18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

क्या आप जानते हैं कौन थे हनुमान जी के 5 भाई, कौन थी माता अंजनी

हनुमानजी को संकट मोचक के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जीवन के हर समस्या का समाधान बजरंगबली जी के पास है। ऐसा कहा जाता है कि हनुमानजी में इतनी शक्ति है कि धरती के किसी भी दुख को खत्म कर सकते है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं। उनकी पूजा पाठ में ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती।

3 min read
Google source verification
 lord hanuman ji

lord hanuman ji

हनुमानजी को संकट मोचक के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जीवन के हर समस्या का समाधान बजरंगबली जी के पास है। ऐसा कहा जाता है कि हनुमानजी में इतनी शक्ति है कि धरती के किसी भी दुख को खत्म कर सकते है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं। उनकी पूजा पाठ में ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती। आज के समय में वीर हनुमान जी के भक्तों की संख्या भी बहुत अधिक हो गई है। ज्योतिषीयों के अनुसार बजरंगबली का जन्म चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था। हनुमानजी के पिता सुमेरू पर्वत के वानरराज राजा केसरी थे और माता अंजनी थी। हनुमान जी को पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है।

वानर राज केसरी के थे 6 पुत्र
ऐसा कहा जाता है कि हनुमानजी के पांच भाई थे, इसका प्रमाण शास्त्रों में वर्णित है। ब्रह्मांडपुराण में हनुमान जी के पिता केसरी और उनके पुत्रों के बारे में उल्लेख किया गया है। इसमें वानर राज केसरी के 6 पुत्रों के बारे में बताया गया। अपने सभी भाइयों में बजरंगबली को सबसे बड़े बताया गया है। केसरीनंदन के पांच भाइयों के नाम इस तरह हैं- मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान और धृतिमान। इन सभी के बारे में संतानों का उल्‍लेख भी इस ग्रंथ में है। महाभारत काल में पांडु पुत्र व बलशाली भीम को भी हनुमान जी का ही भ्राता कहा गया है। बहुत कम लोग ही जानते है कि इस ग्रंथ में हनुमान जी के पुत्र का नाम मकरध्वज का वर्णन किया गया।

यह भी पढ़े :— ईडाणा माता मंदिर : देवी खुद करती हैं अग्नि स्नान, आग लगना व बुझना आज भी है रहस्य

यह भी पढ़े :— सूर्य देव को जल चढ़ाने से चमक जाएगी सोई हुई किस्मत, इन बातों का रखें विशेष ध्यान

कौन थीं माता अंजनी
ऐसा कहा जाता है कि पुंजिकस्थली देवराज इन्द्र की सभा में एक अप्सरा थीं। एक बार जब दुर्वासा ऋषि इन्द्र की सभा में उपस्थित थे, तब अप्सरा पुंजिकस्थली बार-बार अंदर-बाहर आ-जा रही थीं। यह देखकर दुर्वासा को गुस्सा आ गया और उन्हें वानरी हो जाने का श्राप दे दिया। पुंजिकस्थली ने क्षमा मांगी, तो ऋर्षि ने इच्छानुसार रूप धारण करने का वर दिया। इसके बाद पुंजिकस्थली ने वानर श्रेष्ठ विरज की पत्नी के गर्भ से वानरी रूप में जन्म लिया। उनका नाम अंजनी रखा गया। अंजनी बड़ी होने पर पिता ने उसका विवाह पराक्रमी कपि शिरोमणी वानरराज केसरी से हुआ। इस प्रकार पुंजिकस्थली माता अंजनी कहलाईं।

पूजा करते समय इन बातों का रखें ख्याल:........
— हनुमान जी की अराधना करते समय शुद्धता और पवित्रता होना आवश्यक है।
— हनुमान जी का प्रसाद शुद्ध घी में बना होना चाहिए।
— तिल के तेल में मिला हुआ सिंदूर हनुमान जी को लेपना अच्छा होता है।
— चंदन को घिसकर केसर में मिलाएं और इसे हनुमान जी को लगाएं।
— हनुमान जी को कमल, गेंदे, सूरजमुखी फूल अर्पित करें।
— हनुमान जी को सुबह में पूजा करते समय गुड़, नारियल का गोला और लड्डू चढ़ाना चाहिए। वहीं, दोपहर में गुड़, घी और गेहूं की रोटी का चूरमा चढ़ाना चाहिए। रात में आम, अमरूद, केला आदि फल चढ़ाने चाहिए।
— हनुमान जी को पूजा करते समय ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
— जो नैवेद्य हनुमान जी को अर्पित किया जाता है उसे साधक को ग्रहण करना चाहिए।
— हनुमान जी की मूर्ति के के नेत्रों में देखते हुए मंत्रों का जाप करें।
— हनुमान जी की पूजा में दो तरह की मालाओं के साथ की जाती है। सात्विक कार्य से संबंधित साधना में रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, तामसी एवं पराक्रमी कार्यों के लिए मूंगे की माला का इस्तेमाल किया जाता है।