
jallianwala bagh
जयपुर। 1919 की बैसाखी जलियांवाला बाग के शहीदों को समर्पित है। इस दिन जनरल डायर ने पंजाब के जलियांवाला बाग में निहत्थे नागरिकों पर गोलियां चलाई थीं। ब्रिटिश शासन की बर्बरता का इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि डायर के इस कदम की ब्रिटेन में प्रशंसा की गई थी।
यह कहानी है उस गुलाम भारत की, जब आजादी के लिए हर कोने में इंकलाब जिंदाबाद के नारे गूंज रहे थे। पंजाब में भी अंग्रेजों का विरोध बढ़ता जा रहा था। तब ब्रिटिश शासन ने दमन का रास्ता अपनाया। उसने पंजाब के दो नेताओं सत्यपाल व डॉ. किचलू को गिरफ्तार कर निर्वासित कर दिया था।
इससे लोगों का आक्रोश भड़क गया। 13 अप्रेल के दिन जब बैसाखी आई तो लोग जलियांवाला बाग में इकट्ठे होने लगे। प्रशासन को इसकी भनक लग गई थी, इसलिए एक दिन पहले ही मार्शल लॉ लागू कर दिया। शहर में सेना बुला ली गई। इसी बीच कई लोग बैसाखी का मेला देखने आए थे। वे भी जलियांवाला बाग चले गए।
वहां शांतिपूर्वक सभा हो रही थी। तभी हजारों की भीड़ पर गोलीबारी के लिए डायर सेना की टुकड़ी लेकर आ गया। उसने बिना किसी चेतावनी के अंधाधुंध गोलियां चलवानी शुरू कर दी।
लग गया लाशों का ढेर
गोलियों से अनेक लोग शहीद हो गए। हड़बड़ी में कई लोग वहां बने एक कुएं में गिर गए। घायलों के उपचार का कोई प्रबंध नहीं था। पलभर में ही लाशों का ढेर लग गया। शहीद हुए लोगों की संख्या एक हजार से ज्यादा बताई जाती है। इस हत्याकांड का देश में भारी विरोध हुआ।
डायर ने अपने बचाव में एक झूठी कहानी बनाई कि हिंदुस्तानियों ने उस पर हमला किया तो उसे बदले में कार्रवाई करनी पड़ी। उस समय गवर्नर माइकल ओ ड्वायर ने इस हत्याकांड को उचित ठहराया। इतना ही नहीं, डायर लोगों को मारने के लिए दो तोपें भी लेकर आया था, लेकिन रास्ता संकरा होने के कारण अंदर नहीं लेकर गया।
इस घटना की जांच के लिए बने हंटर कमीशन की रिपोर्ट के बाद भी ब्रिटिश सरकार ने डायर को कोई दंड नहीं दिया। सिर्फ उसका पद घटाकर कर्नल कर दिया और वापस ब्रिटेन भेज दिया। 1927 में उसकी मौत हो गई।
आखिरी दिनों में उसके हालात बहुत खराब थे। उसे लकवा हो चुका था और हृदय रोग काफी बढ़ गया था। उस समय भी वह जलियांवाला बाग कांड को भूला नहीं था।
कहा जाता है कि 13 अप्रेल की घटना को लेकर उसने कहा था- अमृतसर के हालात जानने वाले कई लोग कहते हैं कि मैंने सही किया, लेकिन दूसरी ओर कई लोग यह कहते हैं कि मैंने गलत किया। मैं केवल मरना चाहता हूं और मुझे बनाने वाले से यह जानना चाहता हूं कि मैंने सही किया या गलत।
Published on:
13 Apr 2016 02:46 pm
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