
चंद्रमा का महत्व
ज्योतिषियों के अनुसार नौ ग्रह और बारह घर होते हैं। ये ग्रह लगातार विचरण या गोचर करते रहते हैं और हर समय किसी न किसी भाव में स्थित होते हैं। इसी तरह चंद्रमा भी विचरण करता है, चूंकि यह बौद्धिक शक्ति, समृद्धि, मातृत्व, कल्याण की भावना, खुशी, स्त्रीत्व और सुंदरता, नजरिये, मन, जल आदि का कारक है। इसलिए यह व्यक्तित्व के निर्माण और जीवन के लिए प्रमुख भूमिका निभाता है। किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति से ही उसके भावनात्मक जरूरतों, ताकत और कमजोरियों का पता चलता है।
ज्योतिष में चंद्रमा का महत्व
ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा सबसे छोटा ग्रह है और पृथ्वी के सबसे करीब है। ऐसे में मनुष्य पर चन्द्रमा का प्रभाव अत्यधिक होता है, इसलिए जन्म कुंडली के विश्लेषण में चन्द्रमा की स्थिति के बारे में विचार करना जरूरी होता है। इसी कारण जातक के जीवन की प्रमुख और उपावधि भी चंद्रमा के नक्षत्र पर आधारित होती है। जहां सूर्य आत्मा का कारक है, वहीं चंद्रमा मन का कारक माना जाता है। इसी कारण सूर्य ग्रहण के समान चंद्र ग्रहण भी विशेष होता है।
जन्म कुंडली में राशि भी चंद्रमा के आधार पर ही तय होती है और चंद्रमा की स्थिति से व्यक्ति के भविष्य का विश्लेषण किया जाता है। अगर कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अशुभ हो तो व्यक्ति के जीवन में परेशानियां रहती हैं।
चंद्रमा की और खासियतें
ज्योतिष के अनुसार, अगर जन्म की तिथि शुक्ल पक्ष की पांचवी तिथि से कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के बीच हो, तो चंद्रमा शुभ फलदायी होता है, जबकि जन्म रात्रि में हुआ हो और चंद्रमा अपनी होरा में हो, तो इसे सबसे अधिक शुभ माना जाता है। लेकिन चंद्रमा की स्थिति 6, 8 और 12वें भाव में होना अशुभ होता है। चंद्रमा के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है, उसका मन विचलित रहता है और वह खुद को अकेला सा महसूस करता है। ज्योतिष में इसके लिए कई उपाय भी बताए गए हैं, जिससे आप चंद्रमा के अशुभ प्रभाव को शुभ बना सकते हैं।
चंद्रमा के दूसरे ग्रहों से संबंध
मित्र: सूर्य और बुध
तटस्थ: मंगल, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु
शत्रु : कोई नहीं
चंद्रमा के गोचर के परिणाम
वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा सबसे तेज चाल से चलने वाला ग्रह है। यह हर 2-1/4 दिन के बाद राशि बदलता है। चंद्रमा का गोचर त्वरित बदलाव के लिए जिम्मेदार होता है। चंद्रमा का सिंह और कुंभ राशि में गोचर अनुकूल परिणाम देता है। वहीं वृष और कर्क राशि चंद्रमा के लिए पसंदीदा स्थान होते हैं, जबकि वृश्चिक राशि में चंद्रमा शुभ फल नहीं देता है। जब चन्द्रमा पहले, तीसरे, छठे, दसवें या ग्यारहवें भाव में गोचर करता है तो शुभ फल देता है वर्ना कई तरह की चुनौतियों का कारण बनता है।
कुंडली में चंद्रमा मजबूत होने के लाभ
ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा मजबूत स्थान पर होता है तो आनंद, उत्साह प्रदान करता है और मन शांत रहता है। ज्योतिषियों के अनुसार चंद्रमा सबसे शक्तिशाली तब होता है जब वह वृश्चिक लग्न के लिए 9वें घर में होता है। इसके साथ ही केंद्र में सातवें घर में वृष राशि में उच्च का होता है। यह नवें घर का स्वामी होता है, जो भाग्य की तरफ इशारा करता है।
हालांकि, चंद्रमा सातवें घर में है तो जातक को धन, धन, प्रसिद्धि और सामाजिक स्थिति मिलती है। बृहस्पति और शुक्र जैसे शुभ ग्रहों से युति अच्छे परिणाम पाने की संभावना रहती है।
कुंडली में चंद्रमा कमजोर होने के नुकसान
जन्म कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है तो यह तनाव, चिंता, अवसाद, आत्महत्या की प्रवृत्ति और निराशावादी दृष्टिकोण का कारण बनता है। कमजोर चंद्रमा आपकी कल्पना, कॅरियर, पेशे और पूरे जीवन को प्रभावित करने के साथ ही आपके मस्तिष्क पर भी असर डालता है। कमजोर चंद्रमा की स्थिति जातकों के लिए कई तरह से हानिकारक हो सकती है। इसके अलावा जब चंद्रमा राहु, केतु और शनि क्रूर ग्रहों से पीड़ित होता है तो यह मनोवैज्ञानिक विकार, अवसाद, माइग्रेन, पागलपन, कमजोर स्मृति, अनिर्णय जैसी स्थिति ला सकता है।
अशुभ चंद्रमा को शुभ बनाएंगे ये ज्योतिष उपाय
Updated on:
23 Aug 2023 03:28 pm
Published on:
23 Aug 2023 03:27 pm
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