वहीं विनाशकारी योग का निर्माण शनि कुंभ राशि में पंचम और मिथुन राशि में नवम भाव पर मंगल के चलते बन रहा है। यह संयोग चंद्र ग्रहण पर अत्यंत अशुभ है।
इससे अलग मंगल व शनि के आमने-सामने होने के चलते षडाष्टक योग, नीचराज भंग और प्रीति योग का भी निर्माण हो रहा है। जिसके चलते लोगों को चंद्र ग्रहण के दौरान अत्यंत संभलकर रहना होगा। ग्रहण के दौरान देवगुरु बृहस्पति व देवसेनापति मंगल वक्री अवस्था में रहेंगे।
पंडित शर्मा के अनुसार ऐसी स्थिति में किसी पर उसके दुश्मन का हमला होना, उंचाई से नीचे गिरना, सड़क दुर्घटना जैसी खतरनाक स्थितियों का निर्माण लोगों के जीवन पर संकट लाने का कार्य कर सकतीं हैं। वहीं यदि इन स्थितियों को राशियों के हिसाब से भी समझें तो उनके अनुसार यह समय सर्वाधिक बुरा कन्या के जातकों के लिए होता दिख रहा है, चोट, दुर्घटना वाद विवाद सहित सभी स्थितियों से इनको अगले करीब एक पखवाड़े तक बचना होगा अन्यथा इन्हें मृत्यु तुल्य स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। वहीं इस दौरान वृश्चिक राशि वालों को भी संभलना होगा वरना इनके सामने भी कुछ ऐसी परिस्थितियों निर्मित हो सकती है जो इन्हें मौत के मुंह तक ले जाकर पटक दें।
वहीं मिथुन,कर्क व कुंभ राशि के लिए ये समय अच्छा तो रहेगा, लेकिन जरा सी असावधानी इनके लिए भी अत्यंत कष्टकारी बनकर उभर सकती है। इसके अलावा शुक्र के स्वामित्व वाली राशियों को भी ये ग्रहण दंभ में चलने या शत्रुओं पर नजर नहीं रखने के दौरान मृत्यु के दरवाजे तक पहुंचाने का कार्य कर सकता हैं।