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यूपी के इस जिले में आखिर आज भी कुंवारे क्यों रह गए 60 प्रतिशत बुजुर्ग, कारण जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

- हंसते खेलते परिवारों पर टूटता था डकैतों का कहर- ग्रामीणों ने डकैतों के डर से किया गांव से पलायन- मारे गए लोगों के परिवार आज सरकारी योजनाओं से कोसों दूर - अकेले ही खाना पकाकर पेट भरने को मजबूर हैं गांव के लोग

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औरैया

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Neeraj Patel

Jul 04, 2019

Unmarried Elders in Kaitholi Village Auraiya UP due to dacoits

यूपी के इस जिले में आज भी कुंवारे हैं 60 प्रतिशत बुजुर्ग, कारण जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

औरैया. जिले का कैथौली गांव में आज भी 60 प्रतिशत बुजुर्ग कुंवारे हैं और बिना शादी के अकेले ही अपना जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं और कुछ लोग इस गांव से पलायन कर गए। यहां के इन बुजुर्गों की कहानी दर्द से भरी हुई है। कैथौली गांव आज भी डाकुओं के अभिशाप का शिकार बना हुआ है। यहां के डाकुओं ने इस गांव के लोगों को ऐसा दर्द दिया कि लोग कभी नहीं भूल सकते। इस गांव में यहां ग्रामीणों की शादी में जो डकैत रोड़ा बने तो वह लोग आज भी कुंवारे ही रह गए।

जनपद के अयाना थाना क्षेत्र का गांव कैथौली आज भी उन बुरे दिनों को याद करके सहम जाता है। यह गांव खुद अपने आप में कई खौफनाक कहानी समेटे हुए है। जो लोग इस गांव के बारे में जानते हैं वह बताते हैं कि यहां डाकुओं ने शादी वाले घरों में ऐसा आतंक मचाया कि आज भी 60 फीसदी बुजुर्ग बिना शादी के अकेले जीवनयापन करने को मजबूर हैं। वह खुद ही चूल्हे पर खाना पकाकर अपना पेट भर रहे हैं। उन बुजुर्गों की हालत इतनी खराब हो गई है कि आज भी उनकी आंखों में बुरे दिनों का हाल नजर आता है। यह गांव डाकुओं के अभिशाप का इस तरह शिकार बना हुआ है कि इस गांव की दास्तां सुनकर लोगों की रूह तक कांप जाए।

यह घटना उस समय की है जब औरैया जिला इटावा के नाम से जाना जाता था। बीहड़ के गांवों में डकैतों का दबदबा इस कदर छाया था कि किसी की हिम्मत उनके फरमान को अनसुना करने की न थी। जंगलों से लेकर गांव के गलियारों तक डाकुओं का कहर बरपता था। ऐसे में उनके द्वारा ग्रामीणों पर ढाए गए सितम इस तरह हावी थे। उसकी रार आज तक यह गांव नहीं भुला पा रहा है। दिनदहाड़े डाकुओं का आतंक हंसते खेलते परिवारों पर टूट पड़ता था। गांव के निवासी बताते हैं कि बंद पड़े मकानों के लोग इसलिए पलायन कर गए क्योंकि उनके परिवारवालों की हत्या खुलेआम कर दी गई। डकैतों की दहशत के चलते पलायन करने वाले लोग अब तक वापस नहीं लौटे। मगर अभी भी इस गांव का दुर्भाग्य देखिए कि डकैतों द्वारा मारे गए लोगों के परिवार आज सरकारी योजनाओं से कोसों दूर हैं। शासन प्रशासन की नजर शायद इस गांव पर नहीं पड़ रही हैं।

डकैतों के डर से किया पलायन

लोगों का कहना है कि बीहड़ों में बसे कैथौली गांव में दो दशक पहले लोगों को दिन और रात सिर्फ खौफ के साए में काटनी पड़ती थी। यहां के ग्रामीणों के साथ डकैतों द्वारा आएदिनों अत्याचार लूट, हत्याएं जैसी घटनाएं होती थी जो कि आज भी लोगों के जहन में बसी हुई हैं। कुछ परिवारों ने तो आंखों के सामने अपनों को मौत के घाट उतरता देख डकैतों के डर से गांव से पलायन ही कर दिया। यहां के घरों में जंग खाए ताले ही लटकते दिखाई देते 850 की आबादी वाला यह गांव अपनी दुर्दशा की कहानी खुद बयां करता है।

आज तक नहीं बंध पाया सेहरा

कैथौली गांव के लोगों का कहना है कि तबके युवा आज बुजुर्ग हो गए है और उनके सर पर आज तक सेहरा नहीं बंध पाया। कैथौली गांव के लोग आज भी उन दिनों को कोसते हैं, जिनके कारण उनकी गृहस्‍थी नहीं बन पाई और न ही उनकी शादी हो पाई। डकैतों के कहर के आगे कोई भी अपनी बेटी से इन ग्रामीणों के साथ शादी नहीं करना चाहता था। लोगों का कहना है कि गांव के 60 फीसदी बुजुर्ग अकेले खुद के भरण पोषण के लिए स्वतः कार्य करते हैं। वह खुद ही चूल्हे पर खाना पकाकर अपना पेट भर रहे हैं और अकेले ही जीवन यापन कर रहे हैं।