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धनु संक्रांति आज : शुभ फल के लिए इस घड़ी में करें दान -पुण्य, सूर्य देव की कृपा से बरसेगा धन बढ़ेगा वैभव

पंडित जगदीश शर्मा के मुताबिक धनु संक्रांति का महत्व क्या है और आज के दिन क्यों किया जाता है दान-पुण्य...

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भोपाल। आज सूर्य की धनु संक्रांति है। सूर्य की धनु में प्रवेश की घटना को ही धनु संक्रांति कहा जाता है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। संक्रांति में हमेशा ही सूर्य का महत्व होता है। दरअसल सूर्य सभी ग्रहों के राजा हैं और साक्षात देव हैं। आज सूर्य देव ने वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश किया है। पंडित जगदीश शर्मा के मुताबिक धनु संक्रांति का महत्व क्या है और आज के दिन क्यों किया जाता है दान-पुण्य...

धनु संक्रांति 2022 का क्षण
सूर्य देव ने आज 16 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 11 मिनट पर वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश कर लिया है। प्रवेश का यही समय धनु संक्रांति का क्षण होता है। इसके साथ ही खरमास भी शुरू हो गया है।

धनु संक्रांति 2022 का पुण्यकाल
आज की धनु संक्रांति का पुण्य काल सुबह 10 बजकर 11 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 42 मिनट तक है. इस समय पुण्य काल की कुल अवधि 05 घंटे 31 मिनट की है। धनु संक्रांति का महापुण्य काल 01 घंटा 43 मिनट का है। यह सुबह 10 बजकर 11 मिनट से लेकर सुबह 11 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।

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धनु संक्रांति का फल
सूर्य की धनु संक्रांति विद्वान और शिक्षित लोगों के लिए शुभ फल देने वाली है। लोगों की सेहत में सुधार की संभावनाएं हैं। धन-धान्य में वृद्धि होगी। हालांकि लोगों को कुछ चिंताएं भी सता सकती हैं, जिससे उनको भय हो सकता है।

धनु संक्रांति में स्नान दान
धनु संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। पितरों को जल से तर्पण किया जाता है। उसके बाद सूर्य देव को जल, फूल, अक्षत, चंदन से अघ्र्य दिया जाता है। इसके बाद गर्म कपड़े, तिल, गेहूं, कंबल आदि का दान किया जाता है। माना जाता है कि इससे पुण्य मिलता है।

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यहां पढ़ें सूर्य पूजा का महत्व
- संक्रांति के दिन स्नान के बाद लाल या नारंगी वस्त्र पहनकर सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए।
- ये रंग सूर्य देव का प्रिय रंग माना जाता है।
- सूर्य देव को लाल रंग के फूल चढ़ाने चाहिएं।
- सूर्य मंत्रों का जाप करना चाहिए।
- इस दिन आप सूर्य देव को तिल और चावल की खिचड़ी का भोग लगाएं। इससे सूर्य देव अतिप्रसन्न होंगे। - सूर्य देव की कृपा से आपको जीवन में सफलता, धन, धान्य, सुख आदि की प्राप्ति होगी।
- सूर्य पूजा के समय आप आदित्य हृदय स्रोत का पाठ कर सकते हैं।