शुक्र के दुष्प्रभावों से बचने के लिए शुक्रवार को शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं। शनि के दुष्प्रभावों से बचने के लिए प्रत्येक शनिवार को तेल का दान करें। राहु-केतु के दुष्प्रभावों से बचने के लिए भैरव महाराज की विशेष पूजा करें।


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