30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Astrology : जानें कुंडली में कैसे देखें सूर्य की स्थिति, किस भाव में कैसे परिणाम देते हैं सूर्य देव

Position and Result of Sun In your Kundli, Sun Effects on You: आपको बता दें कि जन्म कुंडली के अध्ययन में सूर्य की अहम भूमिका होती है। इसके साथ ही हिन्दू धर्म में सूर्य को देवता का स्वरूप मानकर इसकी आराधना भी की जाती है। पत्रिका.कॉम के इस लेख में उज्जैन के ज्योतिषाचार्य अमर अभिमन्यु डब्बावाला आपको बता रहे हैं कुंडली में किस भाव में सूर्य की स्थिति क्या दर्शाती है...

9 min read
Google source verification

image

Sanjana Kumar

Mar 23, 2023

kundli_ke_har_bhav_me_surya_ka_prabhav.jpg

Position and Result of Sun In your Kundli, Sun Effects on You: ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना गया है। साथ ही इसे एक महत्वपूर्ण और प्रमुख ग्रह माना गया है। आपको बता दें कि जन्म कुंडली के अध्ययन में सूर्य की अहम भूमिका होती है। इसके साथ ही हिन्दू धर्म में सूर्य को देवता का स्वरूप मानकर इसकी आराधना भी की जाती है। पत्रिका.कॉम के इस लेख में उज्जैन के ज्योतिषाचार्य अमर अभिमन्यु डब्बावाला आपको बता रहे हैं कुंडली में किस भाव में सूर्य की स्थिति क्या दर्शाती है...

पंचांग की गणना में सूर्य का महत्व

- ज्योतिष के मुताबिक सूर्य को तारों का जनक माना जाता है। हिन्दु ज्योतिष में सूर्य ग्रह जब किसी राशि में प्रवेश करता है तो, वह धार्मिक कार्यों के लिए बहुत ही शुभ समय हो जाता है। विभिन्न राशियों में सूर्य की चाल के आधार पर ही हिन्दु पंचांग की गणना संभव मानी गई है। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है तो, उसे एक सौर माह कहा जाता है। राशि चक्र में 12 राशियां होती हैं। अत: राशिचक्र को पूरा करने में सूर्य को एक वर्ष लगता है। अन्य ग्रहों की तरह सूर्य वक्री नहीं करता है।

- ज्योतिष में सूर्य कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि किसी महिला की कुंडली में यह उसके पति के जीवन के बारे में बताता है। सेवा क्षेत्र में सूर्य उच्च व प्रशासनिक पद तथा समाज में मान-सम्मान को दर्शाता है।

- यह लीडर (नेतृत्व करने वाला) का भी प्रतिनिधित्व करता है। यदि सूर्य की महादशा चल रही हो तो, रविवार के दिन लोगों को अच्छे फल मिलते हैं। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में यह उच्च का होता है, जबकि तुला इसकी नीच राशि मानी गई है।

- ज्योतिषाचार्य पं. अमर अभिमन्यु डब्बावाला के मुताबिक कुंडली में सूर्य सभी 12 भावों में अपना अलग प्रभाव दिखाता है। लेकिन किसी भी भाव में बैठे सूर्य पर किस ग्रह की दृष्टि है यह भी सूर्य के प्रभाव पर धनात्मक या ऋणात्मक रूप से प्रभाव डालती है।

कुंडली में ऐसे समझें सूर्य का प्रभाव

प्रथम (1) भाव में स्थित सूर्य का फल
प्रथम भाव को लग्न का भाव कहा जाता है। यदि आपकी कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य बैठा हैं, तो यह आपके स्पष्ट और उदार स्वभाव की ओर संकेत करता है। आपके छोटे भाई और बहन भाग्यशाली और अच्छे मित्रों वाले होने के साथ ही पद प्रतिष्ठा वाले होंगे। आपकी मां धार्मिक विचारों वाली होंगी। आपके बच्चे दूर देश में शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं। सरकार के साथ ही सत्ता से जुड़े और शक्तिशाली लोगों से आपके अच्छे रिश्ते रहेंगे। आप स्वभाव से ईमानदार और धार्मिक होंगे। साथ ही नैतिकता के दॄष्टिकोण से आपका बर्ताव उचित रहेगा। लेकिन यहां स्थित सूर्य आपके स्वभाव में आक्रामकता, कभी-कभी विवेक हीनता, आलस, क्षमाहीनता, घमंड, धैर्यहीनता जैसे गुण देने वाला होता है। इसके अलावा यह आपको महत्वाकांक्षी और प्रभावशाली होने के गुण भी देता है। यहां स्थित सूर्य आपको तेजस्वी और लम्बा तो बनाता है, लेकिन आप सिर या आंखों की समस्या से परेशान हो सकते हैं।

द्वितीय (2) भाव में स्थित सूर्य का फल
यदि आपकी कुंडली में सूर्य द्वितीय भाव में है, तो आपको बता दें कि यह भाव संपत्ति भाव भी कहा जाता है। कुंडली के दूसरे भाव में स्थित सूर्य के समृद्धशाली बनाने के पीछे आपका ईश्वर पर विश्वास होगा। ऐसा नहीं होने पर सूर्य धन संचय में परेशानियां पैदा करता है। सूर्य आपको कई कामों में दक्षता देगा। आप सरकार से या सरकारी कामों से धन प्राप्त कर सकते हैं। तांबा, सोना या अन्य धातुओं के व्यापार के माध्यम से भी आप धन कमा सकते हैं। यह सूर्य आपको चेहरे या मुंह के रोग दे सकता है। इसके साथ ही यदि आपने अपने खान-पान का उचित ध्यान नहीं रखा हो, आपको अपच और उससे संबंधित कुछ अन्य रोग परेशान कर सकते हैं। आपके बच्चे खुशहाल और अच्छे होंगें, लेकिन मध्यावस्था में जीवनसाथी का स्वास्थ्य प्रभावित रह सकता है।

तृतीय (3) भाव में स्थित सूर्य का फल
तृतीय भाव को पराक्रम या भाई बहनों के साथ ही मामा का भाव भी कहते हैं। इसमें स्थित सूर्य आपके भीतर एक विशेष प्रकार का आकर्षण देने के साथ ही आपको पराक्रमी बनाता है। आप एक राज्यमान और प्रतापी व्यक्ति हो सकते हैं। आपकी रुचि ज्योतिष विज्ञान या गणित विषय में हो सकती है। इसके अलावा आपके भीतर कवित्व का गुण विकसित हो सकता है। आप बलशाली और प्रतिष्ठावान व्यक्ति होंगे, लेकिन यहां स्थित सूर्य आपके भाइयों की संख्या में कमी दे सकता है। आप शिक्षक या प्रोफेसर भी बन सकते हैं। यदि आप व्यवसाय के प्रति इच्छुक हैं तो, आप मानसिक कौशल से जुड़ा कोई भी बिजनेस कर सकते हैं। यदि आप सॉफ्टवेयर से जुड़े किसी काम का चयन करते हैं तो वह आपके लिए फायदेमंद रहेगा। यहां स्थित अकेला सूर्य कोई भी हानिकर प्रभाव नहीं देता। किसी अन्य ग्रह या योग के द्वारा पीडि़त होने की अवस्था में यह आप में कुछ हद तक चारित्रिक दोष दे सकता है। कुछ बुरी आदतें भी आप में आ सकती हैं। चोरी का भय अथवा मामा या पड़ोसियों को कुछ कष्ट हो सकता है। कभी-कभार अधीनस्थ कर्मचारियों का सहयोग कम मिलता है।

चतुर्थ (4) भाव में स्थित सूर्य का फल
चतुर्थ भाव को मां का भाव या सुख का भाव भी कहते हैं। इस स्थित में सूर्य आपको आर्थिक रूप से समृद्धशाली बना सकता है, साथ ही यह आपको बचत करने की प्रवृत्ति भी देगा। आप देखने में रूपवान तो हो सकते हैं लेकिन कुछ चिंताएं भी आपको घेरे रह सकती हैं। यहां स्थित सूर्य माता पिता की सेवा से वंचित करवाता है। या तो आप दूर रहने के कारण माता पिता की सेवा नहीं कर पाएंगे या फिर साथ रहकर आपसी मनमुटाव से ग्रस्त रह सकते हैं। सूर्य की यह स्थिति भाइयों के आपसी सद्भाव में बाधक बनती है, लेकिन इसके साथ ही यह स्थिति आपको किसी गुप्त विद्या का ज्ञान दे सकती है। आप किसी को हानि पहुंचाने से डरेंगे। आपको सोने चांदी के व्यापार से लाभ मिलेगा। आपकी अधिकतर यात्राएं भी लाभकारी सिद्ध होंगी। यदि आप कुछ नया करने की कोशिश करेंगे, कुछ नया बनाएंगे या शोध करेंगे तो यह आपके लिए लाभप्रद रहेगा। कोई भी बुरी लत लगने पर उस लत को छोडऩे में बड़ी कठिनाई होगी। आपका ससुराल पक्ष कुछ हद तक समस्याग्रस्त रह सकता है। आपको भी आंखों से संम्बंधित परेशानियां हो सकती हैं। आपको चाहिए कि लालच को आने पास भी न फटकने दें नहीं तो, आर्थिक संकट परेशान कर सकता है।

पंचम (5) भाव में स्थित सूर्य का फल
पंचम भाव को बुद्धि भाव या पुत्र भाव भी कहा जाता है। यहां स्थित सूर्य आप को सदाचार का विधिवत ज्ञान देता है और ऐसे जातक सदैव सदाचार का पालन भी करते हैं। आप बुद्धिमान तो हैं, लेकिन क्रोध आप पर अक्सर हावी हो जाता है। जिसके कारण लोगों के बीच आपकी छवि एक क्रोधी व्यक्ति की बन सकती है। यहां स्थित सूर्य आपके जीवन में एक अजीब सी स्थिति पैदा कर सकता है, यदि आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं होगा तो, आपका बिजनेस ठीक चलेगा। ठीक इसके उलट यदि आपका बिजनेस ठीक चलेगा तो आपका स्वास्थ्य प्रभावित रह सकता है। यहां स्थिति सूर्य आपको संतान से संबंधित परेशानियां दे सकता है। आप छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होने के साथ-साथ किसी बाय को लेकर चिन्तित या दुखी भी रह सकते हैं। आप एक अच्छे लेखक या परामर्श दाता हो सकते हैं। पुत्र संतान की प्राप्ति बहुत विलम्ब से हो पाती है लेकिन पुत्र की पैदाइश के बाद जीवन के सभी क्षेत्रों में खूब तरक्की होती है। आपकी संतान मेधावी और कुल को प्रशंसा दिलाने वाली होती है।

छठे (6) भाव में स्थित सूर्य का फल
छठे भाव को शत्रु भाव या रोग भाव भी कहते हैं। यहां स्थित सूर्य आपको पराक्रमी बनाएगा और आप अपने शत्रुओं को परास्त करने में समर्थ होंगे। यह स्थिति आपके स्वभाव को कुछ हद तक कठोर भी बना सकती है। स्त्रियों के प्रति आपकी आसक्ति अपेक्षाकृत अधिक हो सकती है। सामान्य तौर पर आपका स्वास्थ्य अच्छा ही रहेगा। लेकिन कम से कम दो बार आपको बड़े उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। आप पूरी तरह से भाग्यशाली तभी सिद्ध हो पाएंगे जब आप अपनी सामथ्र्य के अनुसार दूसरों को आशीर्वाद और शुभकामनाएं देते रहेंगे। आप अपनी न्यायप्रियता के कारण भी समाज में सम्मान पाएंगे। सूर्य की यह स्थिति आपके मामा या ननिहाल पक्ष के लिए ठीक नहीं है। ननिहाल पक्ष के लोगों को कष्ट मिल सकता है। आपके दादा या दादी भी आपके जन्म के बाद बीमार रह सकते हैं। यह स्थिति आपको भी उच्च रक्तचाप की बीमारी दे सकती है। यहां स्थित सूर्य के कारण आपको सूर्य की रोशनी के कारण आखों की तकलीफें या अन्य परेशानियां हो सकती हैं।

ये भी पढ़ें:Ramadan 2023: कल से शुरू हो रहा है रमजान, कैसे रखे जाते हैं रोजे और कैसे कि जाते हैं संपन्न जानें सेहरी और इफ्तार का वक्त भी

सप्तम (7) भाव में स्थित सूर्य का फल
सप्तम भाव विवाह का भाव कहलाता है। इस भाव में सूर्य की उपस्थिति शुभ नहीं मानी गई है। इस भाव में उपस्थित सूर्य आपको इतना अधिक स्वाभिमानी बना सकता है कि लोग आपको घमंडी समझने लगते हैं। कार्यक्षेत्र में लाभ और काम करने में अधिक आनंद तभी आएगा, जब आपका कार्यालय आपके निवास स्थान से समीप हो। सूर्य की इस भाव में स्थिति जीवन साथी से मतभेद पैदा करती है। विशेषकर विवाह के पंद्रह वर्षों तक वैवाहिक जीवन में सामंजस्य की कमी रहती है। यहां स्थित सूर्य आपको आत्मरत भी बना सकता है और लोग आपको स्वार्थी समझ सकते हैं। सूर्य की यह स्थिति आपको चिंतित रख सकती है, वहीं कभी-कभी आर्थिक स्थिति और पारिवारिक संबंधों को लेकर भी परेशानी उठानी पड़ सकती है।

अष्टम (8) भाव में स्थित सूर्य का फल
अष्टम भाव को आयु भाव भी कहा जाता है। यहां स्थित सूर्य आपको कुछ अच्छे परिणाम तो देगा, लेकिन कई प्रकार की परेशानियां भी दे सकता है। यहां स्थित सूर्य आपके आर्थिक पक्ष को मजबूत करेगा। धन कमाने के साथ-साथ आप धन की बचत भी कर पाएंगे। ऐसे लोगों के अपने जीवन काल में कुछ ऐसे काम की संभावना होती है, जो इनको नायकों की श्रेणी में खड़ा कर दे। आप एक सुखी जीवन व्यतीत करेंगे। वहीं यह स्थिति कभी-कभी जीवन साथी के माध्यम से धनागमन की-सूचक है। ध्यान रहे कि अपने जीवन साथी के अलावा किसी और से गुप्त संबंध न रखें। दक्षिण दिशा की ओर मुंह वाले मकान में निवास नहीं करना चाहिए। सूर्य की यह स्थिति पित्त के प्रकुपित होने से पैदा होने वाले रोगों से परेशान रहने का संकेत है। आपकों आंखों से संबंधित रोग परेशान कर सकते हैं। आप में धैर्य की कमी और क्रोध की अधिकता हो सकती है। यदि आप में आलस है तो उसे शीघ्र त्यान दें। इससे आप अधिक से अधिक धन संचय कर पाएंगे। नशे से दूर रहें। जहां तक हो सके पिता से संबंध मधुर बनाए रखें।

नवम (9) भाव में स्थित सूर्य का फल
नवम भाव को भाग्य भाव भी कहा जाता है। सूर्य की यह स्थिति लम्बी यात्राएं करवाती हैं। स्वभाव से परोपकारी होने के साथ ही आपको अपने परिवार से विशेष लगाव होगा लेकिन पिता से संबंध अधिक मधुर नहीं रहेंगे। आप गृहस्थ होकर भी किसी योगी और तपस्वी की तरह जीवन व्यतीत करेंगे। सदाचार आपके स्वभाव में कूट-कूट कर भरा होगा। आपकी रुचि ज्योतिष या किसी अन्य गूढ़ विद्या में हो सकती है। इसके अलावा आपका लगाव कानून या कानून से संबंधित संस्थानों से हो सकता है। आपके भीतर नेतृत्व करने की अद्भुत क्षमता पाई जाएगी। आप स्वभाव से कुछ हद तक क्रूर होने के बावजूद अपनी साधना से स्वयं को सुखी रख पाएंगे। आपको विभिन्न प्रकार के वाहनों का सुख मिलेगा। आपके पास कई नौकर-चाकर हो सकते हैं। सूर्य की यह स्थिति आपको शिक्षा के क्षेत्र में भी सहयोग करेगी और आप उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। इक्कीस वर्ष की उम्र के बाद आपके जीवन की कठिनाइयां धीरे-धीरे करके समाप्त होने लगेंगी। आप जिस किसी क्षेत्र में होंगे वहां आपको सम्मान मिलेगा।

दशम (10) भाव में स्थित सूर्य का फल
दशम भाव को कर्म भाव या पिता भाव या शिक्षा भाव भी कहते हैं। दसवें भाव में स्थित सूर्य बहुत सारे अनुकूल परिणाम देता है। इसके चलते आपके बुद्धिमान, विद्वान और प्रसिद्ध बनाने की संभावनाएं बढ़ती हैं। आप किसी सरकारी पद पर प्रतिष्ठित हो सकते, सरकार द्वारा सम्मानित हो सकते हैं या खुद सरकार का एक अंग हो सकते हैं। आप उदार चरित्र और ऐश्वर्यवान व्यक्ति हैं। आप अपनी व्यवहार कुशलता के लिए प्रसिद्ध होंगे। आप आत्मविश्वास से भरे हुए अमीर व्यक्ति होंगे। आप कार्यक्षेत्र में बड़ी सफलता पाने वाले वाले व्यक्ति हैं। आपके भीतर नेतृत्व करने की अद्भुत क्षमता होगी। अत: आप लोगों का नेतृत्व कर सकते हैं। आप अपनी उदारता के कारण लोकप्रियता हासिल करेंगे। आपके पिता दीर्घजीवी होंगे और पिता के साथ आपके संबंध संतोष जनक रहेंगे। यहां स्थित सूर्य आपको कुछ नकारात्मक प्रभाव भी देगा। यदि आप अपने मस्तिष्क में नकारात्मक विचारों को आने देंगे तो, आपकी मां को कष्ट का सामना करना पड़ सकता है। आपके अस्तित्व के बढऩे के साथ ही आपके अपने आपसे बिछड़ते जाएंगे।

एकादश (11) भाव में स्थित सूर्य का फल
एकादश भाव को आय भाव भी कहा जाता है। यहां पर सूर्य की स्थिति कई शुभ परिणाम देती है। आप धनवान होने के साथ ही बलवान और सुखी हो सकते हैं। आप अपने स्वाभिमान का बहुत खयाल रखते हैं। आप अधिक बोलने से परहेज करते हैं। आप हमेशा अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करेंगे। आपके मित्र उच्च पदासीन होंगे और आप उनसे खूब लाभान्वित भी होंगे। आपको बड़े अधिकारियों का समर्थन मिलता रहेगा। यहां स्थित सूर्य आपसे सही जगह पर सही निवेश करवाएगा और उससे खूब लाभ भी करवाएगा। आप महत्वाकांक्षी व्यक्ति होने के साथ ही खूब धन कमाने वाले व्यक्ति भी हैं। आपको आकर्षक शरीर वाले जीवन साथी की प्राप्ति होगी। यहां स्थित सूर्य न केवल आपकी संतान की संख्या को कम कर सकता है बल्कि, आपको पेट से संबंधित कुछ विकार भी दे सकता है। यहां स्थित सूर्य आपकी मां के लिए भी शुभ परिणाम नहीं देगा, लेकिन मामा या ननिहाल के लिए शुभ परिणामों की प्राप्ति होगी।

द्वादश (12) भाव में स्थित सूर्य का फल
द्वादश भाव को व्यय भाव भी कहा जाता है। सूर्य इस भाव में बहुत अधिक शुभफल नहीं देता। आप दवाओं रसायन शास्त्र या मनोविज्ञान के क्षेत्र में भी अपना कॅरियर बना सकते हैं। वहीं यदि आप अस्पतालों, पागलखानों, धर्मार्थ संस्थानों, जेलों और परोपकारी कामों से जुड़े किसी काम को करते हैं, तो इन क्षेत्रों में आप बहुत कुछ कर सकते हैं। जीवन के शुरुआती वर्षों में आपको कुछ अधिक परेशानियां रह सकती हैं। आपमें आत्मविश्वास की कमी देखने को मिल सकती है। सूर्य की यह स्थिति आपके छोटे भाई-बहनों के लिए अच्छे परिणाम देगी। उन्हें उनके कार्यक्षेत्र में बड़ी तरक्की मिलेगी। यहां स्थित सूर्य के कारण आर्थिक रूप से समृद्ध होने में आपको बड़ी कठिनाई होगी। सूर्य की इस स्थिति में आपको अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ सकता है। वहीं यह स्थिति पिता पुत्र संबंधों के लिए भी अच्छी नहीं मानी गई है।

ये भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2023: क्या आप भी सोचते हैं नमक खाने से टूट जाता है व्रत, जरूर पढ़ें ये लेख और दूर करें कन्फ्यूजन