6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Tuesday Special: शनि से लेकर राहु-केतु तक की अशुभता से ऐसे पाएं राहत

- इस कार्य से होती है बुद्धि और मान-सम्मान में वृद्धि

3 min read
Google source verification

image

Deepesh Tiwari

Sep 11, 2023

batuk_bhairav_for_relief.png

,,

मंगलवार का दिन केवल हनुमानजी या मां दुर्गा की ही नहीं बल्कि बटुक भैरव का भी होता है, ऐसे मे इस दिन इनकी पूजा कई मायनो में खास होती है, राहु-केतु सहित शनि को भी शांत करने में भैरव की पूजा विशेष मानी गयी है।

दरअसल हिंदु धर्मावलंबी देवी-देवताओं के अनेक स्वरूपों की पूजा करते हैं। इन्हीं देवों में से एक देव हैं- भैरव, जिनकी उत्पति भगवान शिवजी होना माना जाता है। यह भी मान्यता है कि किसी भी प्रकार मुश्किल से व्यक्ति को निकालने वाले भगवान भैरव ही हैं। ऐसे में यह भी जान लें कि वैसे तो भैरव के आठ स्वरूप हैं, जिस कारण इन्हें अष्ट भैरव भी कहा जाता है, लेकिन इनमें से इनके मुख्य रूप से दो स्वरूप बेहद विशेष हैं, जिनकी पूजा की जाती है। जिनमें एक बटुक भैरव और दूसरे हैं काल भैरव। मान्यता के अनुसार भगवान भैरव की पूजा करने से बुद्धि और मान-सम्मान बढ़ता है। इसके साथ ही साधकों को भी संकटों से मुक्ति प्राप्त होती है।

ऐसे समझें बटुक भैरव का स्वरूप
स्फटिक के समान भगवान बटुक भैरव शुभ्र वर्ण के हैं। अपने कानों में उन्होंने कुंडल धारण किए हुए है और साथ ही मणियों से भी सुशोभित हैं। अपनी भुजाओं में बटुक अस्त्र-शस्त्र धारण करते हैं।

ऐसे समझें बटुक भैरव की उत्पत्ति
शास्त्रों के अनुसार प्राचीन काल में एक राक्षस ने तपस्या कर यह वर प्राप्त कर लिया था कि उसे सिर्फ पांच साल का लड़का ही मार सकता है। इसके बाद तीनों लोकों में उसने आतंक फैला दिया। ऐसे में सभी देवता परेशान होकर समाधान खोजने लगे। तभी एक तेज प्रकाश निकला और पांच वर्षीय बटुक की उत्पत्ति हुई। जिसने उस राक्षस का वध किया।


MUST READ :

यहां एक ही शहर में है अष्ट भैरवों का निवास

कलियुग के ब्रह्मास्त्र ‘काल भैरव’ : जानें भगवान भैरव से जुड़ी कुछ खास बातें

ये हैं न्याय के देवता, भक्त मन्नत के लिए भेजते हैं चिट्ठियां और चढ़ाते हैं घंटी व घंटे

बटुक भैरव की पूजा से लाभ
मान्यता के अनुसार भगवान बटुक भैरव की पूजा भक्तों की समस्त मनोकामनाएं को पूर्ण करती है। बटुक भैरव की साधना के लिए मंगलवार का दिन भी विशेष माना गया है, माना जाता है इस दिन भक्तों द्वारा इनकी पूजा करने से भक्तों को सभी प्रकार की विपदाओं से मुक्ति मिलती है। ज्योतिष में भी राहु-केतु सहित शनि के प्रकोप से बचने के लिए बटुक भैरव की पूजा-अर्चना करना लाभदायक माना गया है।

मान्यता के अनुसार हर रोज बटुक भैरव के मंत्र - ऊं ह्वीं वां बटुकाये क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये कुरु कुरु बटुकायें ह्रीं बटुकाये स्वाहा- का 108 बार जप करने से बटुक भैरव प्रसन्न होते हैं।

मान्यता के अनुसार शनि या राहु, केतु से पीड़ित व्यक्ति अगर शनिवार और रविवार को काल भैरव के मंदिर में जाकर उनका दर्शन करें। तो उसके सारे कार्य सकुशल संपन्न हो जाते है। भैरव की पूजा-अर्चना करने से परिवार में सुख-शांति, समृद्धि के साथ-साथ स्वास्थ्य की रक्षा भी होती है।

1. भैरव की आराधना से ही शनि का प्रकोप शांत हो जाता है।
2. आराधना का दिन रविवार और मंगलवार नियुक्त है।
3. लाल किताब की विद्या के अनुसार शनि के प्रकोप से बचने के लिए भैरव महराज को कच्चा दूध या शराब चढ़ाने का कहा जाता है।

4. जन्मकुंडली में अगर आप मंगल ग्रह के दोषों से परेशान हैं तो भैरव की पूजा करके पत्रिका के दोषों का निवारण आसानी से कर सकते हैं।

5. राहु केतु के उपायों के लिए भी इनका पूजन करना अच्छा माना जाता है।

6. भैरव महाराज की सवारी कुत्ते को प्रतिदिन रोटी खिलाने से भी शनिदेव शांत रहते हैं।

पुराणों के अनुसार भाद्रपद माह को भैरव पूजा के लिए अति उत्तम माना गया है। उक्त माह के रविवार को बड़ा रविवार मानते हुए व्रत रखते हैं। आराधना से पूर्व जान लें कि कुत्ते को कभी दुत्कारे नहीं बल्कि उसे भरपेट भोजन कराएं। जुआ, सट्टा, शराब, ब्याजखोरी, अनैतिक कृत्य आदि आदतों से दूर रहें। दांत और आंत साफ रखें। पवित्र होकर ही सात्विक आराधना करें। अपवि‍त्रता वर्जित है।